शनि की साढ़े सती से मचा उथल-पुथल, हनुमान जी की पूजा, मंत्र और शनिवार व्रत से पाएँ शांति, सफलता और मानसिक संतुलन

शनिवार व्रत और हनुमान जी की भक्ति से शनि साढ़े सती के संकट कम करें
हिंदू ज्योतिष में शनि साढ़े सती को जीवन में चुनौतीपूर्ण अवधि माना जाता है। यह काल व्यक्ति के जन्म चंद्र राशि के अनुसार लगभग 7 साल 6 महीने तक रहता है। इस दौरान शनि देव अपने कर्मों के अनुसार परिणाम देते हैं, जिससे जीवन में मानसिक तनाव, आर्थिक बाधाएँ और स्वास्थ्य संबंधी परेशानियाँ आ सकती हैं।
विशेषज्ञों के अनुसार, हनुमान जी की पूजा, मंत्र जाप और शनिवार व्रत से इस काल के नकारात्मक प्रभाव कम किए जा सकते हैं।
साढ़े सती का महत्व और दुष्प्रभाव
- मानसिक तनाव, चिंता और निर्णय लेने में कठिनाई।
- नौकरी और व्यवसाय में रुकावटें, आर्थिक परेशानियाँ।
- स्वास्थ्य और पारिवारिक जीवन में असंतुलन।
- जो व्यक्ति धैर्य और संयम के साथ जीवन जीते हैं, उन्हें कठिनाइयों में भी सफलता मिलती है।
कथा
कहते हैं कि एक बार शनि देव ने एक व्यक्ति को कर्मों के अनुसार परीक्षा देने के लिए साढ़े सती में रखा। उस व्यक्ति ने हनुमान जी की भक्ति और सेवा की, तो उसकी परेशानियाँ कम हो गईं।
संदेश: साढ़े सती कठिनाई का काल है, लेकिन भक्ति और कर्म के माध्यम से शनि देव के दुष्प्रभाव कम किए जा सकते हैं।
हनुमान जी की पूजा और मंत्र
- शनिवार व्रत: शनिवार को हनुमान जी की पूजा करें और व्रत रखें।
- मंत्र जाप:“ॐ हनुमते नमः”
प्रतिदिन मंत्र जाप करने से शनि दोष और साढ़े सती के नकारात्मक प्रभाव कम होते हैं। - धूप और दीप: काले तिल और सरसों का तेल हनुमान मंदिर में अर्पित करें।
- दान: गरीबों और जरुरतमंदों को शनिवार को दान करें।
- शनि और हनुमान मंदिर दर्शन: हनुमान जी और शनि देव के मंदिर में दर्शन और पूजा से मानसिक शांति और स्थिरता मिलती है।
साढ़े सती में अन्य उपाय
- नीली या काली वस्त्र पहनें, विशेषकर शनिवार को।
- नियमित रूप से शनि मंत्र का जाप करें।
- कर्म में अनुशासन और मेहनत बनाए रखें।
- नकारात्मक विचार और आलस्य से दूर रहें।





