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बड़ी आतंकी साजिश नाकाम: महिला डॉक्टर समेत 8 गिरफ्तार, 2900 किलो विस्फोटक बरामद

व्हाइट कॉलर आतंकवाद का खुलासा

जम्मू-कश्मीर पुलिस ने हरियाणा, उत्तर प्रदेश और जम्मू-कश्मीर में संयुक्त कार्रवाई करते हुए एक बड़े आतंकी मॉड्यूल का भंडाफोड़ किया है। इस ऑपरेशन में पुलिस ने अब तक 8 लोगों को गिरफ्तार किया है, जिनमें लखनऊ की रहने वाली महिला डॉक्टर शाहीन शाहिद भी शामिल है।

पुलिस ने बताया कि गिरफ्तार आरोपी पाकिस्तान स्थित प्रतिबंधित आतंकी संगठनों — जैश-ए-मोहम्मद और अंसार गजवात-उल-हिंद — से जुड़े हुए थे। ये लोग दिल्ली, अहमदाबाद और उत्तर प्रदेश में बड़े हमलों की साजिश रच रहे थे।

फरीदाबाद में डॉक्टर के घर से मिला विस्फोटक

फरीदाबाद में डॉक्टर मुजम्मिल शकील के किराए के फ्लैट से पुलिस ने 350 किलो अमोनियम नाइट्रेट, AK-47 राइफल, 84 कारतूस और IED बनाने के इलेक्ट्रॉनिक कंपोनेंट्स बरामद किए। पुलिस का कहना है कि यह सामग्री बड़े आतंकी हमलों के लिए तैयार की गई थी। शकील जिस कार का इस्तेमाल करता था, वह लखनऊ निवासी महिला डॉक्टर शाहीन शाहिद की थी। उसी कार से राइफल और जिंदा कारतूस बरामद होने के बाद पुलिस ने शाहीन शाहिद को गिरफ्तार किया।

2900 किलो विस्फोटक सामग्री जब्त

अब तक की कार्रवाई में पुलिस ने कुल 2900 किलोग्राम IED बनाने वाली सामग्री बरामद की है — जिसमें रासायनिक पदार्थ, इलेक्ट्रॉनिक सर्किट, टाइमर और अन्य विस्फोटक उपकरण शामिल हैं। यह बरामदगी श्रीनगर, अनंतनाग, गांदरबल, शोपियां, फरीदाबाद, सहारनपुर और लखनऊ में छापेमारी के दौरान हुई।

‘व्हाइट-कॉलर टेरर नेटवर्क’ का खुलासा

पुलिस ने बताया कि यह आतंकी मॉड्यूल एक “व्हाइट-कॉलर टेरर इकोसिस्टम” का हिस्सा था — यानी इसमें प्रोफेशनल्स, डॉक्टर और छात्र शामिल थे, जो सामान्य जीवन जीते दिखते थे लेकिन आतंकी गतिविधियों में शामिल थे। ये आरोपी आईएसआई के विदेशी हैंडलर्स से संपर्क में थे और भारत में फंड कलेक्शन, रेडिकलाइजेशन और IED निर्माण का काम कर रहे थे।

समझिए — ‘सफेद कॉलर आतंकवाद’ क्या है?

“White Collar Terrorism” ऐसा नया पैटर्न है जिसमें शिक्षित, पेशेवर वर्ग — जैसे डॉक्टर, इंजीनियर, या समाजसेवी — विचारधारात्मक प्रभाव में आकर लॉजिस्टिक सपोर्ट, फंडिंग या तकनीकी सहायता के माध्यम से आतंकवाद को मदद पहुंचाते हैं। इनका उद्देश्य सीधे हमला नहीं, बल्कि आतंक को छिपाना, फंडिंग और प्रशिक्षण देना होता है।

15 दिन चला संयुक्त ऑपरेशन

फरीदाबाद पुलिस कमिश्नर सतेंद्र कुमार गुप्ता ने बताया कि यह 15 दिनों की संयुक्त कार्रवाई का नतीजा है, जिसमें जम्मू-कश्मीर, हरियाणा और उत्तर प्रदेश पुलिस की टीमें शामिल थीं।
पुलिस अब भी नेटवर्क से जुड़े अन्य लोगों की तलाश में है। जांच एजेंसियों का कहना है कि यह ऑपरेशन समय पर न होता तो दिल्ली-NCR और गुजरात में बड़े धमाके हो सकते थे।

पृष्ठभूमि: पोस्टर से शुरू हुई थी जांच

19 से 27 अक्टूबर के बीच श्रीनगर के नौगाम इलाके में जैश-ए-मोहम्मद के धमकी भरे पोस्टर लगे थे। सीसीटीवी फुटेज में एक युवक की पहचान डॉ. आदिल के रूप में हुई।
6 नवंबर को आदिल की गिरफ्तारी के बाद एक-एक कर इस मॉड्यूल के अन्य सदस्य सामने आए, जिनमें अहमद राथर, मुजम्मिल शकील और अब लखनऊ की महिला डॉक्टर शाहीन शाहिद शामिल हैं।

कहां से मिला क्या

राज्यबरामद सामग्रीगिरफ्तारियां
श्रीनगरपोस्टर, इलेक्ट्रॉनिक टाइमर2
फरीदाबाद350 किलो अमोनियम नाइट्रेट, AK-472
लखनऊकार, राइफल, कारतूस1
सहारनपुरलॉजिस्टिक लिंक1
अन्य स्थानरसायन, वायरिंग, टाइमर2

पुलिस का बयान

“यह आतंकी मॉड्यूल देश के अंदर बड़े पैमाने पर विस्फोट की साजिश रच रहा था। समय रहते कार्रवाई न की जाती तो गंभीर नुकसान हो सकता था।”
सतेंद्र कुमार गुप्ता, पुलिस कमिश्नर फरीदाबाद

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