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RISHI KAPOOR DEATH ANNIVERSARY : दिवंगत ऋषि कपूर के जिंदगी से जुड़े कुछ अनकहे किस्से, पढ़िए सदाबहार अभिनेता का यादगार सफर

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Rishi Kapoor Death Anniversary : सिनेमा जगत में अपनी प्रतिभा और इंप्रेसिव स्क्रीन प्रजेंस से दर्शकों का दिल जीत लेने वाले बॉलीवुड के चार्मिंग एक्टर ऋषि कपूर 67 साल की उम्र में इस दुनिया को अलविदा कह गए। ऋषि कपूर लंबे वक्त से कैंसर से जूझ रहे थे। मुंबई के एक अस्पताल में उन्होंने आखिरी सांसें लीं। ऋषि कपूर ने बॉलीवुड में 50 साल से भी ज्यादा समय तक काम किया। ऋषि कपूर उस कपूर खानदार से ताल्लुक रखते थे, जिसका इतिहास फिल्म इंडस्ट्री में 100 साल से भी ज्यादा पुराना था। पृथ्वीराज कपूर के पोते और शोमैन राजकपूर के बेटे ऋषि कपूर ने कपूर परिवार की परंपरा को आगे बढ़ाते हुए बेहतरीन फिल्में कीं। उनकी रोमांटिक छवि और सदाबहार गाने आज भी दर्शकों के जेहन में ताजा हैं। बचपन में अपने पिता राज कपूर की फिल्मों में काम करने से लेकर यंग एज में रोमांस, नीतू कपूर के साथ शादीशुदा जिंदगी और कैंसर से जूझने तक उन्होंने एक लंबा सफर तय किया, आइए उनकी लाइफ जर्नी के बारे में जानते हैं।

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ऋषि कपूर को पूरे फिल्म जगत में आज हर कोई जनता है। वह, आज ही के दिन चार साल पहले दुनिया को अलविदा कह गए थे। 30 अप्रैल साल 2020 में उन्होंने अपनी अंतिम सांस ली। ऋषि कपूर के निधन से कपूर फैमिली ही नहीं, बल्कि पूरी फिल्म डस्ट्री और लाखों-करोड़ों फैंस को बहुत बड़ा झटका लगा था। आज ऋषि कपूर की चौथी पुण्यतिथि है। ऋषि कपूर भले ही इस दुनिया में अब नहीं है। लेकिन उनके किस्से और शानदार यादें आज भी लोगों के दिलों में जिंदा है। पूरा फिल्म जगत और आम लोग भी जानते थे ऋषि कपूर काफी गुस्से वाले थे। सोशल मीडिया पर उनका कई बार गुस्सा देखने को भी मिल जाता था।

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वहीं, ऋषि कपूर को लेकर एक अहम जानकारी भी सामने आई कि उन्होंने अपनी मौत को लेकर तीन साल पहले ही एक भविष्यवाणी की थी, जो करीब तीन साल बाद सच भी हो गई। जानकारी के अनुसार, ऋषि कपूर ने 28 अप्रैल साल 2017 में एक ट्वीट किया था, जिसमें उन्होंने कहा था कि, ‘जब मैं मरूंगा तो कोई मुझे कंधा देने वाला नहीं होगा’। बता दें कि, उनका यह ट्वीट तब का है जब विनोद खन्ना का निधन हुआ था।

4 सितंबर 1952 को जन्में, दरमियाने कद के, बेइंतहाँ खूबसूरत ऋषि कपूर तब मात्र तीन साल के थे जब उनके पिता, द लेजेंडरी शो मेन ने उन्हें पहली बार फिल्म श्री चारसौ बीस (1955) में कैमरे के सामने ला खड़ा किया था। फिर 18 साल की उम्र में, उनके पिता राज कपूर की ड्रीम फिल्म में, उनके बचपन का रोल निभाने के लिए दोबारा ऋषि कपूर को चुना था। घुँघराले बाल, गुलाबी-गुलाबी होंठ और दूध से गोरे ऋषि कपूर दर्शकों के लिए एक मसूम बच्चे जैसे थे।

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बदकिस्मती से मेरा नाम जोकर (1970) फ्लॉप हो गई और राज कपूर अपना सब कुछ हार बैठे। उन्होंने इस फिल्म को ऐसे बनाया था मानों किसी बच्चे को पाल पोसकर बड़ा कर रहे हों। लेकिन फिल्म नहीं चली। हालांकि पूत के पाँव पालने में ही नज़र आ गए क्योंकि ऋषि कपूर को बतौर चाइल्ड आर्टिस्ट नैशनल अवॉर्ड से नवाज़ा गया। यहीं से राज कपूर के मन में एक और उमंग जगी और उन्होंने 20 साल के ऋषि कपूर और 16 साल की डिम्पल कपाड़िया को लेकर बॉबी (1973) बना डाली और इस फिल्म ने तहलका मचा दिया। ऋषि कपूर ने अपनी पहली ही फिल्म में जता दिया कि इंडस्ट्री में एक स्टार और आ गया है। इस फिल्म के लिए उन्हें फिल्म फेयर बेस्ट ऐक्टर का अवॉर्ड मिला। इसके बाद तो जैसे फिल्मों की झड़ी लग गई।

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ऋषि कपूर पर उन दिनों लाखों लड़कियां फिदा रहती थीं, लेकिन ऋषि का दिल तो नीतू कपूर के पास था। हालांकि, शुरुआत में ऋषि कपूर और डिंपल कपाड़िया के अफेयर की खबरों से इंडस्ट्री का बाजार भी खूब गरम रहता था, लेकिन जब साल 1974 में नीतू कपूर-ऋषि कपूर की जिंदगी में आई तो एक्टर की जिंदगी में काफी कुछ बदल गया। फिल्म ‘जहरीला इंसान’ की शूटिंग के दौरान नीतू की उम्र सिर्फ 15 साल थी। सेट पर दोनों की मुलाकात हुई और जल्द दोनों की दोस्ती प्यार में बदल गई।

ऋषि कपूर के परिवार को तो नीतू से कोई दिक्कत नहीं थी, लेकिन नीतू के परिवार को ऋषि कपूर से परेशानी थी और इसी कारण एक्ट्रेस का परिवार इस रिश्ते के खिलाफ था। क्योंकि नीतू कपूर का परिवार चाहता था कि वह अपने करियर पर ध्यान दें। हालांकि, बाद में नीतू कपूर का परिवार इस रिश्ते के लिए राजी हो गया था और आखिरकार दोनों ने 11 जनवरी 1980 को शादी कर ली थी। दोनों के दो बच्चे हैं। बेटी रिद्धिमा कपूर और बेटा रणबीर कपूर

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जिसके बाद हर साल ऋषि कपूर 3 से 4 फिल्में करने लगे। इस दौरान रफ़ू चक्कर, राजा, लैला मजनू, बारूद, हम किसी से कम नहीं आदि में लीड भूमिका में रहे और दर्शकों द्वारा खूब सराहे गए तो, वहीं, अमर अकबर एंथनी, दूसरा आदमी, बदलते रिश्ते, आदि में वह अमिताभ बच्चन, विनोद खन्ना, जितेंद्र आदि समकालीन कलाकारों के साथ स्क्रीन शेयर करते भी नज़र आए। ऋषि कपूर कभी किसी भी रोल को करने से डरे नहीं। कर्ज़ में मोंटी का चैलिंजिंग रोल हो या धर्मेन्द्र के साथ कातिलों का कातिल जैसी सुपर एक्शन फिल्म हो, ऋषि कपूर ने वराइटी रोल करने से कभी खुद को नहीं रोका। वो टाइप कास्ट नहीं हुए।

अस्सी के दशक में ऋषि कपूर और श्री देवी की जोड़ी बहुत पसंद की जाने लगी। नागिन, निगाहें, चाँदनी, बंजारन, कौन सच्चा कौन झूठा, आदि यूं तो सब सही चलीं, लेकिन चाँदनी ने जो लोगों को इनकी जोड़ी का दीवाना बनाया, वो दीवानापन और किसी फिल्म के लिए नहीं मिला। ऋषि कपूर इकलौते ऐक्टर थे जिन्होंने भारी वजन के साथ भी कई फिल्मों में लीड रोल ही किया और दर्शकों ने उन्हें पसंद भी किया।  जब दामिनी जैसी फिल्म में उन्हें सनी देओल के साथ स्क्रीन शेयर करने को कहा गया तो भी उन्होंने कोई गुरेज नहीं की। असल में तब आज जैसा दौर नहीं था कि ऐक्टर्स सिर्फ अपने रोल से मतलब रखते थे। तब ये ज़रूर देखा जाता था कि कहीं मुझसे ज़्यादा दमदार रोल दूसरे ऐक्टर का तो नहीं है! पर ऋषि कपूर ने कभी इस चीज की परवाह नहीं की।

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दौर बदला तो ऋषि कपूर ने कैरिक्टर रोल्स करने भी शुरु कर दिए लेकिन ऋषि कपूर यहां भी अव्वल रहे। फिल्म नमस्ते लंदन हो या लव आज कल, राजू चाचा हो या फ़ना, कल किसने देखा हो या दिल्ली 6, उनके कैरिक्टर रोल की तारीफ तो कई बार लीड रोल से भी ज़्यादा हुई। फिल्म दो दूनी चार के लिए तो वह फिर फिल्मफेयर क्रिटिक चॉइस अवॉर्ड जीतने में कामयाब हो गए। एक रोज़ करन मल्होत्रा और करन जौहर ऋषि कपूर के पास पहुंच गए और बोले “ऋषि जी आपको ये रोल करना है, ये आप ही बेस्ट कर सकते हो”

ऋषि कपूर ने रोल पढ़ा तो वो रौफ लाला का कैरेक्टर था। उन्हें पहली बार लगा कि वो कहां ऐसे नेगेटिव, ब्रूटल रोल करेंगे, लोग तो उन्हें और फिल्म दोनों को नापसंद कर देंगे। उन्होंने साफ मना कर दिया। करन एण्ड करन फिर भी अड़े रहे। कहने लगे “ऋषि सर आप बहुत अच्छे ऐक्टर हैं, आप ये रोल सबसे अच्छा करेंगे” ऋषि कपूर भी बेखौफ़ आदमी थे, बोले मुझे पता है मैं अच्छा ऐक्टर हूँ, पर देख तो सही ये रोल क्या है। ये मैं कहां से कर लूंगा तू सोच ज़रा, अच्छा ऐक्टर हूं वो मैं बहुत अच्छे से जानता हूं।

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लेकिन करन एण्ड करन न सुनने के मूड में ही नहीं थे। वो एक महीने तक ऋषि कपूर के पीछे लगे रहे और आखिरकार ऋषि कपूर लुक टेस्ट के लिए राज़ी हुए। और जब उन्होंने अपनी लुक देखी तो उनकी आंखों में चमक आई कि नहीं यार! विलन बनना एक अच्छा एक्सपेरिमेंट साबित हो सकता है। फिर जब अग्निपथ (2012) में सबने रौफ लाला बने ऋषि कपूर को देखा, तो ऋतिक रौशन से ज़्यादा तारीफ़ें ऋषि कपूर बटोर ले गए। इसके बाद उन्हें नेगेटिव रोल में मज़ा आने लगा। उन्होंने अर्जुन कपूर के साथ औरंगज़ेब की। हालांकि ये फिल्म नहीं चली। फिर फिर 2013 में ही इरफान खान और अर्जुन रामपाल के साथ डी-डे की। जिसमें वह छद्म रूप से दावूद इब्राहीम बने थे। इस रोल के लिए भी उन्हें बहुत तारीफ़ें मिलीं।

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भारतीय सिनेमा में एक दौर था जब कहते थे कि ये सिनेमा का नहीं, अमिताभ बच्चन का दौर है। कहा ये भी जाता है कि अमिताभ वो आँधी थे जिनके सामने सब उड़ जाते थे सिवाये एक के, और वो एक थे ‘ऋषि कपूर’… अमिताभ बच्चन के साथ 2018 में वापसी करते हुए 102 नॉट आउट में हर वक़्त कुढ़-कुढ़ करने वाले 100 साल के बूढ़े के बेटे बने ऋषि फिर से दर्शकों का दिल जीतने में कामयाब हुए, तो वही पॉलिटिकल ड्रामा मुल्क के लिए उनकी निंदा भी हुई तो ऐक्टिंग को लेकर खूब वाहवाही भी मिली।

ऋषि कपूर इतने मुँहफट आदमी थे कि बोलने से पहले बिल्कुल भी नहीं सोचते थे। एक दफा फिल्मफेयर अवार्ड्स के लिए बोले “ऐसे अवार्ड्स तो मैं चार-चार हज़ार में खरीद लिया करता था” तो कभी कहते मैं हिन्दू हूँ और बीफ भी खाता हूँ, तो क्या मैं कम हिन्दू हो गया?

दो साल तक कैंसर जैसी बीमारी से लड़ने के बाद, न्यू यॉर्क में इलाज कराने के बाद ऋषि कपूर ने 30 अप्रैल 2020 को दम तोड़ दिया। हालांकि डॉक्टर्स और स्टाफ का कहना था कि वह आखिरी दिन तक भी सबको हँसाते हुए, सबसे पंगे करते हुए ही गए।

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ऋषि कपूर एक ज़िंदा-दिल आदमी थे। वह जबतक जिए अपनी मर्ज़ी से जिए, अपनी मर्ज़ी से दुनिया को चलाकर जिए और जब उन्हें जाना पड़ा, तो भी हँसते-हँसते ऐसे गए जैसे ज़िंदगी में कोई भी मलाल बाकी नहीं था। किंग साइज़ लाइफ जीने वाले ऋषि कपूर को उनकी पुण्यतिथि पर याद करते हुए नमन। न ऐसा अभिनेता पहले कभी हुआ था, न आगे कभी होगा।

ऋषि कपूर के जाने के बाद भी ‘मैं शायर तो नहीं’ समेत कई ऐसे गानें हैं उनके सदाबहार नग्मे जो हमेशा लोगों की जुबान और जहन में जिंदा रहेंगे। साल 1973 में आई फिल्म बॉबी का ‘मैं शायर तो नहीं’ आज तक महफिलों की शान बढ़ाता है। अच्छे-अच्छे गायकों से इस गाने को गाने की फरमाइश होती है। उस दौर में तो ये गीत और ऋषि कपूर की स्टाइल लोग कॉपी करते थे।

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फिल्म- चांदनी
गाना- चांदनी ओ मेरी चांदनी
‘चांदनी’ का टाइटल ट्रैक भला कौन भूल सकता है जहां ऋषि जी और श्रीदेवी की मजेदार केमिस्ट्री कभी पुरानी नहीं पड़ती।

फिल्म- सागर
गाना- चेहरा है या चांद खिला है
‘बॉबी’ के बाद ऋषि कपूर साहब फिल्म सागर में डिंपल कपाड़िया के साथ नजर आए। फिल्म का संगीत आर डी बर्मन ने दिया था और इस फिल्म का गाना ‘चेहरा है या चांद खिला है’ आज तक सभी का पसंदीदा है जो वक्त के साथ पुराना नहीं होता।

फिल्म- कर्ज
गाना- ‘दर्द ए दिल’
ये एक गाना एक तरफ और बाकी ऋषि जी के ट्रैक एक तरफ ‘दर्द ए दिल’ कर्ज फिल्म का वो एंथम है जिसे हर युवा गुनगुनाता था और गुनगुनाता रहेगा।

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फिल्म- खेल खेल में
गाना- एक मैं और एक तू
‘एक मैं और एक तू’ फिल्म ‘खेल खेल’ में ऊपर से नीतू जी के साथ चिंटू जी की कमाल की केमिस्ट्री गाने में चार चांद लगा देती है।

फिल्म- हम किसी से कम नहीं
गाना- बचना ऐ हसीनों
फिल्म ‘हम किसी से कम नहीं’ का गाना ‘बचना ऐ हसीनों’ एक ऐसा सुपर डुपर ब्लॉबस्टर सॉन्ग है जिसकी रिकॉल वैल्यू भी उतनी ही जबरदस्त थी और यही वजह है कि जब रणबीर कपूर परफॉर्म किया तो मजा दोगुना हो गया।

फिल्म- जहरीला इंसान
गाना- ओ हंसीनी’
‘ओ हंसीनी’ ये गीत किसी ताजा हवा के झोंके की तरह था जो लोगों के जहन में आज तक कायम है। फिल्म थी ‘जहरीला इंसान’

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फिल्म- सरगम
गाना- डफली वाले डफली बजा
फिल्म ‘सरगम’ का सुपरहिट ट्रैक ‘डफलीवाले’ को कौन भूल सकता है भला, ये सिग्नेचर स्टाइल बहुत से लोगों ने कॉपी करने की कोशिश की लेकिन वो जादू नहीं पैदा हो सका जो ऋषि जी में था।

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फिल्म- ये वादा रहा
गाना- तू तू है वही दिल ने जिसे

किशोर कुमार और आशा भोसले की आवाज में गाया ‘तू तू है वही’ भी एक एवरग्रीन सॉन्ग है जिसमें पूनम ढिल्लन के साथ उनकी डिसेंट जोड़ी देखते ही बनती है।

फिल्म- अमर अकबर एंथनी
गाना- पर्दा है पर्दा
फिल्म ‘अमर अकबर एंथनी’ के इस 8 मिनट के ट्रैक में सबकुछ है जो किसी कव्वाली में होना चाहिए।

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फिल्म- दीवाना
गाना- सोचेंगे तुम्हें प्यार
दिव्या भारती, ऋषि स्टारर फिल्म दीवाना का ये सुपरहिट गाना आज तक सभी की जुबां पर चढा़ हुआ हैं।

फिल्म- हिना
गाना- मैं देर करता नही देर हो जाती है।

वैस ऋषि कपूर के सभी सुपर हिट्स गानों की लिस्ट बहुत लम्बी है। जिनको समेट पाना मुश्किल हैं. ऋषि कपूर के ये गाने सुनकर मन को अलग ही ताजगी मिलती है।

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