भक्ति

जानिए किन राशियों पर नही पड़ती शनि देव की कुदृष्टि, मिलता है पद प्रतिष्ठा और मान सम्मान

 

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सनातन धर्म मे न्याय के देवता के रूप में भगवान शनिदेव को जाना जाता हैं। समस्त भगवानो में शनिदेव ही एक ऐसे देवता हैं, जिनकी पूजा लोग आस्था से तो करते ही है, बल्कि शनि देव के प्रकोप के डर से भी करते हैं।

हिंदू धर्म में शनिदेव को न्याय का देवता कहा गया है। सभी ग्रहों में शनि ग्रह का स्थान सबसे प्रमुख होता है। शनिवार का दिन शनिदेव को समर्पित रहता है। इस दिन शनि देव की विशेष पूजा अर्चना की जाती है। पौराणिक कथाओं में शनिदेव के विभिन्न रूपों में वर्णन किया गया है। उन्हें काल और कर्म का प्रतीक माना जाता है। वैदिक ज्योतिष में शनि को कर्मफल के वितरक माना जाता है। पंडित जी बताते हैं, कि शनि की दया और कृपा से व्यक्ति का जीवन सरल व खुशहाल बना रहता है, जबकि शनि देव की कुदृष्टि से व्यक्ति नर्क जैसा जीवन व्यतीत करता है। शास्त्रों में शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए कई उपाय बताए गए हैं। वहीं, कुछ राशियां शनिदेव को बेहद प्रिय होती हैं। इसलिए उनके जीवन में अधिक कष्ट नहीं रहते हैं।

शनि देव इंसान को उसके अच्छे और बुरे कर्मो के अनुसार फल प्रदान करते हैं। यही वजह है की भगवान शनि को कलियुग में भी निष्पक्ष न्याय करने वाले देवता के रूप में माना जाता हैं।

शनिदेव भगवान सूर्य तथा छाया (संवर्णा) के पुत्र हैं। इनकी पत्नी के श्राप के कारण इनको क्रूर ग्रह माना जाता है। शनि के अधिदेवता प्रजापति ब्रह्मा और प्रत्यधिदेवता यम हैं। इनका वर्ण कृष्ण है व ये गिद्ध की सवारी करते हैं। ज्योतिष के अनुसार शनि को अशुभ माना जाता है व 9 ग्रहों में शनि का स्थान सातवां है। ये एक राशि में तीस महीने तक निवास करते हैं, साथ ही मकर और कुंभ राशि के स्वामी माने जाते हैं। शनि की महादशा 19 वर्ष तक रहती है। शनि की गुरूत्वाकर्षण शक्ति पृथ्वी से 95 वें गुणा ज्यादा मानी जाती है। माना जाता है इसी गुरुत्व बल के कारण हमारे अच्छे और बुरे विचार शनि देव तक पंहुचते हैं, जिनका कर्म के अनुसार परिणाम भी जल्द मिलता है। वास्तव में शनिदेव एक न्यायप्रिय राजा हैं। यदि आप किसी से धोखा-धड़ी नहीं करते, किसी के साथ अन्याय नहीं करते, किसी पर कोई जुल्म अत्याचार नहीं करते, कहने का तात्पर्य यदि आप बुरे कामों में लिप्त नहीं हैं तब आपको शनिदेव से घबराने की कोई जरुरत नहीं है । क्योंकि शनिदेव भले जातकों को कोई कष्ट नहीं देते ।

शनिदेव भी अपने पिता की तरह ही तेजस्वी है। यदि यह प्रसन्न हों तो मनुष्य को मोक्ष का मार्ग प्रशस्त होता है, और क्रोधित हो जाएं तो सर्वनाश होने में देर नहीं लगती है । सामान्य मनुष्य ही नहीं बड़े बड़े योगी, यक्ष, देव और दानव तक शनिदेव के कोप से भय खाते हैं। भक्त से प्रसन्न होने पर अच्छी किस्मत और भाग्य के साथ उनकी हर मनोकामना पूरी करके मनवांछित फल प्रदान करते हैं।

शनिदेव जी के जन्म के विषय में एक पौराणिक कथा बहुत प्रचलित है जिसके अनुसार शनि देव के पिता सूर्य देव और उनकी पत्नी छाया हैं। सूर्य देव का विवाह दक्ष पुत्री संज्ञा से हुआ. कुछ समय बाद उन्हें तीन संतानो के रूप में मनु, यम और यमुना की प्राप्ति हुई । इस तरह कुछ समय तो संज्ञा ने सूर्य के साथ निर्वाह किया लेकिन संज्ञा भगवान सूर्य के तेज को अधिक समय तक सहन नहीं कर पाईं। अब सूर्य का तेज सहन कर पाना उनके लिए मुश्किल होता जा रहा था। इसी वजह से संज्ञा अपनी छाया को पति सूर्य की सेवा में छोड़ कर वहां से चली गईं. कुछ समय बाद छाया के गर्भ से शनि देव का जन्म हुआ।

कहते है कि इन राशियों के जातकों को कुदृष्टि से नही देखते है शनि देव

तुला राशि:  तुला राशि के लोगों पर शनिदेव की कृपा सदैव बनी रहती है। तुला राशि के लोगों पर शनि की साढ़े साती और ढैय्या का प्रभाव भी अधिक नहीं रहता है। इस वजह से तुल राशि के लोगों को कार्य में जल्दी सफलता प्राप्त होती है और ये लोग ऊंचा मुकाम पाते हैं। तुला राशि के लोगों को नियमित रूप से शनि चालीसा का पाठ करना चाहिए।

 

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कुंभ राशि: कुंभ राशि के स्वामी शनिदेव हैं, इसलिए इन लोगों पर शनिदेव की विशेष कृपा रहती है। कुंभ राशि के लोग समाज में मान सम्मान का जीवन जीते हैं। ऐसे लोग दूसरों की मदद करने के साथ ही अच्छे लीडर भी बनते हैं। इनको आसानी से सफलता अर्जित हो जाती है और बहुत नाम कमाते हैं।

मकर राशि:  मकर राशि के जातकों पर शनिदेव हमेशा मेहरबान रहते हैं। शनिदेव की कृपा से मकर राशि के लोग जीवन में सुख समृद्धि प्राप्त करते हैं। कुछ हासिल करने के लिए इनको कड़ी मेहनत की आवश्यकता नहीं पड़ती है। जीवन में इनको हर सुख नसीब होता है और अच्छी जिंदगी व्यतीत करते हैं।

धनु राशि: शनिदेव को धनु राशि प्रिय होने के कारण इनके जीवन में सुख शांति बनी रहती है। साढ़ेसाती और ढैय्या के दौरान भी कम कष्ट भोगना पड़ता है। ऐसे लोग मान सम्मान के साथ धन भी अर्जित करते हैं।

वृष राशि: यूं तो वृष राशि के स्वामी शुक्रदेव हैं, लेकिन शनिदेव को भी वृष राशि प्रिय हैं। शनिदेव की कृपा से वृष राशि के जातक अपने जीवन में हर काम में सफलता प्राप्त करते हैं। सुख—समृद्धि के साथ ही इनका जीवन सुगम बना रहता है। ऐसे लोग हर समय दूसरों की सहायता के लिए तैयार रहते हैं।

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शनिवार का दिन शनि देव की पूजा के लिए उत्तम माना जाता है। शनिवार के दिन शनि देव की पूजा करने से शनि देव की कृपा प्राप्त होती है, और भक्तों के सारे कष्ट दूर हो जाते हैं, लेकिन शनिवार के दिन शनि देव के साथ ही हनुमान जी की भी पूजा करने का महत्व है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, जो भक्त शनिवार के दिन बजरंगबली की पूजा करते हैं उनसे शनि देव प्रसन्न होते हैं और उन्हें कष्ट नहीं देते। इसलिए शनिवार के दिन शनि देव के साथ ही हनुमान जी की भी पूजा जरूर करें।

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