SHARDIYA NAVRATRI 2025 : नवमी पर माँ सिद्धिदात्री की आराधना से खुलते है सिद्धि और मोक्ष के द्वार

दुर्गा पूजा
नवरात्रि के नौवें दिन माँ दुर्गा के सिद्धिदात्री स्वरूप की आराधना की जाती है। यह दिन नवरात्रि का अंतिम दिन होता है और बहुत ही पवित्र माना जाता है। माँ सिद्धिदात्री सभी सिद्धियों और शक्तियों की दात्री हैं। इनकी उपासना से भक्त को अद्भुत शक्तियों, ज्ञान और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
नवरात्रि के नौवें दिन की अधिष्ठात्री देवी हैं – माँ सिद्धिदात्री। इनका स्वरूप अति सुंदर, सौम्य और कल्याणकारी है। वे कमल पुष्प पर विराजमान रहती हैं। उनके चार भुजाएँ हैं – एक में चक्र, दूसरे में गदा, तीसरे में शंख और चौथे हाथ में कमल रहता है।
कथा
सृष्टि के आदि काल में जब ब्रह्मांड का निर्माण होना था, तब ब्रह्मा जी को सृष्टि रचना के लिए शक्ति की आवश्यकता हुई। वे ध्यान में बैठे और आदि शक्ति दुर्गा का आह्वान किया। उस समय शक्ति ने माँ सिद्धिदात्री के रूप में प्रकट होकर ब्रह्मा को शक्ति प्रदान की। माँ सिद्धिदात्री ने ही ब्रह्मा, विष्णु और महेश को उनकी-उनकी शक्तियाँ प्रदान कीं। इन्हीं की कृपा से त्रिदेव जगत की रचना, पालन और संहार करने में समर्थ हुए। पुराणों में उल्लेख है कि सिद्धिदात्री देवी के पास आठ महान सिद्धियाँ और नौ निधियाँ हैं।
ये आठ सिद्धियाँ हैं –
1. अणिमा (सूक्ष्मतम रूप धारण करना)
2. महिमा (अनंत रूप धारण करना)
3. गरिमा (भारी से भारी रूप लेना)
4. लघिमा (हल्का होना)
5. प्राप्ति (मनचाहा पाना)
6. प्राकाम्य (इच्छा पूर्ति)
7. ईशित्व (सर्वत्र शासन करने की क्षमता)
8. वशित्व (सबको वश में करने की क्षमता)
माँ सिद्धिदात्री की उपासना करने वाले भक्त को ये सभी सिद्धियाँ प्राप्त होती हैं। यही कारण है कि इन्हें सिद्धिदात्री कहा जाता है।
कथा का महत्व
यह कथा हमें बताती है कि जीवन में ज्ञान और शक्ति के बिना कोई भी कार्य संभव नहीं। माँ सिद्धिदात्री हमें यह संदेश देती हैं कि शक्ति का सदुपयोग सृष्टि और समाज के कल्याण हेतु करना चाहिए। जो भक्त श्रद्धा से नवमी के दिन माँ सिद्धिदात्री की पूजा करते हैं, उनके जीवन से दुख-कष्ट दूर होते हैं और उन्हें आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त होती है।
नवमी व्रत और कन्या पूजन
नवमी के दिन कन्या पूजन का विशेष महत्व है। माना जाता है कि कन्याएँ स्वयं माँ दुर्गा का स्वरूप हैं। भक्त 9 कन्याओं और एक छोटे बालक (लंगूर) को भोजन कराते हैं और उनका आशीर्वाद लेते हैं। इससे माँ सिद्धिदात्री विशेष रूप से प्रसन्न होती हैं और भक्त को सभी सिद्धियाँ और मोक्ष प्रदान करती हैं।
पूजन विधि
1. प्रातः स्नान करके घर के पूजा स्थल को शुद्ध करें।
2. माँ सिद्धिदात्री की प्रतिमा/चित्र पर गंगाजल छिड़कें और लाल/पीले वस्त्र अर्पित करें।
3. कलश, दीपक, धूप और पुष्प से पूजन करें।
4. लाल फूल, कमल और बिल्व पत्र माँ को विशेष प्रिय हैं।
5. सुगंधित धूप, कपूर और घी का दीपक जलाएं।
6. नारियल, फल, पान और सुपारी अर्पित करें।
7. नवमी तिथि पर कन्या पूजन (कन्या भोज) का विशेष महत्व है। 9 छोटी कन्याओं और 1 छोटे बालक को भोजन कराकर, दक्षिणा और उपहार दें।
8. अंत में दुर्गा सप्तशती या देवी मंत्रों का पाठ करें।
सिद्धिदात्री का मंत्र
ॐ देवी सिद्धिदात्र्यै नमः॥
इस मंत्र का जप करने से भक्त को आध्यात्मिक उन्नति, आत्मबल और सिद्धियों की प्राप्ति होती है।
नवमी पूजन का महत्व
जीवन में समृद्धि और शांति आती है।
सभी बाधाएँ और कष्ट दूर होते हैं।
भक्ति और मोक्ष मार्ग की प्राप्ति होती है।
नवमी पर कन्या पूजन करने से माँ दुर्गा विशेष रूप से प्रसन्न होती हैं।