CHHATTISGARH : माँ और शिशु दोनों सुरक्षित — एब्डोमिनल प्रेग्नेंसी डिलीवरी का छत्तीसगढ़ का पहला मामला, अंबेडकर अस्पताल के चिकित्सकों ने रचा इतिहास

डॉक्टरों ने पेश की सेवा, समर्पण और करुणा की मिसाल
रायपुर / डॉ. भीमराव अंबेडकर अस्पताल रायपुर के चिकित्सकों ने चिकित्सा इतिहास में एक नया अध्याय जोड़ते हुए सेकेंडरी एब्डोमिनल प्रेग्नेंसी का सफल ऑपरेशन किया — जिसमें भ्रूण गर्भाशय के बजाय पेट (एब्डोमिनल कैविटी) में विकसित हुआ था। माँ और शिशु दोनों पूर्णतः स्वस्थ हैं।
यह छत्तीसगढ़ का पहला और दुनिया के अत्यंत दुर्लभ मामलों में से एक है। विश्व मेडिकल लिटरेचर में भी अब तक ऐसा कोई उदाहरण दर्ज नहीं, जिसमें किसी गर्भवती महिला को इमर्जेंसी एंजियोप्लास्टी से बचाने के बाद, उसके पेट से नौ माह के जीवित शिशु को सफलतापूर्वक जन्म दिलाया गया हो।
दो बार मिला जीवनदान
40 वर्षीय गर्भवती महिला को गर्भावस्था के चौथे महीने में दिल का दौरा पड़ा था। इमर्जेंसी में भर्ती होने पर अंबेडकर अस्पताल की स्त्री रोग टीम ने तत्काल कार्डियोलॉजी विभाग से संपर्क कर एंजियोप्लास्टी कराई — वह भी गर्भस्थ शिशु को नुकसान पहुंचाए बिना। महिला को खून पतला करने वाली दवाइयाँ दी जा रही थीं, फिर भी गर्भ सुरक्षित रहा — यह स्वयं में मेडिकल चमत्कार था।
ऑपरेशन बना मिसाल
गर्भावस्था के 37वें सप्ताह में महिला को दोबारा भर्ती किया गया। केस की जटिलता को देखते हुए गायनी, कार्डियोलॉजी, सर्जरी और एनेस्थीसिया विभाग की मल्टीडिसिप्लिनरी टीम बनाई गई। ऑपरेशन के दौरान पाया गया कि भ्रूण गर्भाशय में नहीं बल्कि पेट में विकसित हो रहा था और आंवल (प्लेसेंटा) कई अंगों से रक्त ले रही थी। टीम ने अत्यंत सावधानीपूर्वक शिशु को सुरक्षित बाहर निकाला और भारी रक्तस्राव की संभावना को देखते हुए गर्भाशय भी निकालना पड़ा।
“प्रेशियस चाइल्ड” को मिला जीवन
डिलीवरी के बाद माँ और शिशु दोनों स्वस्थ हैं। चिकित्सक दल ने एक महीने तक लगातार फॉलोअप कर दोनों की स्थिति की निगरानी की। महिला की यह डिलीवरी विशेष इसलिए भी है क्योंकि पहले उसकी एक संतान डाउन सिंड्रोम और हृदय रोग से पीड़ित थी, जिसकी मृत्यु हो चुकी थी।
डॉक्टरों के अनुसार — “यह केवल चिकित्सा नहीं, बल्कि मातृत्व को नया जीवन देने की कहानी है।”
डॉक्टरों और प्रशासन की प्रतिक्रिया
पं. नेहरू चिकित्सा महाविद्यालय के डीन डॉ. विवेक चौधरी और अधीक्षक डॉ. संतोष सोनकर ने कहा —
“कठिन परिस्थितियों में भी टीम ने तत्परता, निपुणता और करुणा का परिचय दिया। यह संस्थान की कार्य संस्कृति की उत्कृष्ट मिसाल है।”
स्वास्थ्य मंत्री श्री श्याम बिहारी जायसवाल ने टीम को बधाई देते हुए कहा —
“यह उपलब्धि चिकित्सा जगत में छत्तीसगढ़ का गौरव बढ़ाने वाली है। इस सफलता में टीमवर्क और समर्पण की भावना झलकती है।”
क्या है सेकेंडरी एब्डोमिनल प्रेग्नेंसी?
डॉ. ज्योति जायसवाल बताती हैं —
“यह एक्टोपिक प्रेग्नेंसी का अत्यंत दुर्लभ रूप है, जिसमें भ्रूण पहले गर्भाशय या फैलोपियन ट्यूब में ठहरता है और फिर पेट के अंगों पर विकसित होने लगता है। इसमें माँ और शिशु दोनों के जीवन पर गंभीर खतरा रहता है, और ऑपरेशन ही एकमात्र समाधान होता है।”
टीम में शामिल रहे चिकित्सक
डॉ. ज्योति जायसवाल, डॉ. रुचि किशोर गुप्ता, डॉ. सुमा एक्का, डॉ. नीलम सिंह, डॉ. रुमी,
एनेस्थीसिया विभाग से डॉ. शशांक, डॉ. अमृता,
जनरल सर्जरी विभाग से डॉ. अमित अग्रवाल,
तथा कार्डियोलॉजी और मेडिसिन विभाग के विशेषज्ञों ने संयुक्त रूप से यह जटिल सर्जरी सफल बनाई।
मरीज और परिजनों ने भी टीम के प्रति गहरा आभार व्यक्त किया।