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CHAITRA NAVRATRI 2024 : चैत्र नवरात्रि के छठे दिन मां कात्यायनी की पूजा, माता का नाम हर लेगा हर संकट, जानें पूजा विधि और मंत्र

Charitra Navratri

आज नवरात्रि का छठवां दिन है और आज मां दुर्गा के छठवें स्वरूप मां कात्यायनी की पूजा की जाएगी। दुर्गा सप्तशती में मध्य चरित्र जिसमें महिषासुर नामक असुर का उल्लेख मिलता है, उस असुर का वध करने वाली देवी मां कात्यायनी ही हैं। इसलिए मां कात्यायनी को महिषासुरमर्दिनी के नाम से भी जाना जाता है। मां कात्यायनी आंतरिक शक्ति का प्रतिनिधित्व करने वाली जगत जननी हैं। मान्यता है कि विधि विधान के साथ माता की पूजा करने से जीवन के सभी कष्ट दूर होते हैं और धन-धान्य में वृद्धि होती है। मां कात्यायनी ब्रज मंडल की अधिष्ठात्रि देवी भी हैं।

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पौराणिक मान्यताओं के अनुसार महर्षि कात्यायन की कठोर तपस्या से प्रसन्न होकर मां दुर्गा ने महर्षि के यहां जन्म लिया था। महर्षि कात्यायन के यहां जन्म लेने पर माता का नाम कात्यायनी पड़ा। मां दुर्गा ने ऋषियों और देवताओं के कार्यों को सिद्ध करने के लिए महर्षि के यहां जन्म लिया था। माता कात्यायनी अमोघ फलदायिनी हैं और इनका ध्यान कर लेने भर से जीवन के सभी दुख दर्द दूर हो जाते हैं। तीन दिनों तक ऋषियों और मुनियों की पूजा स्वीकार करने के बाद देवी ने विदा लिया था और महिषासुर का अंत किया था।

चैत्र नवरात्रि के इस दिन मां दुर्गा के छठें स्वरूप देवी कात्यायनी की पूजा करने का विधान है। कहा जाता है कि मां कात्यायनी की पूजा करने से भक्तों को आसानी से अर्थ, धर्म, काम और मोक्ष की प्राप्ति होती है। मां कात्यायनी का स्वरूप चमकीला और तेजमय है। इनकी चार भुजाएं हैं। दाईं तरफ का ऊपर वाला हाथ अभयमुद्रा में रहता है। वहीं नीचे वाला हाथ वर मुद्रा में है। मां कात्यायनी के बाईं तरफ के ऊपर वाले हाथ में तलवार धारण करती हैं व नीचे वाले हाथ में कमल का फूल सुशोभित रहता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, जो भी जातक देवी कात्यायनी की पूजा पूरी श्रद्धा से करता है, उसे परम पद की प्राप्ति होती है।

ज्योतिषाचार्य के मुताबिक नवरात्रि के छठे दिन मां के छठे स्वरूप मां कात्यायानी की पूजा-अर्चना किए जाने का विधान है। मां कात्यायनी का संबंध बृहस्पति और आंशिक संबंध शुक्र से माना गया है। मां कात्यायनी की पूजा में पीले रंग का ज्यादा प्रयोग करना चाहिए, क्योंकि उन्हें पीला रंग पसंद है। देवी मां की उपासना हमेशा गोधूलि वेला में करना चाहिए। मां के कात्यायनी स्वरूप को दूध में केसर मिलाकर देवी कात्यायनी का अभिषेक करना चाहिए। इसके बाद उन्हें रोली, मौली, हल्दी, अक्षत, फूल अर्पित करना चाहिए। फिर मां की आरती करें और देवी के जागरण भजन-कीर्तन आदि करें।

आपको बता दें कि मां को शहद बहुत प्रिय है इसीलिए आज उन्हें शहद का भोग लगाने से लाभ मिलता है। आप उन्हें शहद से तैयार चीजों का भोग लगा सकते हैं। मां कात्यायनी को खुश करने के लिए छोटी-छोटी कन्याओं को खिलौनों का दान करना चाहिए। अपनी श्रद्धा के मुताबिक खेल सामग्री का दान करना चाहिए। ऐसा करने से मां कात्यायनी खुश होंगी और आप पर अपनी कृपा हमेश बनाए रखेंगी।

नवरात्रि के छठे दिन माँ कात्यायनी की पूजा करने और इस दिन व्रत रखने से यदि किसी जातक के विवाह में कोई परेशानी आ रही हो, तो वह दूर हो जाती है और मां के आशीर्वाद से उसे सुयोग वर या वधू की प्राप्ति होती है। कात्यायनी देवी का व्रत करने से जातक को कार्यक्षेत्र में सफलता मिलती है और कार्य में आ रही सभी परेशानी भी दूर होती है। इसके अलावा, एक मान्यता यह भी है कि मां दुर्गा के छठे रूप यानी कात्यायनी देवी की पूजा करने से राहु ग्रह की वजह से हो समस्याएं व कालसर्प जैसे बड़े-बड़े दोष भी दूर होते हैं।

साथ ही जो भी जातक माता कात्यायनी की सच्चे मन से पूजा करता है, उसे त्वचा रोग, मस्तिष्क से जुड़ी परेशानियां इत्यादि जैसे बड़े रोग नहीं होते हैं। माना जाता है कि देवी की पूजा से रोग, शोक, संताप और भय नष्ट हो जाते हैं। जन्मों के समस्त पाप भी नष्ट हो जाते हैं। साथ ही कैंसर जैसे बड़े रोग भी दूर रहते हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार देवी कात्यायनी बृहस्पति ग्रह को नियंत्रित करती हैं और देवी की पूजा से बृहस्पति के बुरे प्रभाव भी कम हो जाते हैं।

नवरात्र के छठे दिन सुबह तड़के उठे और नहाने के बाद सबसे पहले मां कात्यायनी का ध्यान करें और ज्योत जलाएं। इसके बाद नवरात्र कलश का और सभी देवी-देवताओं की भी पूजा करें। मां कात्यायनी की पूजा करते समय उन्हें शहद का भोग जरूर लगाएं। माता को भोग लगाने के बाद ‘ऊं देवी मां कात्यायन्यै नम:’ मंत्र का जाप करते हुए कात्यायनी देवी पर फूल अर्पित करें। ध्यान रहे कि माता कत्यायनी की पूजा करने के बाद ब्रह्मा और विष्णु जी की भी पूजा करना न भूलें। मां कत्यायनी की पूजा करते समय इन मंत्रों को जरूर पढ़ें। इन मंत्रों का जाप करने से माता प्रसन्न होती हैं और आपकी सभी मनोकामना पूरी होगी।

मां कात्यायनी देवी मंत्र

या देवी सर्वभू‍तेषु मां कात्यायनी रूपेण संस्थिता:
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:
चंद्र हासोज्ज वलकरा शार्दूलवर वाहना|
कात्यायनी शुभंदद्या देवी दानव घातिनि

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