छत्तीसगढ़

DALHA PAHAD NAG PANCHMI 2024 : नागपंचमी का ऐसा मेला, जहां कुंड का पानी पीने से दूर हो जाती है सब बीमारी

Chhattisgarh

जांजगीर-चांपा / छत्तीसगढ़ के जांजगीर चांपा जिले के अकलतरा के पास दलहा पहाड़ स्थित है। तथा जांजगीर चांपा से दलहा पहाड़ की दूरी लगभग 25 किलोमीटर है। जहां आप बड़ी आसानी से अपने पूरे परिवार के साथ इस धार्मिक स्थल में घूमने जा सकते हैं।

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दलहा पहाड़ अपनी खूबसूरत धार्मिक स्थल के लिए जानी जाती हैं। पहाड़ के बारे में यहां के स्थानीय लोगों द्वारा बहुत सी कहानीयां तथा चमत्कार के किस्से सुनने को मिलते हैं। माना जाता है कि पहाड़ के ऊपर स्थित बहुत से प्राचीन मंदिर रामायण तथा महाभारत काल के समय के हैं। जिसे यहां के स्थानीय लोग एक चमत्कार का प्रतीक मानते हैं। तथा लोग इस स्थल को एक पवित्र एवं चमत्कारीक धार्मिक स्थल के रूप में जानते हैं।

दल्हा पहाड़ में मुनि का आश्रम और सूर्यकुंड प्रसिद्ध है। यहां प्रतिवर्ष नाग पंचमी के अवसर पर गांव समिति द्वारा विशाल मेले का आयोजन किया जाता है। साल के एक दिन नागपंचमी पर इस कुंड की महत्ता सबसे ज्यादा होती है। इसका पानी पीने हजारों लोग जंगलों, पर्वतों और पत्थरों से भरे रास्ते पैदल आते हैं। लंबा रास्ता तय करने के बाद चार किलोमीटर की सीधी चढ़ाई चढ़नी पड़ती है। यहां के स्थानीय लोगों के मुताबिक, ऐसी मान्यता है कि नागपंचमी के दिन कुंड का पानी पीने से लोगों का स्वास्थ्य ठीक रहता है। लोगों में किसी भी प्रकार की बीमारी हो, यहां का पानी पीने से चली जाती है। इसलिए हर साल हजारों की तादाद में श्रद्धालु भक्त नागपंचमी के दिन इस कुंड का पानी पीने कई किलोमीटर दूर से पैदल चलकर आते हैं।

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यहां घने जंगल के अंदर से जब श्रद्धालु आते हैं तो उन्हें कटीले पौधों और पथरीली पहाड़ों से होकर गुजरना पड़ता है। कितने श्रद्धालुओं के पैरों में कांटे गड़ते हैं, इस जंगल में कीड़े और सांप भी रहते हैं। लेकिन श्रद्धालु भक्त बगैर डरे अपनी मंजिल की ओर बढ़ते चले जाते हैं। चार किलोमीटर की ऊंचाई चढ़ने के बाद यहां नागेश्वर मंदिर, विशेश्वरी व नागेश्वरी देवी का मंदिर और चतुर्भुज मैदान व तालाब है। यहां एक रहस्यमयी गुफा भी है। यह कहां खुलता है, इसका पता अभी तक कोई भी नहीं लगा सका है।

इस पहाड़ से बहुत सारी धार्मिक मान्यताएं जुड़ी है जिनमे माना जाता है की दलहा बाबा आज भी इस पहाड़ में विराजमान है। बताया जाता है की यंहा पहले मुनि जी का आश्रम हुआ करता था। कुछ लोगों का यह भी मानना है कि पहाड़ के ऊपर 10 कुंड तथा 2 तालाब हुआ करता था। जिसमें उसे समय मंदिरों की पूजा अर्चना करने के लिए कुंड के जल का उपयोग किया जाता था। लेकिन अभी पहाड़ के ऊपर केवल 8 कुंड एवं एक तालाब स्थित है जो यह सिद्ध करती है कि यह कहानी सत्य है।

आपको बता दें कि दलहा पहाड़ की ऊंचाई लगभग 700 मीटर है। ऐसा कहा जाता है कि दलहा पहाड़ का निर्माण एक विशाल ज्वालामुखी के फटने के कारण हुआ था। जिसे यहां पर अधिक मात्रा में चूना पत्थर देखने को मिल जाता है। यह कहानी यहां के बहुत से स्थानीय लोगों द्वारा सुनने को मिल जाती है। दूसरा यह है कि पहाड़ के ऊपर दलहा बाबा का निवास स्थान हुआ करता था। जो बहुत ही प्राचीन था, बाबा द्वारा पहाड़ के ऊपर स्थित मंदिरों की पूजा अर्चना तथा स्थानीय लोगों को उपदेश दिए जाते थे। बाबा इस पहाड़ी के ऊपर तपस्या करते थे जिसके कारण इस पहाड़ का नाम दलहा पहाड़ पड़ा।

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दलहा पहाड़ आने के बाद आप स्थल को केवल धार्मिक स्थल ना समझे क्योंकि यह स्थल एक खूबसूरत प्राकृतिक पर्यटन स्थल भी हैं। पहाड़ के ऊपर शांत वातावरण घने जंगल एवं कल-कल करते झरने तथा नदिया इसकी सुंदरता में चार चांद लगाती हैं। लोग यहां प्रतिवर्ष अपने परिवार तथा दोस्तों के साथ पिकनिक बनाने भी आते हैं। इसकी घने हरे भरे पेड़ पौधे से मन को सुकून तथा एक शांति का अनुभव आपको मिलेगा। ऐसा मनोरम दृश्य मानो आप किसी स्वर्ग में आ गए है। यहां पर्यटक आकर पहाड़ के ऊपर धार्मिक अनुभव के साथ-साथ मनोरंजन का भी आनंद उठाते हैं।

दलहा पहाड़ कैसे पहुचे?
यदि आप दलहा पहाड़ की खूबसूरती का आनंद लेने के लिए जांजगीर चांपा जिला आते हैं तो हमने नीचे यहां आने के लिए निम्न यात्रा के साधन बताए हैं इसकी सहायता से आप बड़ी आसानी से की खूबसूरती का आनंद ले सकते हैं।

सड़क मार्ग द्वारा: आप छत्तीसगढ़ के किसी भी जिले से सड़क मार्ग द्वारा बस, कार, मोटरसाइकिल की सहायता से बड़ी आसानी से दलहा पहाड़ पहुंच कर यहाँ की सुंदरता का आनंद उठा सकते हैं।

रेल मार्ग द्वारा: आप अपने निकटतम रेलवे स्टेशन से रेल मार्ग द्वारा अकलतरा रेलवे स्टेशन तक की यात्रा सफल कर इस अद्भुत पर्वतीय स्थल का लुफ्त उठाने आ सकते हैं।

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