राजीव गांधी विश्वविद्यालय में ‘नवसाक्षर लेखन कार्यशाला’ का तीसरा दिन सफल—मिदपू गांव में हुआ क्षेत्र परीक्षण, पाठकों ने दी प्रत्यक्ष प्रतिक्रिया

दोईमुख, ईटानगर / राजीव गांधी विश्वविद्यालय, हिंदी विभाग तथा राष्ट्रीय पुस्तक न्यास, भारत (NBT) के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित प्रथम ‘नवसाक्षर लेखन कार्यशाला’ का आज तीसरा और अंतिम दिन सफलतापूर्वक संपन्न हुआ। 12 से 14 नवंबर 2025 तक चली इस तीन दिवसीय कार्यशाला में प्रतिभागी लेखक समृद्ध अनुभवों के साथ लौटे।
मिदपू गांव में क्षेत्र परीक्षण — पाठकों ने सुनकर रखी अपनी राय
कार्यशाला के तीसरे दिन लेखकों की तैयार कहानियों का क्षेत्र परीक्षण अरुणाचल प्रदेश के मिदपू गाँव में किया गया।
यहाँ बड़ी संख्या में छात्र-छात्राओं व नवसाक्षरों ने उपस्थिति दर्ज कराई। लेखकों ने अपनी कहानियाँ स्वयं सुनाईं, जिन पर उपस्थित पाठकों ने सीधे प्रतिक्रिया देते हुए सुझाव भी साझा किए।

यह प्रक्रिया प्रतिभागियों के लिए बिलकुल नया अनुभव था, क्योंकि कहानी लेखन को जमीनी स्तर पर पाठकों के साथ जोड़कर परखा गया—जो इस कार्यशाला की सबसे खास विशेषता रही।
विशेषज्ञों की उपस्थिति—गहन चर्चा और मार्गदर्शन
कार्यशाला में वरिष्ठ साहित्यकार गिरीश पंकज तथा हिंदी संपादक डॉ. ललित किशोर मंडोरा ने पहले दो दिनों में तैयार की गई 15 कहानियों पर विस्तार से चर्चा की तथा रचनात्मक सुझाव दिए।
गिरीश पंकज ने प्रतिभागियों की कहानियों की प्रशंसा करते हुए कहा— “विषय, पात्र और वातावरण—सभी में विविधता है। ये कहानियाँ प्रकाशन योग्य प्रतीत होती हैं।”

राष्ट्रीय पुस्तक न्यास, भारत के परियोजना अधिकारी डॉ. ललित किशोर मंडोरा ने कहा— “NBT इंडिया का यह एक अनोखा प्रयोग है। स्थानीय लेखकों की रचनाएँ स्थानीय पाठकों के सामने रखी जाती हैं ताकि यह तय हो सके कि सामग्री छपने योग्य है या नहीं।”ग्राउंड रिपोर्ट से सशक्त हुई कार्यशाला—मिदपू गांव में पाठकों की सीधी प्रतिक्रिया
समापन सत्र—अनुभव साझा, भविष्य के लिए उत्साह
राजीव गांधी विश्वविद्यालय, हिंदी विभाग में आयोजित समापन सत्र में प्रतिभागी लेखकों ने अपने अनुभव साझा किए और भविष्य में भी ऐसी कार्यशालाओं के आयोजन की अपील की।
स्थानीय समन्वयक डॉ. ओकेन लेगो ने कहा— “NBT और विश्वविद्यालय का यह संयुक्त प्रयास पूर्वोत्तर में साहित्य को मुख्यधारा से जोड़ने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है। इसे मिशन के रूप में आगे बढ़ाया जाना चाहिए।”
कार्यशाला के अंत में राष्ट्रीय पुस्तक न्यास की ओर से डॉ. ललित किशोर मंडोरा ने विशेषज्ञ गिरीश पंकज तथा स्थानीय समन्वयक डॉ. ओकेन लेगो को सम्मान चिह्न भेंट किया।
सांस्कृतिक संध्या और विद्यार्थियों की सहभागिता ने बढ़ाई शोभा
क्षेत्र परीक्षण के बाद स्थानीय कलाकारों द्वारा एक आकर्षक संध्या का आयोजन किया गया, जिसमें सभी प्रतिभागी मंत्रमुग्ध रह गए। साथ ही, क्षेत्र के विभिन्न स्कूलों के लगभग 100 विद्यार्थी भी उपस्थित रहे। उन्होंने कहानियाँ पढ़ीं, अपनी प्रतिक्रियाएँ मंच से प्रस्तुत कीं और रचनाकारों से संवाद भी किया—जिससे यह पल सभी के लिए यादगार बन गया।






