छत्तीसगढ़

CHHATTISGARH : पत्रकार संकल्प महासभा में 35 पत्रकार संघों का संयुक्त ऐतिहासिक प्रदर्शन, कार्यक्रम स्थल से रैली निकालकर मुख्यमंत्री और राज्यपाल को ज्ञापन सौंपा

पत्रकारों के ऊपर हो रहे अत्याचार पर नियंत्रण के साथ पत्रकार सुरक्षा कानून लागू करने सहित अन्य मांगें

रायपुर / 2 अक्टूबर गाँधी जयंती के दिन राजधानी के गॉस मेमोरियल ग्राउंड में आयोजित पत्रकार संकल्प महासभा का कार्यक्रम सफलता पूर्वक संपन्न हुआ। पत्रकारों के इस महाकुम्भ में प्रदेश के 35 से भी ज्यादा पत्रकार संगठनों ने हिस्सा लिया और पत्रकार सुरक्षा कानून लागू करने सहित पत्रकारों के हितों से सम्बंधित अन्य मांगों को लेकर राजभवन पहुँचे और पहले राज्यपाल के नाम ज्ञापन सौंपा, फिर रैली की शक्ल में मुख्यमंत्री को ज्ञापन देने प्रदेश भर से आए पत्रकार सड़कों पर उतरे।

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उल्लेखनीय है कि प्रदेश में अधिकारियों के भ्रष्टाचार, खनिज, भू माफिया के बारे में सच उजागर करने वाले पत्रकारों पर हमले लगातार होते आ रहे हैं। बदसलूकी, मारपीट और झूठे मामलों में फँसा कर जेल भेजने की साजिश अनवरत जारी है। पिछले दिनों कोंटा थानेदार ने रेत माफिया का सच उजागर करने वाले पत्रकारों को गांजा तस्करी के मामले में फंसा कर आंध्र प्रदेश में प्रकरण बनवा कर जेल भिजवाने की साजिश रची, बाद में होटल के सी सी टीवी के प्रमाण को डिलीट करने के आरोप में उस थानेदार को जेल भेजा गया लेकिन बप्पी राय सहित तीन अन्य पत्रकारों को बेवजह जेल यात्रा की पीड़ा झेलनी पड़ी। पत्रकार महासभा में इस मामले की सीबीआई जांच करने की मांग की है। इसी हफ्ते कांकेर के एक पत्रकार को वर्तमान सांसद से जुड़ी सच्ची खबरों को छापने, प्रसारित करने पर झूठे मामलों में फंसाने की एनआईए एवम पुलिस द्वारा कोशिश की गईं।

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छत्तीसगढ़ में पूर्व में कांग्रेस की सरकार थी और अब भाजपा की सरकार है, परंतु पत्रकारों की सुरक्षा और हक की चिंता किसी भी सरकार को नहीं है। केवल भाषणों में ही चीख-चीख कर पत्रकारों को लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ कहा जाता है और उनकी सुरक्षा का ढिंढोरा पीटा जाता है। वास्तव में देखा जाय तो सत्य और न्याय की लड़ाई लड़ने वाले पत्रकारों के ऊपर निरंतर अत्याचार हो रहे हैं, इन्हीं सब बातों को लेकर आज पूरे प्रदेश के हजारों कलमकारों ने रायपुर के ग्रास मेमोरियल में एक मंच पर एकत्रित होकर महासभा का रूप दिया। मंच पर पीड़ित पत्रकारों ने अपनी-अपनी आपबीती साझा की और मंचस्थ वरिष्ठ पत्रकारों ने प्रदेश में पत्रकारों की सुरक्षा को लेकर चिंता जाहिर करते हुए सरकार से तत्काल पत्रकार सुरक्षा कानून लागू करने की माँग की और पत्रकारों को शासन की ओर से विभिन्न सुविधाएं देने का प्रस्ताव रखा। इससे पहले वरिष्ठ पत्रकार गिरीश पंकज जी ने माधवराव सप्रे से शुरू हुई पत्रकारों की सुदीर्घ परंपरा के मूर्धन्य पत्रकारों चंदूलाल चंद्राकर, रम्मू श्रीवास्तव, मायाराम सुरजन, ललित सुरजन, रमेश नैय्यर, मधुकर खेर, कुमार साहू आदि का स्मरण किया। कार्यक्रम का संचालन कर रहे शरद श्रीवास्तव ने स्व साई रेड्डी, नेमीचंद जैन, सुशील शर्मा एवं अन्य के लिए मौन रखने का आवाहन किया।

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पीड़ित पत्रकारों के बारे में सत्र का संचालन पत्रकार सुरक्षा आंदोलन की शुरुआत करने वाले वरिष्ठ पत्रकार कमल शुक्ला ने किया। उन्होंने प्रभात सिंह, संतोष यादव, सोमारू जैसे पत्रकारों पर हुए जुल्म को याद करते हुए अंबिकापुर के पीड़ित और वर्तमान में फर्जी प्रकरणों के कारण जिला बदर पत्रकार जितेंद्र जायसवाल को अपनी व्यथा सुनाने आमंत्रित किया, इससे बाद कोंटा के पत्रकार बप्पी रॉय और 3 साथियों ने अपनी बात रखी। मनोज पांडे, विनोद नेताम, सुनील यादव, सेवक दास दीवान, किरीट ठक्कर, सतीश यादव, दिनेश सोनी त था इसी तरह 12 – 13 पीड़ित पत्रकारों ने अपनी बाते रखी। अंत में पिछली सरकार में बंदी बनाए गए सुनील नामदेव ने पत्रकारों को संबोधित किया। पत्रकारों के उद्बोधन पश्चात् प्रतिनिधि मंडल छत्तीसगढ़ सरकार से पत्रकार सुरक्षा कानून लागू करने सहित अन्य मांग को लेकर राजभवन पहुँचे और राज्यपाल के नाम ज्ञापन सौंपा। इस दरमियान पीड़ित पत्रकारों ने भी सामूहिक रूप से ज्ञापन सौंपते हुए अपनी और अपने परिवार की सुरक्षा की मांग की। “पत्रकार संकल्प महासभा” छत्तीसगढ़ के इतिहास में पत्रकारों का ऐसा प्रथम महाकुम्भ साबित हुआ जिसमें छत्तीसगढ़ के समस्त पत्रकारों की एकजुटता दिखाई दी।

देश में पहली बार ऐसा इतिहास रचा जा रहा था जिसमें 35 से अधिक पत्रकार संगठन के साथी, 25 से अधिक प्रेस क्लब और जिला पत्रकार संघ के साथी अपनी अपनी सजग भागीदारी से पत्रकारों के मुद्दों पर गंभीर विचार विमर्श करते रहे, ग्रामीण पत्रकारों को वेतन, सम्मान निधि के लिए अधिमान्यता की शर्त हटाने, पत्रकारों के लिए मकान तथा प्लाट, चिकित्सा सुविधा, बच्चों के लिए स्कूल फीस में रियायत, छोटे पत्र पत्रिकाओं को नियमित विज्ञापन की व्यवस्था जैसे उपयोगी प्रस्ताव महासम्मेलन में पास किए गए। ये छत्तीसगढ़ में पहला ऐसा सम्मेलन भी था जिसमें किसी नेता, अधिकारी या पत्रकारों का सम्मान, स्मृति चिन्ह वगेरह करने की बजाय पत्रकार और पत्रकारिता से जुड़े ज़रूरी मुद्दों को तरजीह दी गई।सभी पीड़ित पत्रकारों ने अपनी आवाज बुलंद करते हुए मंच के माध्यम से सरकार तक अपनी बात पहुंचाई और न्याय की गुहार लगाई।

अब देखना यह है कि चौथे स्तम्भ कहे जाने वाले पत्रकारों की इस जायज और बुलंद आवाज पर शासन कब नींद से जागेगी? इस अवसर पर रायपुर सहित संपूर्ण छत्तीसगढ़ के पत्रकार शामिल हुए जिसमें प्रमुख रूप से छत्तीसगढ़ सक्रिय पत्रकार संघ के संरक्षक गिरीश पंकज जी, प्रदेश अध्यक्ष राज गोस्वामी, महासचिव चंकी तिवारी, सचिव मनीष शर्मा, सचिव बप्पी राय, देवेन्द्र चंद्रवंशी, रायपुर संभागीय अध्यक्ष स्वरूप भट्टाचार्यजी, विद्यानंद ठाकुर, अवध मिश्रा, मीना मिश्रा, डी पी गोस्वामी, पुष्पेन्द्र सिंह, सुनील शुक्ला, राहुल गोस्वामी, फिरोज गांधी, लक्ष्मी शर्मा, मुकेश शेण्डे, कवर्धा जिलाध्यक्ष विकास सोनी, आशु चंद्रवंशी, पवन तिवारी, रूपेश चंद्रवंशी, बिलासपुर संभागीय उपाध्यक्ष रतन केसरवानी (पेण्ड्रा), अब्दुल रसीद खान (जांजगीर), आलोक पांडे (रायगढ़) रायगढ़ जिला अध्यक्ष संतोष मेहर, दुर्गा यादव, महासमुंद जिला अध्यक्ष जयदेव सिंह, लोकनाथ पटेल, दुर्ग जिला अध्यक्ष निशांत ताम्रकार, बलौदाबार जिला अध्यक्ष आलोक मिश्रा, सूरजपुर जिला से मनीष जायसवाल, शक्ति से नारायण राठौर, जांजगीर जिला से प्रकाश रात्रे, कोरिया जिला से राजेश उपाध्याय, बी पी तिवारी, अभिजीत मुखर्जी, महेश प्रसाद, संदीप सोनवानी, बिलासपुर जिला विजय दुसेजा, मस्तूरी एवं पचपेढी़ तहसील से संजय निषाद, रूपचंद राय, विश्व प्रकाश कुर्रे ,अमर लाल यादव, विवेक टंडन ,प्रमोद अवस्थी, सांतनू कुर्रे, पत्रकारिता संकल्प के संयोजक सुधीर तंबोली आज़ाद, स्टेट वर्किंग जर्नलिस्ट्स यूनियन छत्तीसगढ ( IJU) प्रदेश अध्यक्ष पी सी रथ, महासचिव विरेंद्र कुमार शर्मा, संयुक्त पत्रकार सुरक्षा समिति के संयोजक कमल शुक्ला, राज गोस्वामी, व्यास पाठक, शिवशंकर सोनपीपरे, अजीत शर्मा (PCWJ ) छत्तीसगढ़िया पत्रकार महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष गजेन्द्र रथ वर्मा, मनोज पांडे, अमित गौतम, सुनिल यादव, सेवक दास दीवान, अमिताभ पॉल, गोविंद शर्मा, आनंद राम पत्रकारश्री आसिफ इक़बाल, बी डी निजामी , अशोक तोमर, विरेंद्र कुमार शर्मा, शकील लाला दानी, महेश आचार्य, तिलका साहू, दिनेश नामदेव, दिनेश सोनी, राहुल गोस्वामी, प्रवीण खरे, हरिमोहन तिवारी, गुलाब दीवान, ललित यादव, जितेंद्र जायसवाल, आदित्य गुप्ता, चोवाराम वर्मा, मो शरीफ खान, उचित शर्मा, रेणु नंदी, पूर्व प्रेस क्लब अध्यक्ष के के शर्मा तथा प्रकाश शर्मा आदि शामिल हुए। महासम्मेलन को लिखित, मौखिक समर्थन देने शामिल होने वाले संस्थाओं में दक्षिण बस्तर पत्रकार संघ, जीपीएम प्रेस क्लब, रायपुर प्रेस क्लब, बेमेतरा, मुंगेली प्रेस क्लब, कोंडागांव प्रेस क्लब, महासमुंद प्रेस क्लब, कुम्हारी प्रेस क्लब, दुर्ग प्रेस क्लब, कांकेर जिला पत्रकार संघ, जगदलपुर बस्तर जिला पत्रकार संघ, पत्रकार संघ, छत्तीसगढ़ श्रमजीवी पत्रकार कल्याण संघ एवं अन्य कई संस्थाएं शामिल थीं। कार्यक्रम की योजना बना कर परस्पर सहभागिता तथा योगदान से कार्यक्रम को आयोजित करने वाले अग्रगामी संगठन इंडियन जर्नलिस्ट्स यूनियन, इंडियन फेडरेशन ऑफ वर्किग जर्नलिस्ट्स, छत्तीसगढ श्रमजीवी पत्रकार संघ ( पंजीयन क्रमांक 617), पत्रकार कल्याण महासंघ, पत्रकार महासंघ छत्तीसगढ, स्टेट वर्किंग जर्नलिस्ट्स यूनियन छत्तीसगढ़, छत्तीसगढ जर्नलिस्ट वेलफेयर यूनियन रायपुर, छत्तीसगढ जर्नलिस्ट यूनियन, छत्तीसगढ सक्रिय पत्रकार संघ, छत्तीसगढ प्रेस वेलफेयर एसोसिएशन, अखिल भारतीय पत्रकार सुरक्षा समिति, प्रेस क्लब ऑफ वर्किग जर्नलिस्ट (PCWJ), आदर्श पत्रकार संघ, सद्भावना पत्रकार संघ, छत्तीसगढ़ प्रेस क्लब, छत्तीसगढ़िया पत्रकार महासंघ, भारतीय पत्रकार संघ, द जर्नलिस्ट एसोसिएशन, मीडिया पत्रकार मंच,आइडियल जर्नलिस्ट एसोसिएशन, प्रिंट मीडिया जर्नलिस्ट एसोसिएशन, अखिल भारतीय पत्रकार एवं संपादक एसोसिएशन, पत्रकार प्रेस महासंघ, प्रदेश पत्रकार यूनियन,छत्तीसगढ़ मीडिया एसोसिएशन, राष्ट्रीय पत्रकार मोर्चा, पत्रकार जनकल्याण समिति, प्रेस एंड मीडिया वेलफेयर एसोसिशन शामिल थे। कुछ अन्य संस्थाओं के प्रतिनिधि 2अक्टूबर को कार्यक्रम स्थल पर आ कर समर्थन व्यक्त करते देखे गए।

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