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JANMASHTAMI 2024 : देश भर में आज धूमधाम से मनाई जा रही श्री कृष्ण जन्माष्टमी, जानें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि सहित अन्य जानकारी

श्री कृष्ण जन्माष्टमी

आज देशभर में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का त्योहार मनाया जा रहा है। यह पर्व हर साल भाद्रपद महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। ऐसी मान्यताएं हैं कि यह वही तिथि है, जब भगवान विष्णु ने द्वापर युग में भगवान कृष्ण के रूप में अपना आठवां अवतार लिया था। जब जब असुरों के अत्याचार बढ़े हैं, तब तब भगवान ने पृथ्वी पर अवतार लेकर भक्तों की रक्षा कर सत्य और धर्म की स्थापना की है।

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भाद्रपद मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि की मध्यरात्रि को कंस का विनाश करने के लिए मथुरा में भगवान कृष्ण ने अवतार लिया था। इसलिए इस दिन को कृष्ण जन्माष्टमी या जन्माष्टमी का पर्व मनाते हैं। इस बार श्रीकृष्ण जन्म पर वैसा ही संयोग बन रहा जैसा द्वापर युग में उनके जन्म के दौरान था। ज्योतिष गणना के अनुसार यह भगवान श्रीकष्ण का 5251वां जन्मोत्सव है। आइए जानते हैं कि जन्माष्टमी पर आज भगवान की पूजा का शुभ मुहूर्त क्या रहने वाला है।

जन्माष्टमी के दिन श्रीकृष्ण के बाल स्वरूप की पूजा होती है। इस दिन लोग व्रत रखकर भगवान का श्रृंगार करते हैं। उन्हें पालने में झुलाते हैं, पंचामृत से स्नान कराते हैं, इस बार जन्माष्टमी का त्योहार बहुत ही खास रहने वाला है। ज्योतिषविदों का कहना है कि जन्माष्टमी पर आज एक बड़ा ही दुर्लभ संयोग बन रहा है।

जन्माष्टमी पर सालों बाद दुर्लभ संयोग
हिंदू पंचांग के अनुसार, जन्माष्टमी पर आज द्वापर युग जैसा ही संयोग बन रहा है। इस साल कृष्ण जन्माष्टमी चंद्रमा वृषभ राशि में विराजमान हैं। कहते हैं कि जब भगवान श्रीकृष्ण का जन्म द्वापर युग में हुआ था तब भी ऐसा ही योग बना था। इसके अलावा, जन्माष्टमी पर सर्वार्थ सिद्धि योग सहित शश राजयोग और गुरु-चंद्र की युति से गजकेसरी योग भी बन रहा है।

जन्माष्टमी पूजा का शुभ मुहूर्त
पूजा के लिए रात 12: 01 मिनट से 12: 45 तक का समय अति शुभ है। इसके अलावा इस तिथि में योगमाया का भी जन्म हुआ था, इस कारण यह दिन साधना के लिए भी बहुत अच्छा दिन है। इस बार काफी साल बाद अष्टमी तिथि, रोहिणी नक्षत्र व वृष राशि के चंद्र में भगवान कृष्ण जन्म लेंगे। भगवान शिव के दिन सोमवार को उनका जन्म होगा।

तिथि के अनुसार भगवान कृष्ण का जन्म भाद्रपद की कृष्णपक्ष की अष्टमी को मध्यरात्रि में हुआ था। इसलिए घरों और मंदिरों में मध्यरात्रि 12 बजे कृष्ण भगवान का जन्म उत्सव मनाते हैं। रात में जन्म के बाद दूध से लड्डू गोपाल की मूर्ति को स्नानादि कराने के बाद नए कपड़े और गहने पहनाकर शृंगार किया जाता है। फिर पालने में रखकर पूजा आदि के बाद चरणामृत, पंजीरी, ताजे फल और पंचमेवा आदि का भोग लगाकर प्रसाद के तौर पर बांटते हैं।

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