शुक्रवार को करें संतोषी माता की पूजा आरती, पाएं सुख शांति और समृद्धि
शुक्रवार का दिन संतोषी माता का होता है। इस दिन विशेष रूप से संतोषी मां की पूजा करनी चाहिए। संतोषी माता की कृपा से सिद्धि-बुद्धि,धन-बल और ज्ञान-विवेक की प्राप्ति होती है। संतोषी माता के प्रभाव से इंसान धनी बनता है, वो तरक्की करता है। वो हर तरह के सुख का भागीदार बनता है, उसे कष्ट नहीं होता। इसलिए यहां हम आपके लिए लाए हैं संतोषी माता की पूजा विधि और आरती, के बारे में बताएंगे।जिसे करने से इंसान सदैव सुख और शांति की छत्रछाया में रहता है।
संतोषी माँ की उपासना सोलह शुक्रवार तक करने से मनुष्य के सारे बिगड़े काम बन जाते है। वैसे संतोषी माँ की पूजा आदमी ज़िन्दगी भर करते है,लेकिन मनोकामना सिद्धि के लिए सोलह शुक्रवार का विशेष महत्व है।
संतोषी माँ का उपवास शुक्रवार को किया जाता है।इस दिन खटाई से उपासक को दूर रहना है। संतोषी माँ के पूजा में खट्टी चीजे वर्जित है, शुकवार को नहाधोकर निराहार संतोषी माँ की पूजा की जाती है। सन्तोषी माँ का प्रसाद भुना हुआ चना और गुड़ होता है, जिसे माँ संतोषी के कथा सुनने के बाद प्रसाद बनाकर भोग लगाया जाता है। घी का दीपक जलाया जाता है,संतोषी माँ को चढ़ाया गया गुड़ और चने का प्रसाद गाय को खिलाया जाता है।ऐसा करने से संतोषी माँ खुश होती है और अपने भक्तों को शुख शांति, यश, धन संपत्ति प्रदान करती है।हम अगले पोस्ट में आपको माँ संतोषी की कथा विधि और उद्यापन के बारे में बताएंगे।
ओम जय संतोषी माता, मैया जय संतोषी माता।
अपने सेवक जन की, अपने सेवक जन की, सुख संपति दाता।।
ओम जय संतोषी माता ……
ओम जय संतोषी माता, मैया जय संतोषी माता। अपने सेवक जन की, सुख संपति दाता ।।
ओम जय संतोषी माता……..
सुंदर चीर सुनहरी, मां धरण कीन्हों।
हीरा पन्ना दमके, हीरा पन्ना दमके, तन शृंगार किनहो।।
ओम जय संतोषी माता…………
ओम जय संतोषी माता, मैया जय संतोषी माता।। अपने सेवक जन की, सुख संपति दाता।।
ओम जय संतोषी माता…….
गेरू लाल छटा छबि, बदन कमल सोहे ।
मंद हसत करुणामई, त्रिभुवन मन मोहे।।
ओम जय संतोषी माता…….
ओम जय संतोषी माता, मैया जय संतोषी माता ।
अपने सेवक जन की, अपने सेवक जन की सुख संपति दाता।।
ओम जय संतोषी माता……..
गुड़ और चना परम प्रिय, तामे संतोष कियो ।
संतोषी कहलाई, भक्तों को वैभव दियो
।।ओम जय संतोषी माता…….
माँ संतोषी की आरती जो कोय नर गाये ऋद्धि शिद्धि शुख सम्पति जी भर के पाये ओम जय संतोषी माता मैया जय संतोषी माता।
Writing-राज सिंह चौहान