
छत्तीसगढ़ में इतिहास! आत्महत्या रोकथाम पर पहली मनोविज्ञान पीएचडी
खैरागढ़ / छत्तीसगढ़ के खैरागढ़ जिले के लिए यह गर्व का विषय है कि जिले के निवासी नरेंद्र सोनी को भारती विश्वविद्यालय दुर्ग के कला एवं मानविकी संकाय अंतर्गत मनोविज्ञान विषय में डॉक्टर ऑफ फिलॉसफी (PhD) की उपाधि प्रदान की गई है। यह जिले में मनोविज्ञान विषय पर पहली पीएचडी है, जो एक अत्यंत गंभीर सामाजिक विषय पर आधारित है।
नरेंद्र सोनी का शोध विषय “आत्महत्या की समस्या का सामाजिक, मनोवैज्ञानिक एवं विधिक अध्ययन” रहा, जो प्रदेश स्तर पर इस विषय पर किया गया पहला व्यापक शोध माना जा रहा है।

उच्च शिक्षा मंत्री ने प्रदान की उपाधि
छत्तीसगढ़ शासन के उच्च शिक्षा मंत्री टंक राम वर्मा ने नरेंद्र सोनी को पीएचडी की उपाधि प्रदान की। विश्वविद्यालय प्रबंधन ने उनके शोध कार्य को समाजोपयोगी, समयानुकूल और उच्च गुणवत्ता वाला बताते हुए सराहना की।
शोध की खास बातें
अपने शोध में नरेंद्र सोनी ने आत्महत्या के सामाजिक और मनोवैज्ञानिक कारणों, इसके रोकथाम के प्रभावी उपायों तथा इससे जुड़े कानूनी प्रावधानों का गहन विश्लेषण किया है। यह शोध समाज में बढ़ती आत्महत्या की घटनाओं को समझने और उन्हें रोकने की दिशा में एक महत्वपूर्ण दस्तावेज साबित हो सकता है।
चिंताजनक आंकड़े भी किए प्रस्तुत
नरेंद्र सोनी ने बताया कि राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के अनुसार भारत में प्रतिवर्ष लगभग 1 लाख 80 हजार लोगों की मृत्यु आत्महत्या के कारण होती है। यह देश में मौत का चौथा सबसे बड़ा कारण है। इन आंकड़ों में स्कूली बच्चों, किशोरों और युवाओं की संख्या चिंताजनक रूप से अधिक है।
जागरूकता का माध्यम बनेगा शोध
पीएचडी उपाधि प्राप्त करने के बाद नरेंद्र सोनी ने कहा कि उनका यह शोध युवाओं और ग्रामीण क्षेत्रों में मानसिक स्वास्थ्य को लेकर जागरूकता फैलाने में सहायक बनेगा। उन्होंने आशा व्यक्त की कि यह अध्ययन नीति निर्माताओं, शिक्षण संस्थानों और समाज के लिए मार्गदर्शक सिद्ध होगा।
यह उपलब्धि न केवल खैरागढ़ जिले बल्कि पूरे छत्तीसगढ़ के लिए गौरव का विषय है।





