जांजगीर चाम्पा

JANJGIR CHAMPA : केशरी बी एड कॉलेज खोखरा के प्रशिक्षार्थियों ने किया विशाखापट्टनम का शैक्षणिक भ्रमण

Janjgir Champa

जांजगीर-चांपा / यात्रा व भ्रमण ज्ञान अर्जन व सीखने का सबसे अच्छा माध्यम है। मनोरंजन के साथ-साथ सीखने का अवसर प्रायः स्कूल एवं कॉलेज के शैक्षणिक भ्रमण में मिलता है। रोजाना की दिनचर्या से कुछ हटकर नये स्थान पर घूमने से न सिर्फ ज्ञान में वृद्धि होता है अपितु मानसिक रूप से भी व्यक्ति को तंदुरुस्त बनाता है।

शैक्षणिक भ्रमण की इसी कड़ी में केशरी शिक्षण समिति खोखरा बी एड कॉलेज के प्रशिक्षार्थियों को संस्था के संचालक डॉ.सुरेश यादव के मार्गदर्शन में महाविद्यालय के शैक्षणिक गुणवत्ता उन्नयन एवं प्रशिक्षार्थियों को व्यावहारिक ज्ञान प्रदान करने की दृष्टि से तीन दिवसीय शैक्षणिक भ्रमण हेतु विशाखापट्टनम ले जाया गया।

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इस शैक्षणिक भ्रमण में महाविद्यालय के बीएड प्रथम वर्ष एवं बीएड द्वितीय वर्ष के 50 प्रशिक्षार्थी छात्र-छात्रायें शामिल हुए। शैक्षणिक भ्रमण के अंतर्गत महाविद्यालय के प्रशिक्षार्थियों को सर्वप्रथम ऋषिकोंडा बीच ले जाया गया जहां प्रशिक्षार्थियों ने जलपान ग्रहण कर विशाल समुद्र में फैले समुद्री जैव विविधता को निकट से समझा तथा स्नान कर समुद्र का आनंद लिया।

उसके पश्चात प्रशिक्षार्थियों का दल प्राकृतिक वातावरण का आनंद लेते हुए रामानायडू फिल्म स्टूडियो पहुंचा जहां विद्यार्थियों ने फिल्म की बारीकियों को समझा। जिस समय प्रशिक्षार्थियों का दल वहां पहुंचा उस समय फिल्म की शूटिंग हो रही थी जिसमें विभिन्न प्रकार के लोकेशन जैसे पुलिस स्टेशन,महल, मंदिर ,पहाड़ ,गार्डन इत्यादि का एक ही जगह पर सामंजस्य पाकर एवं अभिनेताओं -अभिनेत्रीओ से मिलकर प्रशिक्षार्थियों के चेहरे खुशी से खिल उठे। फिल्म सिटी में स्टूडियो में उपयोग किए जाने वाले विभिन्न उपकरणों को विद्यार्थियों द्वारा म्यूजियम में देखा गया तथा उनके बारे में विस्तृत चर्चा की गई।

उसके पश्चात प्रशिक्षार्थियों का दल कैलाश गिरी पर्वत श्रृंखला पर घूमने गया जहां भगवान शंकर एवं पार्वती की बहुत ही खूबसूरत मनमोहक प्रतिमा पहाड़ की चोटी पर स्थित है। कैलाश गिरी पर्वत श्रृंखला पर टॉय ट्रेन रोपवे ,मौसम रडार केंद्र इत्यादि का आनंद लिया। एक तरफ समुद्र का नजारा वहीं दूसरी तरफ पूरे शहर का नजारा निश्चित ही बहुत ही मनमोहक प्रतीत हो रहा था।

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उसके बाद एयरक्राफ्ट म्यूजियम ले जाया गया जहां प्रशिक्षार्थियों ने एयरक्राफ्ट के अंदर जाकर इसकी तकनीकी खूबियों का बारीकी से अवलोकन किया तथा जाना कि किस प्रकार हमारी इंडियन एयर फोर्स इन विशालकाय एयरक्राफ्ट के जरिए सुदूर जगहों में जाकर अपनी सैन्य गतिविधियों का संचालन देशहित में करती है। एयरक्राफ्ट म्यूजियम का अवलोकन करने के पश्चात थोड़ी दूर पर स्थित सबमरीन म्यूजियम गए जहां प्रशिक्षार्थियों द्वारा इस विशालकाय पनडुब्बी को देखकर कौतुहलवश उसके बारे में जानने की ललक बढ़ने लगी।

सभी ने सबमरीन के अंदर से अवलोकन किया तब पता चला कि किस प्रकार इन विशालकाय भारी भरकर सब मरीन के जरिए इंडियन नेवी हमारे समुद्री की तलहटी तक तक जाकर सीमा की रक्षा करती है। बेहद कम जगह में किस प्रकार समुद्र के अंदर अपनी दिनचर्या सुचारू रूप से बनाए रखती है। आई एन एस वह सब मरीन है जिसने भारत पाकिस्तान युद्ध 1971 में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। इसके पश्चात प्रशिक्षार्थियों को आर के बीच ले जाया गया जहां पहुंचकर समुद्र की गोद में प्रशिक्षार्थियों ने अपनी थकान दूर की तथा वहां लगने वाले सी फूड्स स्टॉल का अवलोकन किया।

यात्रा के दूसरे दिन सुबह 7:00 बजे विशाखापट्टनम से ट्रेन पड़कर बोर्रा गुहलु की सफर की शुरुआत की। यह सफर खूबसूरत वादियों में बेहतरीन ट्रेन परिचालन व्यवस्था का खूबसूरत नमूना था जिसमें ट्रेन 37 सुरंग एवं नदी, झरनों, जंगलों, पर्वतों को पार कर बोर्रा गुहलु स्टेशन पहुंची।
इसके पश्चात बोर्रा गुहलू गुफा जाकर वहां की गुफाओं का अवलोकन किया जो देखने में गहरी और पूरी तरह से प्रकाशमय थी।

इस गुफा में भगवान शंकर की लिंगम की प्रतिमा है जिससे स्थानीय लोग भगवान शंकर का स्वरूप मानकर पूजते है। इस गुफा में कास्टिक चूना पत्थर की संरचनाएं हैं जो देखने में बेहद ही आकर्षक प्रतीत होती है इस गुफा में गोस्थनी नदी का उद्गम माना जाता है जो विशाखापट्टनम शहर को जल की आपूर्ति करता है।

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यात्रा के तीसरे दिन प्रशिक्षार्थियों ने समय प्रबंधन को ध्यान में रखकर सुबह-सुबह आंध्र परिवहन की बस से सफर तय करते हुए सिहंचलम पर्वत श्रृंखला पर स्थित भगवान विष्णु के वराह नरसिंह अवतार के रूप में विराजमान हिंदू मंदिर का दर्शन किया। इस मंदिर को सिहंचलम मंदिर भी कहा जाता है। यह 300 मीटर की ऊंचाई पर स्थित और भगवान विष्णु को समर्पित है। सिहंचलम क्षेत्र 11वीं शताब्दी में बने विश्व के गिने चुने प्राचीन मंदिरों में से एक माना जाता है।

यहां के पारंपरिक नृत्य भजन एवं वेशभूषा तथा मंदिरों पर की गई नक्काशियां निः संदेह किसी को भी अपनी और मंत्रमुग्ध करने वाली है।
इस प्रकार शैक्षणिक भ्रमण की यह यात्रा विशाखापट्टनम से ट्रेन पड़कर अगली सुबह दिन को जांजगीर पर खत्म हुई। इस शैक्षणिक भ्रमण कार्यक्रम को सफल बनाने एवं प्रशिक्षार्थियों में सामूहिकता का भाव पैदा करने तथा अपनी सांस्कृतिक धरोहरों, विभिन्न संस्कृतियों से अवगत कराने में संस्था की प्राचार्या डॉ रेखा तिवारी,प्राध्यापक जितेंद्र तिवारी एवं प्राध्यापिका स्वाति कश्यप सहित महाविद्यालयीन छात्र-छात्राओं का योगदान सराहनीय रहा।

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