JANJGIR CHAMPA : भाई दूज! भाई-बहन के अटूट स्नेहिल रिश्तों का पर्व
जांजगीर-चांपा / भाई दूज का पर्व भाई-बहन के अनमोल रिश्ते का प्रतीक हैं , जिसे दिवाली के दो-दिन बाद मनाया जाता हैं। इस दिन बहनें अपने भाई की लंबी उम्र, सफलता और सुख-समृद्धि की कामना करती हैं। भाई दूज पर बहनें अपने भाई के माथे पर तिलक लगाती हैं और उसकी आरती उतारती हैं। इसके पीछे यह मान्यता हैं कि तिलक से भाई की रक्षा होती हैं और उसका जीवन खुशियों से भर जाता हैं। भाई दूज का यह अनुष्ठान भाई-बहन के प्रेम, सुरक्षा और एक-दूसरे के प्रति समर्पण का प्रतीक बन गया हैं।
उक्ताशय के विचार स्वामी आत्मानंद उत्कृष्ट इंग्लिश स्कूल चांपा में अध्यापक डॉ रविंद्र कुमार द्विवेदी ने दैनिक समाचार-पत्रों से सम्बद्ध शशिभूषण सोनी से विस्तृत चर्चा करते हुए कही जिसे उन्होंने प्रेस को साझा किया। डॉ द्विवेदी जी ने बताया कि इस पर्व का विशेष महत्व भारतीय संस्कृति में इसलिए भी हैं क्योंकि यह परिवार में आपसी स्नेह और अपनत्व की भावना को मजबूत करता हैं। इस दिन भाई भी अपनी बहन को उपहार देकर उसके प्रति सम्मान और आभार प्रकट करता है। भाई दूज हमें यह सिखाता हैं कि भाई-बहन का रिश्ता केवल खून का ही नहीं बल्कि एक गहरा भावनात्मक बंधन हैं, जो जीवन भर साथ निभाने का वचन देता हैं।
प्राचार्य डॉ कुमुदिनी द्विवेदी ने कहा कि भाई दूज का पर्व हमारे समाज में भाई-बहन के अटूट प्रेम का प्रतीक बनकर हर वर्ष हमारे जीवन में खुशियों का संचार करता हैं। शशिभूषण सोनी ने कहा कि भाई दूज के अवसर पर अपनी बहनों विद्या सराफ, अन्नपूर्णा देवी तथा एस पाण्डेय के यहां आमंत्रण पर पहुंचा। बहनों ने भाई के मस्तक पर तिलक लगाई और मैंने चरण स्पर्श किया। उन्होंने बताया कि भाई-दूज से तात्पर्य यह हैं कि जब बहन प्रेम और स्नेह से भाई के मस्तक पर तिलक लगाती हैं तब वह कह रही होती हैं कि हे मेरे प्रिय भाई ! मैं जीवन के प्रत्येक क्षण में आपके सामाजिक, धार्मिक, शैक्षणिक और साहित्यिक कार्यक्रमों को पूरा करने में सहयोग करुंगी। कहने का सीधा-सा तात्पर्य यह हैं कि बहनें, भाई को ईश्वरीय कार्यों के लिए हार्दिक सहयोग जीवनपर्यंत देने की परमपिता परमेश्वर से प्रार्थना करती हैं, भाई-दूज का वास्तविक अर्थ यही हैं।