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KARTIK PURNIMA 2023 : कार्तिक पूर्णिमा पर उमड़ा आस्था का जनसैलाब, लाखों श्रद्धालुओं ने लगाई डुबकी

National News

कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर आस्था की एक डुबकी लगाने के लिए श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ा हुआ है। दूर-दूर से आये हजारों श्रद्धालु गंगा की धारा में डुबकी लगाने के बाद सूर्य को अर्ध्य दे रहे हैं।

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कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर देश में लाखों की संख्या में श्रद्धालुओं ने सोमवार को गंगा- यमुना में आस्था की डुबकी लगायी।

हिंदू धर्म में कार्तिक पूर्णिमा का विशेष महत्व माना जाता है। कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को कार्तिक पूर्णिमा कहते हैं। इस दिन पवित्र नदी में स्नान कर के दीपदान एवं दान करने का खास महत्व होता है।

कहा जाता है. की इस दिन भगवान शिव ने त्रिपुरासुर का अंत किया था। इसी कारण से इसे त्रिपुरी पूर्णिमा भी कहते हैं, जिसकी खुशी में देवताओं ने हजारों दीप जलाकर दिवाली मनाई थी। जो आज भी देव दिवाली के रूप में मनाई जाती है। साथ ही सिखों के लिए भी ये दिन खास होता है क्योंकि इस दिन गुरु नानक जयंती होती है। इस दिन को दामोदर के नाम से भी जाना जाता है। यह भगवान विष्णु का ही एक नाम है। कार्तिक पूर्णिमा का दिन काफी पवित्र और शुभ माना जाता है। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने से पुण्य फल की प्राप्ति होती है।

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देश में ऐसा कोई गंगा घाट नहीं है, जहां हजारों, लाखों की संख्या में श्रद्धालु स्नान नहीं कर रहे हैं। सुबह से ही गंगा घाटों पर लोगों की भीड़ देखी गई। कार्तिक पूर्णिमा के मौके में देर रात से ही ग्रामीण क्षेत्रों से बड़ी संख्या में लोगों के आने का सिलसिला शुरू हो गया, जो अभी तक जारी है। सुबह होते ही श्रद्धालु ‘हर-हर गंगे, जय गंगा मैया, हर हर महादेव’ के जयकारे के साथ गंगा में डुबकी लगाने लगे। स्नान के बाद लोगों ने विभिन्न मंदिरों में पूजा-अर्चना की और दान किया। मंदिरों में भी अन्य दिनों की अपेक्षा पूजा-अर्चना करने वालों की संख्या में वृद्धि देखी जा रही है।

कार्तिक पूर्णिमा पर क्या करें?

कार्तिक मास, विशेषकर कार्तिक पूर्णिमा अत्यंत पवित्र है। इस दिन भक्त अनुष्ठानों में भाग लेते हैं, जिसमें पवित्र नदियों में स्नान करना और मुक्ति के लिए प्रार्थना करना शामिल है।

कार्तिक पूर्णिमा अंधकार को दूर करने और आध्यात्मिक ज्ञान की शुरुआत का प्रतीक है। एक उज्ज्वल और सात्विक जीवन के लिए आशीर्वाद का आह्वान करते हुए, टिमटिमाती लौ परमात्मा को एक भेंट है।

कार्तिक पूर्णिमा अनुष्ठान के दौरान घी, वस्त्र और अन्य वस्तुएं अर्पित की जाती हैं। प्रसाद भक्ति, समर्पण और किसी की संपत्ति को परमात्मा के साथ साझा करने का प्रतिनिधित्व करता है।

27 नवंबर को भीष्म पंचक समाप्त होने के साथ, देश भर के भक्तों को कार्तिक पूर्णिमा का आध्यात्मिक अनुभव महसूस होता रहेगा।

 

 

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