Bollywood News : बॉलीवुड फिल्म से कम नही है संजय दत्त की रियल कहानी, जानिए कैसा रहा सफर
Bollywood News
आपने फिल्मों में कहानी जरूर सुनी और देखी होगी लेकिन किसी व्यक्ति के जीवन की कहानी अगर फ़िल्मी हो तो सुनने में थोड़ा अजीब लगता है और सुनकर आश्चर्य भी होता है। साथियों आज की कहानी के मुख्य पात्र संजय दत्त है। जिनके जीवन के बारे में अगर आप पढ़ेंगे तो आपको इस बात का यकीन होगा की सच में इनकी भी कहानी किसी फिल्म के कहानी से कम नहीं है।संजय दत्त का जन्म 29 जुलाई 1959 को मुंबई, महाराष्ट्र में हुआ। इनके माता-पिता पहले से ही फ़िल्म इंडस्ट्री में थे इसलिए इनका भी बचपन से ही एक्टिंग की तरफ़ मन लगता हैं।
इनको शुरू से ही पढ़ाई में इतना कुछ ख़ास मन नहीं लगता था। इन्होंने अपने स्कूल की पढ़ाई सेंट लॉरेंस स्कूल मुंबई से की हैं। स्कूल के बाद यह आगे नहीं पढ़ना चाहते थे लेकिन पिता के कहने पर इन्होंने कॉलेज में एडमिशन लिया। संजय दत्त को बहुत से नामों से बुलाया जाता है जैसे कि संजू बाबा, डेडली दत्त, मुन्ना भाई
उन्होंने पॉलिटिक्स में भी कदम रखा था लेकिन 1993 में हुए मुंबई बम ब्लास्ट की वजह से वे खासे चर्चा में रहे हैं। उन पर आरोप थे कि उस दौरान उन्होंने अपनी आत्मरक्षा के लिए गैर कानूनी तरीके से अपने पास हथियार रखे।
संजय दत्त को घुड़सवारी, गिटार, कुकिंग और फोटोग्राफी का शौक है।
उन्होंने अपने जीवन में बहुत ही संघर्ष देखें उनकी माता नरगिस कैंसर के कारण जल्द ही भगवान को प्यारी हो गई थी जिसका सदमा संजय दत्त सहन नहीं कर पाए और इसी वजह से उन्हें नशे की लत भी लग गई थी।संजय दत्त के पिता सुनील दत्त एक जाने माने व्यक्ति थे। वह एक डायरेक्टर, एक्टर, प्रोडूसर और राजनीतिज्ञ थे। इनकी माता नरगिस ख़ान एक भारतीय अभिनेत्री थी जो कि अपने समय में हिन्दी सिनेमा में बहुत महान मानी जाती थी। प्रिय और नम्रता दत्त इनकी दो बहने हैं।उनकी मां नरगिस उन्हें चांद कहकर पुकारती थी।
संजय दत्त की पहली फिल्म “रॉकी” के प्रदर्शन से पहले ही उनकी माँ नरगिस का pancreatic cancer (अग्नाशयी कैंसर) इलाज के दौरान 2 मई 1981 को उनका निधन हो गया था। नरगिस अपने बेटे को भारतीय फिल्मजगत में शिखर पर देखना चाहती थी, परन्तु दुर्भाग्यवश ऐसा नहीं हो सका।
अपने हाई स्कूल के समय से ही संजय दत्त नशे की लत के शिकार हो गए थे। अपनी माँ के बेहद करीब होने के कारण संजय अपनी माँ के देहांत का दुख सहन नहीं कर पाए और कुछ बुरी संगतियो में आकर उन्होंने शराब और ड्रग्स लेने शुरू कर दिए, पर यह आदत उन्हें इतनी बुरी तरह लग चुकी थी कि इसके चलते वे पहली बार जेल भी गए। संजय ने अपने जीवन में सारे नशे करे चाहे वो कोकेन हो या कोई इंजेक्शन। इनको नशों की इतनी गंदी लत लग गई थी कि यह फ़िल्म शूटिंग के दौरान भी नशे में रहते थे। इसको छुड़वाने के लिए उन्हें रेहाब सेन्टर भी भेजा गया 5 महीने के लंबे अंतराल के बाद आखिर संजय
ने अपनी इस आदत से निजात भी पा लिया और अपने काम पर भी ध्यान देने लगे।उन्होंने अपने नाम “Sunjay” से “Sanjay” रख लिया। इनकी डेब्यू फ़िल्म 1981 में रॉकी रिलीज़ हुई। जो की आते ही हिट साबित हुई और इससे इन्होंने सबको बता दिया कि यह लंबी रेस के घोड़े हैं। अपनी डेब्यू फ़िल्म के बाद इन्होंने पीछे मुड़ के नहीं देखा और एक के बाद एक फ़िल्में करते चले गए। 1986 में आई बॉलीवुड फिल्म “नाम” के बाद वे सुर्ख़ियों में आ गए। फिल्म में बेहतरीन भूमिका के लिए उन्हें काफी सराहा गया।संजय दत्त की पहली शादी वर्ष 1987 में हुई थी, जब उन्होंने भारतीय गायिका ऋचा शर्मा से विवाह किया। इस जोड़ी का एक पुत्र नामकरणित हो, जिनका नाम त्रिशला है। ऋचा शर्मा का 1996 में देहांत हो गया था।संजय दत्त की दूसरी शादी 1998 में रहीला ग़ंदी के साथ हुई थी, जिन्हें फिल्म मुन्ना भाई M.B.B.S’ में हीरोइन के रूप में देखा गया था। उनकी यह शादी काफी चर्चा में रही थी, लेकिन कुछ सालों बाद यह जोड़ी अलग हो गई।संजय दत्त की तीसरी और वर्तमान पत्नी हैं मान्यता दत्त है जिनसे उन्होंने 2008 में शादी की। उनके दो पुत्र हैं, शाहरान और इकरा। Manyata Dutt ने उन्हें उनके गिरफ्तारी की परिस्थितियों में सहायता की और उनके बदलते जीवन में साथ दिया।
संजय दत्त जब जेल गए थे तब पूर्व IPS अधिकारी मीरान चड्ढा बोरवंकर अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (जेल) थे। मीरान चड्ढा बोरवंकर ने साइरस ब्रोचा के पॉडकॉस्ट पर उन्होंने बताया वह (संजय दत्त) आम तौर पर अच्छा था क्योंकि उसकी पैरोल जेल में उसके व्यवहार पर निर्भर रही थी। अगर उसने व्यवहार नहीं किया होता तो हम उसे पैरोल की अनुमति नहीं देते। वह काम भी करता था बीड़ी और सिगरेट भी खरीद लेता था। कुल मिलाकर उसे एहसास हो गया था कि यहां उसका व्यवहार बेहतर था। मीरान चड्ढा बोरवंकर ने उन दावों का खंडन किया जिनमें कहा गया किया संजय दत्त को जेल में स्पेशल ट्रीटमेंनट दिया गया है।
संजय दत्त को था अपने एनकाउंटर का डर
मीरान चड्ढा बोरवंकर ने अपनी किताब में उस समय के बारे में लिखा है। जब संजय दत्त को ऑर्थर रोड जेल से पुणे की यरवदा जेल ट्रांसफर किया जाने वाला था और वह मुठभेड़ में मारे जाने को लेकर चिंतित थे। मीरान चड्ढा बोरवंकर के मुताबिक ‘संजय दत्त को डर था कि वह रास्ते में किसी मुठभेड़ में मारा जाएगा। उन्हें इतना डर था कि उन्हें पसीना आने लगा और उन्होंने बुखार होने की शिकायत की। संजय दत्त को बाद में एनकाउंटर के बारे में उनकी गलत धारणा के बारे में सलाह दिए जाने के बाद जेल में ट्रांसफर कर दिया गया। वर्ष 1982 में, उन्हें अवैध ड्रग्स रखने के जुर्म में संजय दत्त को गिरफ्तार किया गया और इस अपराध के लिए पाँच साल क़ैद की सजा सुनाई गई थी।वर्ष 1993 में संजय दत्त को TADA (Terrorist and Disruptive Activities Act) अधिनियम के अंतर्गत मुंबई सीरियल ब्लास्ट के दौरान अवैध हथियारों AK-56 को रखने के लिए गिरफ़्तार किया गया था। हालांकि, उन्हें 1995 में जमानत पर रिहा कर दिया गया था। लेकिन, दिसंबर 1995 में उन्हें फिर से गिरफ़्तार कर लिया गया। अप्रैल 1997 में संजय दत्त को फिर से ज़मानत पर रिहा कर दिया गया। वर्ष 2006-07 में संजय दत्त ने पुणे की आर्थर रोड जेल में 7 महीने बिताए।
31 जुलाई 2007 को टाडा अदालत ने संजय दत्त को मुंबई बम धमाकों के संबंध में दोषी करार दिया। उन्हें अवैध हथियार रखने के लिए 6 वर्ष की सख्त सजा सुनाई गई और उन्हें यरवदा जेल ले जाया गया। 20 अगस्त 2007 को, उन्हें ज़मानत मिल गई और 22 अक्टूबर 2007 को वापस उन्हें जेल जाना पड़ा। 27 नवंबर 2007 को सर्वोच्च न्यायालय ने उन्हें ज़मानत पर रिहा कर दिया।
मार्च 2013 को, भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने टाडा के फैसले को बरकरार रखते हुए उनकी सजा को 6 साल से 5 साल कर दिया और संजय दत्त को आत्मसमर्पण के लिए एक महीने का समय दिया।संजय दत्त का करियर बहुत ही उतार-चढ़ाव से भरा हुआ रहा है। 1993 में हुए मुंबई बम ब्लास्ट के कारण उन्हें कई बार जेल के चक्कर काटने पड़े। इस वजह से उनको अपने फिल्मी करियर में भी काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। बाल कलाकार के रूप में संजय पहली बार फिल्म ‘रेशमा और शेरा’ में दिखाई दिए लेकिन मुख्य अभिनेता के तौर पर उनकी पहली फिल्म ‘राॅकी’ थी जो कि उस समय की सुपरहिट फिल्म रही। इसके बाद उन्होंने कई सुपरहिट फिल्में दीं और लगभग हर अच्छे अभिनेता के साथ काम किया लेकिन फिल्म ‘खलनायक’ में निभाया गया उनका ‘बल्लू’ का किरदार आज भी सभी के ज़ेहन में ताजा है। फिल्म ‘वास्तव’ में उनके अभिनय को काफी सराहा गया और इसके लिए उन्हें बेस्ट एक्टर का फिल्मफेयर अवार्ड भी मिला। पहली फिल्म में अपार सफलता मिलने के बाद संजू बाबा ने दूसरी फिल्म में इन्होंने नेगेटिव रोल किया इस फिल्म का नाम था “खलनायक” यह फिल्म बॉक्स ऑफिस पे बहुत बड़ी हिट साबित हुई। इस फिल्म के बाद संजय के करियर को नयी उड़ान मिली और फिर संजू बाबा ने बॉलीवुड में एक नई ऊचाई को छुआ।
संजय दत्त की प्रसिद्ध फिल्में
रॉकी (1981)
विधाता (1982) Vidhata
नाम (1986) Naam
थानेदार (1990) Thanedar
सड़क (1991) Sadak
खलनायक (1993) Khalnayak
वास्तव (1999) Vastav
मिशन कश्मीर (2000) Mishan kashmir
कांटे (2002) Kate
मुन्नाभाई एम.बी.बी.एस (2003) Munna Bhai MBBS
मुसाफिर (2004) Mushafir
जिंदा (2005) Zinda
लगे रहो मुन्नाभाई (2006) Lage Rho Munna Bhai
एकलव्य: द रॉयल गार्ड (2007) Eklavya The Royal Gord
नेहले पे देहला (2007) Pahale pe dahala
सन ऑफ़ सरदार (2012) Son Of Sardar
के जी एफ (2022) KGF
अभिनेता संजय दत्त को मिले अवार्ड्स | Sanjay Dutt Awards
फिल्मफेयर पुरस्कार 2000 में फ़िल्म वास्तव में बेहतरीन अभिनय के लिए।
अंतर्राष्ट्रीय भारतीय फिल्म अकादमी पुरस्कार 2001 में फ़िल्म वास्तव के लिए।
स्टार स्क्रीन अवॉर्ड्स मिशन कश्मीर के लिए सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेता (2001)
फिल्मफेयर पुरस्कार – मुन्नाभाई एम.बी.बी.एस (2004) के लिए सर्वश्रेष्ठ कॉमेडियन पुरस्कार
मुन्नाभाई एम.बी.बी.एस (2004) के लिए स्टारडस्ट स्टार ऑफ द इयर पुरस्कार
लगे रहो मुन्ना भाई (2006) के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के लिए “ग्लोबल इंडियन फिल्म पुरस्कार” और “क्रिटिक्स चॉइस पुरस्कार”
लगे रहो मुन्नाभाई (2007) के लिए स्टारडस्ट “स्टार ऑफ द इयर पुरस्कार”
ज़ी सिने पुरस्कार – लगे रहो मुन्नाभाई (2007)
संजय ने अपने वैसे तो अपने करियर की शुरुआत बचपन में ही 1972 में एक छोटे से किरदार से फ़िल्म रेशम और सेरा से कर दी थी। अभी तक इन्होंने 190 फ़िल्मों से अधिक में काम कर लिया हैं।
2022 में आइ इनकी फ़िल्म KGF 2 को ऑल टाइम ब्लॉकबस्टर साबित हुई हैं।
संजय की कमाई उनकी फ़िल्मों और ब्रांड से होती हैं। इनकी नेट वर्थ लग भग 300 करोड़ हैं।