
जांजगीर चांपा / जिला मुख्यालय से लगे गांव सरखों में छत्तीसगढ़ का लोकप्रिय पर्व भोजली बड़े ही उत्साह के साथ धूमधाम से मनाया गया मित्रता आदर और विश्वास के इस प्रतीक पर्व पर शाम के समय सरखों गांव में इसका रंग दिखा। जब तालाब में छोटे-छोटे बच्चे और महिला सिर पर भोजली लेकर विसर्जन के लिए लोकगीत गाते हुए निकली।
त्योहारों के प्रदेश छत्तीसगढ़ का यह पहला ऐसा त्यौहार है जो पूरे विश्व में सिर्फ अपने अंतिम दिन यानी विसर्जन के दिन के लिए प्रसिद्ध है।
छत्तीसगढ़ के त्यौहार में प्रमुख भोजली त्यौहार, भोजली गीत छत्तीसगढ़ की एक पहचान है। छत्तीसगढ़ का यह गीत सावन के महीने में महिलाऐं गाती रहती हैं। सावन के महीने में जब चारों ओर हरियाली दिखाई पड़ती है। कभी अकेली गाती है कोई बहू तो कभी सबके साथ मिलकर छत्तीसगढ़ के नन्हे बच्चे भी गाते हैं।
ऐसी मान्यता है कि भोजली गीत अर्थ का है, भूमि में जल हो यही कामना करती है। महिलाएं इस गीत के माध्यम से इसीलिए भोजली देवी को अर्थात प्रकृति की पूजा करती हैं। छत्तीसगढ़ में महिलाएं धान गेहूं जव या उड़द के थोड़े दाने को एक टोकरी में बोती हैं। उस टोकरी में खाद मिट्टी पहले रखती हैं इसके बाद सावन शुक्ल नवमी को बो देती हैं। जब पौधे उगते हैं उसे भोजली देवी कहा जाता है।
जिला मुख्यालय के समीप ग्राम पंचायत सरखों में बहुत ही प्रसन्न रूप से बाजे गाजे के साथ भोजली विसर्जन किया गया। छत्तीगढ़ वासियों की चलती आ रही परंपरा को सरखों के ग्रमीणों ने आज भी बरकरार रखा हैं। ग्रामीणजनो ने बहुत हर्ष उल्लास से किया भोजली विसजर्न।
जिसमें प्रमुख रूप से नवागढ़ विकाशखण्ड की जनपद अध्यक्ष प्रीति देवी सिंह, पूर्व सरपंच प्रतिनिधि बल्लू राठौर, संतोष यादव, अमरीश श्रीवास, राज साहू, ओम प्रकाश राठौर सहित ग्रामवासियों के द्वारा बड़े उत्साह के साथ भोजली पूजन एवं भोजली विसर्जन किया गया।