छत्तीसगढ़

JANJGIR CHAMPA : छत्तीसगढ़ पिछड़ा वर्ग कल्याण अध्यक्ष आर.एस. विश्वकर्मा को सौंपा गया ज्ञापन, सामाजिक प्रतिनिधियों से हुई विस्तृत चर्चा

Chhattisgarh

जांजगीर-चांपा / छत्तीसगढ़ राज्य में पिछड़ा वर्ग (OBC) की जनसंख्या लगभग 45 से 50 प्रतिशत होने के बावजूद इस वर्ग को अब तक जनसंख्या के अनुपात में सरकारी सेवाओं और चुनावों में आरक्षण नहीं मिल पाया है। इस संबंध में छत्तीसगढ़ पिछड़ा वर्ग कल्याण आयोग के अध्यक्ष आर.एस. विश्वकर्मा को एक ज्ञापन सौंपा गया, जिसमें 27% आरक्षण को शीघ्र लागू करने की मांग की गई।

पूर्ववर्ती सरकार द्वारा विधानसभा में 27% आरक्षण का प्रस्ताव पारित कर राज्यपाल को भेजा गया था, जो अब तक लंबित है। सामाजिक संगठनों ने मांग की कि इस प्रस्ताव को शीघ्र स्वीकृति प्रदान की जाए ताकि पिछड़ा वर्ग को उनके हक का प्रतिनिधित्व मिल सके।

सामाजिक प्रतिनिधियों ने रखी अपनी बात

बैठक में शामिल हुए विभिन्न समाज के प्रतिनिधियों ने सामाजिक सुधार और संगठनात्मक मजबूती के विषयों पर भी चर्चा की।कन्हैया राठौर (कनौजिया राठौर समाज) ने बालिका शिक्षा को बढ़ावा देने, मृत्यु भोज पर नियंत्रण और विवाह विच्छेद को सामाजिक स्तर पर सुलझाने की अपील की। गिरधारी यादव ने प्रतिमाह सामाजिक बैठक आयोजित करने का सुझाव दिया।बसंत पटेल (पटेल मरार समाज) ने भी समाज की बातों को सामने रखा। हरिश्चंद्र साहू (ओबीसी महासभा) ने जनगणना में ओबीसी कॉलम शामिल करने और 27% आरक्षण की तत्काल बहाली की मांग की।

आयोग की टीम ने किया सामाजिक स्थिति का अवलोकन

कार्यक्रम में पिछड़ा वर्ग कल्याण आयोग के अध्यक्ष आर.एस. विश्वकर्मा के साथ-साथ सेवानिवृत्त आईएएस नीलांबर नायक, यशवंत सिंह वर्मा, बलवाऊ राम साहू, हरिशंकर यादव, शैलेन्द्री परगनिहा, कृष्णा गुप्ता जैसे अधिकारी उपस्थित रहे। आयोग की टीम विभिन्न जिलों में ओबीसी समुदाय के सामाजिक, शैक्षणिक, आर्थिक एवं राजनीतिक स्थिति का अवलोकन कर रही है।

कार्यक्रम में रहे ये प्रमुख उपस्थित

कार्यक्रम में हरीश कुमार गोपाल (जिलाध्यक्ष, ओबीसी महासभा), हरिश्चंद्र साहू (प्रदेश सहसचिव, ओबीसी महासभा), अमित यादव, शिव प्रसाद राठौर, रामानुज राठौर, परमेश्वर निर्मलकर, सत्यनारायण पटेल, मोतीलाल पटेल, गोपीचंद बरेट, संतोष बरेट, किशोर साव, राजेंद्र बरेट सहित अन्य समाजसेवी उपस्थित रहे।

मुख्य मांगें

पिछड़ा वर्ग को 27% आरक्षण शीघ्र लागू किया जाए।

जनगणना में ओबीसी के लिए पृथक कॉलम जोड़ा जाए।

सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ समाज स्तर पर जागरूकता अभियान चलाए जाएं।

कार्यक्रम के अंत में आयोग ने सभी सुझावों को गंभीरता से लेने का आश्वासन दिया और आगामी रिपोर्ट में समावेश करने की बात कही।

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