जांजगीर चाम्पा

पिहरीद के स्कूल से डीलिट् तक की राह में नर और नारायण की सेवा ही लक्ष्य रहा : महंत रामसुंदर दास

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प्रेस से मिलिए कार्यक्रम में पहुंचे दूधाधारी मठ के प्रमुख और पूर्व विधायक

जांजगीर-चाम्पा / संस्कृत बोर्ड के प्रथम अध्यक्ष और राजस्थान महाराष्ट्र एवं छत्तीसगढ़ के कई मठों के प्रमुख महंत रामसुंदर दास ने प्रेस से मिलिए कार्यक्रम में पत्रकारों से सहृदयता से चर्चा करते हुए अपने जन्म से लेकर गौ सेवा आयोग के वर्तमान अध्यक्ष के पद तक की यात्रा का मनोरंजक संस्मरण साझा किया , डॉ की उपाधि धारित महंत रामसुंदर दास की स्मरण शक्ति इतनी तेज है कि उन्हें अपने जीवन के महत्वपूर्ण पड़ाव दिन तिथि प्रहर तथा घंटे के आंकड़ों में याद हैं , संस्मरण के दौरान संस्कृत महाविद्यालय रायपुर में प्रथम प्रवेश की तारीख भी उनके मानसपटल पर जस की तस अंकित है।राजेश्री ने यह भी बताया कि उनके माता पिता स्वस्थ हैं और उनका सानिध्य उन्हें प्रेरणा दे रहा है, मातापिता की चौथी संतान के रुप जन्म के पश्चात अध्ययन के लिए मैट्रिक के बाद पिता की इच्छा के अनुरुप पुश्तैनी पुरोहिती प्रथा को कायम रखने के उद्देश्य से संस्कृत अध्ययन का विचार उनके जीवन में क्रांतिकारी परिवर्तिन का कारक बना  ये संस्कृत अध्ययन की ललक ही थी जिससे मालखरौदा के पिछड़े क्षेत्र के अंतिम छोर में बसे गांव पिहरीद का बालक रायपुर जा पहुंचा । इसके बाद संस्कृत संस्कृति और आधात्म के मार्ग पर ऐसे अग्रसर हुए कि राज्य के प्रमुख धार्मिक स्थलों के अधिष्ठाता बन चुके हैं, दूधाधारी मठ के मुख्य के अतिरिक्त छत्तीसगढ़ के शिवरीनारायण और राजिम जैसे महत्वपूर्ण देवालय राजेश्री के कर्तव्य स्थल हैं
पत्रकारों से चर्चा में मठप्रधान बनने के दौरान हुई मार्मिक घटनाओं के उल्लेख से ही उनके नयनकोर छलकते दिखे , गुरुप्रयाण के क्षणों का रुधें गले से बयान अभिसिक्त करने वाला रहा
उन्होने छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण के बाद संस्कृत के विकास के लिए संस्कृत बोर्ड बनने के वाकये का जिक्र किया उन्होंने बताया कि तत्कालीन मुख्यमंत्री ने कैसे त्वरित निर्णय लेकर बोर्ड की मांग को स्वीकृति दी और प्रथम अध्यक्ष के रुप में महंत रामसुंदर दास को मनोनीत करते हुए कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिया
यही सक्रिय राजनीति में प्रवेश की अन्य घटनाओं की पहली कड़ी बनी , सन् 2003 में पामगढ़ क्षेत्र से विधायक बने जो पुन: 2008 में नये जैजेपुर क्षेत्र के प्रथम विधायक निर्वाचित होने तक जारी रहा , बीच में आया अंतराल जन सेवा गौ सेवा और संस्कृति सेवा के कार्य में बाधक नहीं बन पाया और नर नारायण सेवा में समर्पित महंत रामसुंदर दास की यात्रा जारी है
कार्यक्रम का आरंभ मां सरस्वती की पूजा से हुआ जिसके बाद पत्रकारों द्वारा शाल श्रीफल और पुष्पगुच्छ से अतिथियों का स्वागत किया गया

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