जांजगीर चाम्पा

कार या कटोरी दोनों के लिए तैयार रहता हूं – नारायण चंदेल जांजगीर जिले को एजुकेशन हब बनाना मेरा लक्ष्य, प्रेस से मिलिए में पहुंचे नेता प्रतिपक्ष

जांजगीर चांपा / जिला प्रेस क्लब के सत्कार कार्यक्रम प्रेस से मिलिए में विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष और स्थानीय विधायक नारायण प्रसाद चंदेल का आगमन हुआ। कार्यक्रम का आरंभ माता सरस्वती की पूजा अर्चना से हुआ तत्पश्चात अतिथि का शॉल श्रीफल और पुष्पगुच्छ से स्वागत प्रेसक्लब के पदाधिकारी और पत्रकारों ने किया,

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स्वागत एवं आरंभिक जानकारी प्रशांत सिंह ने दी फिर कार्यक्रम संचालक संस्कार द्विवेदी ने अतिथि उद्बोधन के लिए चंदेल को सादर आमंत्रित किया, प्रखर वक्तव्य और बेबाक टिप्पणी के विख्यात नारायण चंदेल ने उद्बोधन कला के तमाम आयामों को छूते हुए रोष, करुणा, व्यंग्य और स्नेह से भरे अपने संबोधन से पत्रकारों को आल्हादित कर दिया। छग के शीर्षस्थ राजनीतिज्ञ आज दिल से पूरी साफगोई के साथ बोले। उन्होंने अटल जी की कविता को उद्घत करते हुए कहा कि सार्वजनिक जीवन में छोटे मन से काम नहीं चल सकता। दृष्टि विशाल और दृष्टिकोण समग्र होना आवश्यक है। जनप्रतिनिधि को अपने अधिकारों और कर्तव्यों दोनों के प्रति सचेत तथा दायित्व के प्रति जागरूक होना चाहिए। सड़क पानी बिजली आवश्यक कार्य तो हैं पर इनका पैमाना इतना बड़ा होना चाहिए कि पीढ़ियों तक स्मरण रहे। उन्होंने कहा कि जिले में किसी भी अन्य जिलों की तुलना में सरकारी जमीन पर्याप्त है इसलिए संभावनाएं भी बहुत हैं, उन्होंने समवर्ती राजनीति पर कटाक्ष करते हुए कहा कि जिला राजनीतिक व्यक्तियों की दृष्टि शून्यता का शिकार है। चंदेल ने याद किया कि 25 जून 1998 को जिला बनने के बाद भी विकास के केन्द्र 2003 से बनने आरंभ हुए। जब मुख्यमंत्री रमन सिंह के कार्यकाल में कलेक्ट्रेट, जिला पंचायत, जिला अस्पताल, पॉलीटेक्निक कॉलेज, 11 वीं बटालियन, केन्द्रीय विद्यालय, कृषि विज्ञान केन्द्र और कृषि महाविद्यालय के भवन बने।
नारायण चंदेल ने कहा कि जांजगीर चांपा जिले को एजुकेशन हब बनाना उनका लक्ष्य है। यहां उद्योग से ज्यादा संभावना इसी चीज की है, उन्होंने कहा कि खोक्सा ओवर ब्रिज के बाद जांजगीर चांपा के बीच चौड़ी सड़क और हसदेव नदी पर गेमन पुल को नवनिर्मित कर फोर लेन पुल बनाने के लिए केन्द्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी से तकनीकी पहलुओं पर सकारात्मक चर्चा हो चुकी है।  इस मुलाकात के बाद दोनों ही आवश्यक विकास कार्यो को समय रहते पूरा कराना मेरी प्राथमिकता है। इसके साथ ही रेल मंत्री अश्वनी वैष्णव से नहरिया बाबा फुट ओव्हर ब्रिज और नैला बलौदा रेल्वे क्रासिंग पर ब्रिज बनाने के लिए मांग कर दी गई है। तथा लगातार स्मरण पत्र के जरिए इसे भी जल्दी मूर्तरुप में लाकर जनता को राहत देने के प्रयास जारी हैं।

चंदेल ने पूर्व प्रभारी डी पुरंदेश्वरी की बात का उल्लेख किया कि अटल जी ने छत्तीसगढ़ तश्तरी में परोस कर दिया है. और जो आसानी से मिल जाए उसकी कदर नहीं होती यही छत्तीसगढ़ अपने साथ कर रहा है, तेलंगाना आंदोलन का इतिहास शहादत और संघर्ष से भरा है। बरसों बरस संघर्ष के बाद तेलंगाना बना पर छत्तीसगढ़ के बाद उन्होंने कहा कि पुरंदेश्वरी का कहना यह था कि राज्य अपनी असीम संभावनाओं को पहचान नहीं पाया है जिस दिन ऐसा हुआ देश का सर्वक्षेष्ठ राज्य छत्तीसगढ़ होगा।

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अशासकीय संकल्प में फंसाया

चंदेल ने कहा कि राजनीति के मंच से की गई घोषणाओं को क्रियान्वित करा पाना टेढ़ी खीर है, उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने यहां मेडिकल कॉलेज की घोषणा तो कर दी पर दो साल तक प्रस्तावों में शामिल ही नहीं किया। तब तरकीब लगाई गई और मेडिकल कॉलेज की स्थापना के लिए विधानसभा में मैने अशासकीय संकल्प पेश कर दिया अब या तो कांग्रेस संकल्प का विरोध करती या प्रस्ताव की दिशा में काम करती।
दवाब संकल्प को वापस लेने का भी बनाया गया पर इस पर समझौता तो हो ही नहीं सकता था। तब जाकर ध्वनि मत से संकल्प पास किया गया और अब केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडविया से निरंतर संवाद जारी है। ताकि स्वास्थ्य के क्षेत्र में जिला अग्रणी हो सके, मेडिकल कॉलेज इस पूरे क्षेत्र की विकास गाथा का नया कलेवर होगी जो पीढ़ियों तक फायदेमंद रहेगा।

लक्खीराम जी और टिकट की दावेदारी

चंदेल ने कहा कि पहली बार टिकट लेने का प्रयास 93 में किया पर सफलता नहीं मिली। लेकिन 98 में भाजपा के पितृपुरुष लक्खीराम अग्रवाल से खरसिया में मिलकर फिर चांपा विधानसभा के लिए दावेदारी पेश की। तब कहा गया कि पामगढ़ ज्यादा उपयुक्त है, सोच कर बताओ। अगले दिन फिर सामने उपस्थित हुए तो अर्जी मान ली गई और टिकट चांपा से दे दिया गया। चुनाव लड़ने के लिए जमीन बेची, मित्रों से मदद ली पर सामना आर्थिक रुप से सुदृढ़ कांग्रेस प्रत्याशी से था। तमाम शंकाओं के बीच परिणाम पक्ष में आया और अविभाजित मध्यप्रदेश में चांपा क्षेत्र के विधायक के रुप में भोपाल विधानसभा किसान का बेटा जा पहुंचा।

डॉक्टर शंकित मशीन तो खराब नहीं ?

चंदेल ने कहा कि हार जीत संघर्ष के अकाट्य हिस्से हैं और उससे विचलित या उत्साहित ना होकर संयम रखना राजनीति की प्रथम शर्त है, उन्होंने एक वाकये का जिक्र करते हुए कहा कि 2013 में मतदान की पुर्व रात्रि वो एक डॉक्टर से मिलने गये, डॉ ने बीपी टटोली तो 120/80 निकली। डॉ हतप्रभ उन्होंने मशीन चेक कर दुबारा नाप लिया रिजल्ट वही डॉ ने मतदान के ठीक पहले इतना सामान्य कोई कैसे हो सकता है। तब जवाब दिया गया कि मै कार और कटोरी दोनों के लिए तैयार हूं। यानि जीत हो या हार इस पर बस नहीं है कर्म में कमी नहीं की यही आश्वस्ति बीपी में दिख रही है।

मीसाबंदी पिता और झंझावातों में परिवार

प्रारंभिक जीवन की स्मृतिगाथा में श्री चंदेल ने कहा कि वैचारिक और राजनीतिक विचारधारा उन्हे विरासत में मिली है। पिता जनसंघ और आरएसएस से जुड़े थे. बड़े भाई गौरीशंकर शाखा के तृतीय वर्ग के लिए नागपुर से दीक्षित हो चुके थे तभी अचानक इमरजेंसी आ गई, पिता स्व जंगीराम चंदेल अरेस्ट हो गये, उन्होंने उन्नीस माह बिलासपुर जेल में बिताए संयुक्त और बड़ा सामान्य कृषक परिवार और व्यापार के नाम पर पान का ठेला, पूरा परिवार आक्रांत और झंझावातों में घिर गया, माह में एक दिन पिता से मिलने पूरा परिवार सुबह की एकमात्र पैसेंजर ट्रेन से बिलासपुर जेल जाया करता था। तब आठवीं पढ़ रहे बालक के मन ये सवाल अक्सर उठता कि आखिर पिता का अपराध क्या है. राजनीतिक सिद्धांत में असहमति की सजा ऐसी क्यों होनी चाहिये ?

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