जांजगीर चाम्पाभक्ति

JANJGIR CHAMPA : चांदी की पालकी में धूमधाम से निकलेगी बाबा कालेश्वरनाथ की बारात, पीथमपुर में देशभर से पहुंचे नागा साधु

Chhattisgarh

जांजगीर-चांपा / जिले में एक ऐसा गांव है जहां रंग पंचमी को लाखों की संख्या में लोग जुड़ते हैं। यहां मेला और नागा साधु संत समागम होता है और शिव जी की बारात निकलता है। मंदिर से चांदी की पालकी में सवार होकर पंचमुखी महादेव अपने श्रद्धालुओं के साथ निकलते हैं और नागा साधु संत मिलकर इस बारात में शामिल होते हैं। इस नजारा को देखने के लिए लोगों को साल भर से इंतजार रहता है।

images 2024 03 30T145215.600 Console Crptech

जांजगीर-चांपा जिलान्तर्गत जिला मुख्यालय से 11 कि. मी. और दक्षिण पूर्वी मध्य रेल्वे के चांपा जंक्शन से मात्र 8 कि. मी. की दूरी पर नवागढ़ ब्लाक में हसदेव नदी के दक्षिणी तट पर पीथमपुर में कालेश्वरनाथ का मंदिर है। इस मंदिर की मान्यता है कि शिव लिंग स्वयं-भू है और इसके द्वार पर मांगी गई हर मांग पूरी होती है। सावन में माह भर और शिवरात्रि में शिव जी की विशेष पूजा और श्रृंगार किया जाता है, लेकिन होली के पांचवें दिन यानी रंग पंचमी के दिन स्वयं भोले नाथ अपने श्रद्धालुओं के बीच पहुंचते हैं और उनकी मनोकामना पूरी करते हैं।

जानकारों के मुताबिक, यहां 100 साल से भी अधिक समय से निकलती आ रही है। बाबा कलेश्वर नाथ के मंदिर से शिव की बारात कब से निकल रही है, इस पर जानकारों का मानना है कि सन 1920 से शिव बारात निकाली गई और चाम्पा जमींदार इस परम्परा का आज भी निर्वहन करते आ रहे हैं।

images 2024 03 30T145112.176 Console Crptech

बताया जाता है। कि पीथमपुर के कालेश्वरनाथ की फाल्गुन पूर्णिमा को पूजा-अर्चना और अभिषेक करने से वंश की अवश्य वृि़द्ध होती है। खरियार (उड़ीसा) के जिस जमींदार को पेट रोग से मुक्ति पाने के लिए पीथमपुर की यात्रा करना बताया गया है। वे वास्तव में अपने वंश की वृिद्ध के लिए यहां आये थे। समय आने पर कालेश्वरनाथ की कृपा से उनके दो पुत्र आरतातनदेव और विजयभैरवदेव तथा दो पुत्री कनक मंजरी देवी और शोभज्ञा मंजरी देवी का जन्म हुआ। वंश वृिद्ध होने पर उन्होंने पीथमपुर में एक मंदिर का निर्माण कराया लेकिन मंदिर में मूर्ति की स्थापना के पूर्व 36 वर्ष की अल्पायु में सन् 1912 में उनका स्वर्गवास हो गया। बाद में मंदिर ट्रस्ट द्वारा उस मंदिर में गौरी (पार्वती) जी की मूर्ति स्थापित करायी गयी।

images 2024 03 30T162421.584 Console Crptech

बताया जाता है कि यहां एक किंवदंति और प्रचलित है जिसके अनुसार एक बार नागा साधु के आशीर्वाद से कुलीन परिवार की एक पुत्रवधू को पुत्ररत्न की प्राप्ति हुई। इस घटना को जानकर अगले वर्ष अनेक महिलाएं पुत्ररत्न की लालसा लिए यहां आई जिससे नागा साधुओं को बहुत परेशानी हुई और उनकी संख्या धीरे-धीरे कम होने लगी। कदाचित् इसी कारण नागा साधुओं की संख्या कम हो गयी है। लेकिन यह सत्य है कि आज भी अनेक दंपत्ति पुत्र कामना लिए यहां आती हैं और मनोकामना पूरी होने पर अगले वर्ष जमीन पर लोट मारते दर्शन करने यहां जाते हैं। पीथमपुर के कालेश्वरनाथ की लीला अपरम्पार है।

images 2024 03 30T145239.834 Console Crptech

यहां नागा साधु का शौर्य प्रदर्शन और शाही स्नान होता है, जो आकर्षण का केंद्र है। हसदेव नदी के तट में बसे पीथमपुर गांव में आज रंग पंचमी मनाया जा रहा है।। पीथमपुर में निकलने वाली शिव बारात की तैयारी शुरु कर दी गई है। नागा साधुओं का आगमन हो गया है और मेला के लिए भी तैयारी की जा रही है। बाबा कलेश्वर नाथ की बारात में सबसे आकर्षक दूल्हा याने भोले भंडारी और उनकी पालकी ही होती है।

images 94 1 Console Crptech

जानकारों के मुताबिक, इस पालकी को 1930 के दशक में राजा दादूराम शरण सिंह के समय रानी उपमा कुमारी ने चांदी की पालकी बनवाई थी। मंदिर परिसर में रहते समय उन्हें किसी विद्वान ने चांदी की पालकी में शिव बारात निकालने की सलाह दी और रानी ने बनारस से डेढ़ क्विंटल चांदी की पालकी बनवाई इससे आज भी शिव जी की बारात निकालने की परंपरा है और पंच धातु से बने शिव जी की पंचमुखी प्रतिमा भी स्थापित करते हैं। जय बाबा कालेश्वर नाथ

Related Articles

Back to top button
शिल्पा शेट्टी ने कही कुछ अनकही बातें