
जानिए कैसे अमरीश पुरी ने सरकारी नौकरी से शुरू किया और बॉलीवुड में खलनायक बनकर 450+ फिल्मों में अभिनय किया। उनकी प्रमुख फिल्में, पुरस्कार और मृत्यु की पूरी खबर।
मुंबई / बॉलीवुड में कई ऐसे अभिनेता हुए हैं जिन्होंने विलेन का किरदार निभाया और अपनी एक्टिंग से अलग छाप छोड़ी। लेकिन कुछ ही अभिनेता ऐसे रहे हैं जिनके निगेटिव रोल देखने के बाद भी दर्शक उन्हें बेहद पसंद करते थे। ऐसे ही अभिनेता थे ‘मोगैम्बो’ के नाम से मशहूर अमरीश पुरी।

अमरीश पुरी का जन्म 22 जून 1932, दिल्ली में हुआ। उनकी पत्नी किरण पुरी थीं और दो बच्चे हैं। प्रतीक पुरी और पुष्पिता पुरी। उनके बेटे प्रतीक पुरी भी फिल्मों में काम कर चुके हैं।
50 साल की उम्र में उन्हें पहली बड़ी फिल्म में खलनायक की भूमिका मिली। इसके बाद उन्होंने लगभग 450 से अधिक फिल्मों में काम किया। उनकी दमदार आवाज, स्क्रीन प्रेजेंस और अभिनय की गहराई ने उन्हें बॉलीवुड का सबसे यादगार खलनायक बना दिया।
अमरीश पुरी ने ज्यादातर फिल्मों में विलेन का रोल निभाया, लेकिन इसके बावजूद दर्शक उन्हें प्यार करते थे। आज भले ही वे हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनकी फिल्मों और शानदार अभिनय की यादें आज भी लोगों के दिलों में जीवित हैं।

फिल्मी करियर और प्रमुख फिल्में
अमरीश पुरी ने अपनी अदाकारी से दर्शकों का दिल जीत लिया। उनकी प्रमुख फिल्मों में शामिल हैं:
- मि. इंडिया (1987) — मोगैम्बो
- चाची 420
- दामिनी
- गर्दिश
- गदर
- घातक
- दिलवाले दुल्हनियां ले जाएंगे
- घायल
- हीरो
- करण अर्जुन
- कोयला
- मेरी जंग
- राम लखन
- नायक
- कर्मा
- गॉडफादर
सरकारी नौकरी से थिएटर तक
अमरीश पुरी फिल्मों में आने से पहले करीब 21 साल तक कर्मचारी बीमा निगम (Employees’ State Insurance Corporation) में क्लर्क के पद पर काम करते थे। लेकिन अभिनय का शौक और थिएटर में काम करने की चाहत ने उन्हें सरकारी नौकरी छोड़ने के लिए प्रेरित किया।
उन्होंने इब्राहिम अल्काजी और सत्यदेव दुबे के मार्गदर्शन में थिएटर में काम करना शुरू किया। साल 1971 में फिल्म ‘रेशमा और शेरा’ में उन्होंने अपने अभिनय का जलवा दिखाया और दर्शकों को प्रभावित किया।

अमरीश पुरी अभिनय में बहुत गंभीर थे। उन्होंने धर्मवीर भारती के नाटक ‘अंधा युग’ में धृतराष्ट्र का किरदार निभाया, जिसमें 17 मिनट का मोनोलॉग बिना पलक झपकाए और बिना डायलॉग भूले उन्होंने पेश किया।
बॉलीवुड के यादगार डायलॉग्स
- 1. “मोगैंबो खुश हुआ…” — मिस्टर इंडिया
- 2. “डॉन्ग कभी रॉन्ग नहीं होता…” — तहलका
- 3. “जा सिमरन जा, जी ले अपनी जिंदगी…” — दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे
- 4. “जवानी में अक्सर ब्रेक फेल हो जाया करते हैं…” — फूल और कांटे
- 5. “यहां तो सभी दिलजले हैं लाले…” — दिलजले
परिवार और आगे की पीढ़ी
अमरीश पुरी ने अपने बेटे प्रतीक पुरी को फिल्म इंडस्ट्री में आने से मना किया। प्रतीक ने मर्चेंट नेवी में नौकरी की। अमरीश पुरी के पोते हर्षवर्धन पुरी आज बॉलीवुड में असिस्टेंट डायरेक्टर के रूप में काम कर रहे हैं और फिल्मों जैसे इश्कज़ादे, शुद्ध देशी रोमांस, दावत-ए-इश्क़ में योगदान दे चुके हैं।
स्वास्थ्य और निधन
अमरीश पुरी को मयेलोडिस्प्लास्टिक सिंड्रोम था। वे घर पर रहने लगे लेकिन हमेशा सक्रिय रहना चाहते थे। एक दिन अचानक गिर जाने के कारण उन्हें ब्रेन हैमरेज हुआ और 12 जनवरी 2005 को उनका निधन हो गया।
प्रेरणा और विरासत
अमरीश पुरी की कहानी यह साबित करती है कि संघर्ष, समर्पण और मेहनत से कोई भी सपना पूरा किया जा सकता है। उनके विलेन रोल, दमदार आवाज़ और स्क्रीन प्रेजेंस आज भी बॉलीवुड में अमिट हैं।
🎬 “संघर्ष और मेहनत ही आपको असली सफलता की ओर ले जाती है।” — अमरीश पुरी





