भक्ति

SHARDIYA NAVRATRI 2025 : शक्ति के पंचम स्वरूप मां स्कंदमाता की पूजा विधि और महत्व

Durga Puja

शारदिय नवरात्रि का आज पांचवा दिन है और नवरात्रि के पांचवे दिन देवी दुर्गा के ‘स्कंदमाता’ स्वरूप की पूजा की जाती है। स्कंदमाता, भगवान कार्तिकेय (स्कंद) की माता हैं, और यह नाम उन्हें अपने पुत्र के कारण प्राप्त हुआ है। यह दिन शक्ति और मातृत्व के अद्भुत संगम का प्रतीक होता है।

मां स्कंदमाता की कथा (पौराणिक कथा)

पुराणों के अनुसार, एक बार देवताओं और दैत्यों में भयंकर युद्ध हुआ। दैत्यराज तारकासुर ने तीनों लोकों में आतंक मचा रखा था। उसे यह वरदान प्राप्त था कि केवल भगवान शिव का पुत्र ही उसे मार सकता है। लेकिन शिव तो तपस्या में लीन थे और विवाह से दूर रहते थे।

देवताओं ने उपाय खोजा और भगवान विष्णु की सलाह पर मां पार्वती ने घोर तपस्या की और अंततः भगवान शिव से विवाह किया। इसके फलस्वरूप भगवान स्कंद (कार्तिकेय) का जन्म हुआ। स्कंद ने बड़ा होकर तारकासुर का वध किया।

मां पार्वती ने अपने पुत्र स्कंद को अपनी गोद में रखकर उनका पालन-पोषण किया। इस रूप में वह “स्कंदमाता” कहलाईं। मां स्कंदमाता को उनके मातृत्व भाव, करुणा, और सुरक्षा के लिए पूजा जाता है।

मां स्कंदमाता का स्वरूप

  • मां स्कंदमाता की चार भुजाएं होती हैं।
  • वह एक हाथ में भगवान स्कंद (कार्तिकेय) को अपनी गोद में लिए होती हैं।
  • दूसरे हाथ में कमल पुष्प धारण करती हैं।
  • एक हाथ आशीर्वाद मुद्रा में रहता है।
  • उनका वाहन सिंह है।
  • उन्हें अक्सर कमलासन (कमल पर विराजमान) भी कहा जाता है।
  • स्कंदमाता की पूजा का महत्व
  • मां स्कंदमाता की पूजा से बुद्धि, ज्ञान और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
  • यह भक्त को मां और पुत्र दोनों का आशीर्वाद प्रदान करती हैं।
  • इनकी पूजा से मन, वचन और कर्म की पवित्रता प्राप्त होती है।

पूजा विधि

  1. सुबह स्नान कर के साफ वस्त्र धारण करें।
  2. पूजन स्थल को साफ करके स्कंदमाता की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।
  3. मां को पीले या नारंगी फूल, केले, और कमल पुष्प चढ़ाएं।
  4. गंगा जल, रोली, अक्षत, धूप, दीप आदि से पूजा करें।
  5. मां को खीर, केले या नारियल का भोग लगाएं।
  6. दुर्गा सप्तशती या स्कंदमाता की स्तुति का पाठ करें।

स्कंदमाता मंत्र

ॐ देवी स्कन्दमातायै नमः।

या देवी सर्वभू‍तेषु माँ स्कंदमाता रूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

भोग में क्या अर्पित करें?

  • केला, खीर, या गुड़-चने का भोग शुभ माना जाता है।
  • पीले फल या मिठाई अर्पित करना भी श्रेष्ठ होता है।

विशेष लाभ

  • स्कंदमाता की पूजा से पारिवारिक सुख, संतान सुख, और मन की शांति प्राप्त होती है।
  • यदि कोई व्यक्ति ध्यान अवस्था में इनकी पूजा करे तो उसे साक्षात देवी के दर्शन की अनुभूति हो सकती है।

पूजन में रंग और वस्त्र

पीला रंग इस दिन विशेष शुभ माना जाता है। पीले वस्त्र पहनें और पीले फूल अर्पित करें।

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