JANJGIR CHAMPA : 9 साल के अंशुमान के पास है, सालों पुराने सिक्कों का कलेक्शन..
Janjgir Champa
जांजगीर-चांपा / इसे शौक कहा जाए, इसे धुन कहा जाए, इसे लगन कहा जाए या कुछ और छोटी सी उम्र में शौक भी ऐसा कि देखने वाले दंग रह जाएं और देखने वालों की सोच से बहुत ऊपर। 9 वर्षीय अंशुमान श्रीवास का दुर्लभ सिक्कों को इकट्ठा करने के प्रति ऐसा जुनून है जिसे देखकर न केवल लोग हैरान होते हैं बल्कि तारीफ भी करते हैं। कुछ सालों के अंदर अंशुमान ने देश के दुर्लभ सिक्कों का खजाना इकट्ठा कर लिया है।
जिला मुख्यालय से लगे गांव सरखों के अंशुमान श्रीवास वीणा वादनी स्कूल में कक्षा तीसरी का छात्र है, अंशुमान बताता है कि इन सिक्कों को इकट्ठा करने में दीदी अहाना और पापा ने मेरी मदद की है। पापा ने दुर्लभ सिक्कों के प्रति मेरी जिज्ञासा देखकर सिक्के इकट्ठे करने में मेरी मदद की।
अंशुमान के पिता अमरीश श्रीवास का कहना है कि जब बेटे ने दुर्लभ सिक्के इकट्ठे करने शुरू किए तो पहले हमें लगा कि कही इसी में उलझ कर ना रह जाए, लेकिन इसने अपने समय का सदुपयोग कर शौक को पूरा किया है। लेकिन जब उसे सिक्कों के साथ ही सिक्कों के समय के बारे में जानकारी जुटाता देखा तब हमने भी उसका सहयोग करना शुरू कर दिया, अब मुझे भी लगता है कि सिक्कों में अपने समय का इतिहास भी प्रदर्शित होता है।
सिक्कों के माध्यम से ही शासन तंत्र की आर्थिक, सांस्कृतिक, राजनीतिक, कला और वैभव के बारे में पता चलता है। सिक्कों को देखकर पता चलता है कि द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान मेटल की कमी के कारण मेटल में छेद कर मुद्रा निकाला गया और चांदी की कीमत अधिक होने के कारण द्वितीय विश्व युद्ध के बाद से पीतल, तांबे और एल्युमिनियम का उपयोग होने लगा।