CHHATTISGARH : किसानों के लिए आय में वृद्धि का नया अध्याय: पीएम-आशा योजना से दाल–तिलहन में आत्मनिर्भरता की ओर कदम

रायपुर / किसानों की आय बढ़ाने और देश को दाल–तिलहन उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में प्रधानमंत्री-अन्नदाता आय संरक्षण अभियान (पीएम-आशा) योजना महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू किए गए इस अभियान के तहत दलहन एवं तिलहन आत्मनिर्भरता मिशन को नई गति मिली है। इसका उद्देश्य किसानों से दलहनी व तिलहनी फसलों की न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर सरकारी खरीद सुनिश्चित करना है।

दाल उत्पादन बढ़ाकर किसानों की आय बढ़ाने पर जोर
पीएम-आशा योजना एक व्यापक सरकारी व्यवस्था है, जिसके तीन प्रमुख घटक हैं—
1. मूल्य समर्थन योजना (PSS)
2. मूल्य स्थिरीकरण कोष (PSF)
3. मूल्य घाटा भुगतान योजना (PDPS)
योजना का मुख्य उद्देश्य किसानों को उनकी फसल का उचित मूल्य दिलाना, MSP की गारंटी देना और आय संरक्षण सुनिश्चित करना है।
योजना के अंतर्गत— अरहर, उड़द और मसूर का 100% उपार्जन वहीं मूंगफली, सोयाबीन, मूंग, चना, सरसों का 25% उपार्जन केंद्र सरकार अपनी प्रापण संस्थाओं नाफेड और एनसीसीएफ के माध्यम से करेगी। सरकार का लक्ष्य है कि देश दाल उत्पादन में आत्मनिर्भर बने और किसानों की आमदनी में सीधा लाभ पहुँचे।
किसानों की आर्थिक सुरक्षा की दिशा में ठोस पहल
सरकार चाहती है कि किसानों को उनकी मेहनत का पूरा मूल्य मिले और उनकी फसल समय पर खरीदी जाए। इसी उद्देश्य से पीएम-आशा योजना को लागू किया गया है। इसके तहत किसानों की उपज को एमएसपी पर खरीदा जाएगा, जिससे उनकी आर्थिक सुरक्षा मजबूत होगी और उन्हें बाजार की अनिश्चितताओं का सामना नहीं करना पड़ेगा।
बलौदाबाजार जिले में 5 उपार्जन केन्द्र अधिसूचित
पीएम-आशा की मूल्य समर्थन योजना (PSS) के अंतर्गत बलौदाबाजार जिले में 5 उपार्जन केंद्र अधिसूचित किए गए हैं—
- प्राथमिक कृषि साख सहकारी समिति, बलौदाबाजार
- प्राथमिक कृषि साख सहकारी समिति, अमेरा (पलारी)
- प्राथमिक कृषि साख सहकारी समिति, धुर्राबांधा (भाटापारा)
- प्राथमिक कृषि साख सहकारी समिति, कसडोल
- प्राथमिक कृषि साख सहकारी समिति, सिमगा
इन केंद्रों पर किसान निर्धारित अवधि में अपनी फसल का उपार्जन करवा सकेंगे।
पंजीयन अनिवार्य: एकीकृत किसान पोर्टल पर कराएं रजिस्ट्रेशन
योजना के लाभ प्राप्त करने के लिए किसान को अपनी फसल विक्रय हेतु एकीकृत किसान पोर्टल पर पंजीयन कराना अनिवार्य है।
पंजीयन के समय किसान को समीपस्थ उपार्जन केंद्र का चयन भी करना होगा।
- हर अधिसूचित फसल की उपार्जन अवधि 90 दिन निर्धारित है।
- किसान अपने उत्पाद का उचित मूल्य पाने के साथ-साथ प्रतिस्पर्धी बाजार में अधिक दाम पाने का अवसर भी प्राप्त कर सकते हैं।
- यह पहल फसल विविधिकरण को भी बढ़ावा देती है, जिससे किसानों को नई संभावनाएं मिलती हैं।





