CHHATTISGARH HIGH COURT : छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट का बड़ा फैसला, प्रेम प्रसंग और आपसी सहमति से बनाए गए शारीरिक संबंध दुष्कर्म नही

बिलासपुर / नाबालिग के साथ दुष्कर्म के आरोप में जेल में बंद युवक की अपील पर हाई कोर्ट के सिंगल बेंच में सुनवाई हुई। अभियोजन पक्ष यह साबित करने में असफल रहा कि पीड़िता की उम्र घटना के समय 18 वर्ष से कम थी। सुनवाई के बाद पीड़िता ने यह खुलासा किया कि आरोपी के साथ उसके प्रेम संबंध थे और दोनों ने आपसी सहमति से शारीरिक संबंध बनाए थे। पीड़िता की स्वीकारोक्ति के बाद कोर्ट ने याचिकाकर्ता की अपील स्वीकार करते हुए पाक्सो कोर्ट के फैसले को रद्द कर दिया। इससे पहले, विशेष न्यायालय ने आरोपी युवक को 10 साल की सजा सुनाई थी, लेकिन अब हाई कोर्ट ने उसे रिहा करने का आदेश दिया।
19 वर्षीय आरोपित तरुण सेन पर आरोप था कि 8 जुलाई 2018 को उसने लड़की को बहलाकर अपने साथ भगा लिया और कई दिनों तक शारीरिक संबंध बनाए। लड़की के पिता ने शिकायत दर्ज कराई, जिसके बाद पुलिस ने लड़की को दुर्ग से बरामद किया। विशेष न्यायाधीश ने आरोपी को 10-10 साल की सजा सुनाई थी।
हाई कोर्ट का निर्णय
कोर्ट ने पाया कि पीड़िता की उम्र साबित करने के लिए कोई ठोस दस्तावेज नहीं प्रस्तुत किए गए थे। स्कूल के दाखिल-खारिज रजिस्टर में पीड़िता की जन्मतिथि 10 अप्रैल 2001 थी, लेकिन उसकी खुद की गवाही के अनुसार वह 10 अप्रैल 2000 को जन्मी थी। इसके अलावा, मेडिकल रिपोर्ट में किसी भी प्रकार की चोट या जबरदस्ती के निशान नहीं मिले।
कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला देते हुए कहा कि स्कूल के दस्तावेज़ ही अकेले पीड़िता की उम्र को प्रमाणित करने के लिए पर्याप्त नहीं हैं। जस्टिस अरविंद वर्मा ने कहा कि जब पीड़िता की उम्र नाबालिग साबित नहीं होती और वह सहमति से आरोपी के साथ गई थी, तो दुष्कर्म या पाक्सो की धाराएं नहीं बनती। इस मामले को प्रेम प्रसंग और सहमति से भागने का मामला माना गया।
कोर्ट ने आरोपी युवक की सजा को रद्द करते हुए उसे सभी आरोपों से बरी किया और रिहा करने का आदेश दिया।