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NEW CRIMINAL LAWS : आज से देश में तीन नए आपराधिक कानून लागू, जानिए क्या बदल गया

NEW CRIMINAL LAWS

नई दिल्ली / 1 जुलाई 2024 यानी बीती रात 12 बजे के बाद भारतीय दंड संहिता (IPC) को समाप्त कर दिया गया है और भारतीय न्याय संहिता (BNS) लागू कर दी गई है। दरअसल यह एक ऐतिहासिक परिवर्तन है जो देश की आपराधिक न्याय प्रणाली में बड़े बदलाव का प्रतीक है। इसके साथ ही कई प्रमुख धाराओं में बदलाव किए गए हैं।

आज 1 जुलाई सोमवार से देशभर में नए कानून लागू कर दी गई है। तीनों नए कानून वर्तमान में लागू ब्र‍िट‍िश काल के भारतीय दंड संहिता, आपराध‍िक प्रक्रिया संहिता एवं 1872 के भारतीय साक्ष्य अधिनियम की जगह लेगा। इन कानूनों के नाम हैं,– भारतीय न्याय संहिता (BNS), भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) एवं भारतीय साक्ष्य अधिनियम (BSA)। आइए जानते हैं इन कानूनों से क्या क्या बदलाव देखने को मिलेगा।

नए कानूनों में नाबालिग के साथ दुष्कर्म करने वाले दोषियों को फांसी की सजा मिल सकती है। नाबालिग के साथ गैंगरेप को नए अपराध की श्रेणी में रखी गई है। नए कानून में मॉब लिंचिंग के दोषियों को सजा भी दिलाने का प्रावधान की गई है। जिसमें कहा गया है कि यदि 5 या उससे ज्यादा लोग जाति या समुदाय के आधार पर किसी की हत्या करते हैं तो उन्हें आजीवन कारावास की सजा होगी।

आप कहीं से भी किसी भी थाने में जाकर FIR दर्ज करवा सकते हैं, वहां से संबंधित थाने में इसे भेज दिया जाएगा। । आप ऑनलाइन या ई-मेल से भी प्राथमिकी दर्ज करवा सकते हैं।

प्राथमिकी के बाद अनुसंधान में क्या प्रगति हुई है, इसकी जानकारी जांच अधिकारी को पीड़ित या सूचक को देनी होगी। पहले थाने में जाकर जानकारी लेनी पड़ती थी।

संगठित अपराध, झपटमारी और मॉब लिचिंग को भी नए अपराध में शामिल किया गया है। छोटे अपराधों के लिए सीधे जेल की जगह आरोपी से सामाजिक/सामुदायिक सेवा करने का भी दण्ड दिया जा सकता है।

पहले जहां अपराध के बाद केवल दण्ड आधारित न्याय व्यवस्था थी, वहीं अब दण्ड की जगह न्याय व्यवस्था पर जोर है यानी दण्ड ही केवल ना हो, यह ज्यादा महत्वपूर्ण हो कि पीड़ित को न्याय भी मिले।

18 साल से कम आयु की महिला के साथ सामुहिक दुष्कर्म के अपराधियों। को मृत्युदण्ड भी दिया जा सकता है। जबकि 18 साल से अधिक आयु की महिला के साथ सामुहिक दुष्कर्म के अपराधियों को 20 साल से आजीवन कारावास तक की सजा दी जा सकती है।

नए कानूनी प्रावधानों के अनुसार, महिला से विवाह करने के झूठे वचन देकर शारीरिक संबंध बनाने के दोषी के लिए अब 10 वर्ष तक की सजा है। दुष्कर्म पीड़िता का मेडिकल रिपोर्ट अब चिकित्सक को 7 दिन के भीतर देने होंगे।

नए कानूनी प्रावधानों में बालक (child) को परिभाषित किया गया है जो IPC में नहीं था। महिला एवं बालकों के विरुद्ध अपराध को लिंग तटस्थ (Gender Neutral) बना दिया गया है, इसमें उभयलिंगी (Transgender) को भी सम्मलित किया गया है।

वही BNS 163 साल पुराने IPC की जगह लेगा , जिसमें सेक्शन 4 के तरह सजा के तौर पर दोषी को सामाजिक सेवा करनी होगी। यदि किसी ने शादी का धोखा देकर यौन संबंध बनाए तो उसे 10 साल की सजा एवं जुर्माना हो सकता है। नौकरी या अपनी पहचान छिपाकर शादी के लिए धोखा देने पर भी सजा का भी प्रावधान की गई है। अब संगठित अपराध जैसे अपहरण, कॉन्ट्रैक्ट किलिंग, आर्थिक अपराध, डकैती, गाड़ी की चोरी, साइबर-क्राइम के लिए कड़ी सजा होगी

वहीं राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरे में डालने वाले कामों पर भी सजा का प्रावधान की गई है। BNS आतंकवादी कृत्य को ऐसी किसी भी गतिविधि के रूप में परिभाषित करता है जो कि लोगों के बीच आतंक को पैदा करने के इरादे से भारत की एकता, अखंडता, संप्रभुता या आर्थिक सुरक्षा को खतरे में डालता हो। नए कानून में मॉब लिचिंग पर भी सजा का प्रावधान की गई है। मॉब लिचिंग में शामिल व्यक्ति को दोषी पाए जाने पर उम्रकैद या मौत की सजा के साथ-साथ जुर्माने की सजा भी हो सकती है।

वहीं BNSS 1973 के CRPC जगह लेगी। इसके जरिए प्रक्रियात्मक कानून में महत्वपूर्ण बदलाव होगा, जिसमें एक अहम प्रावधान विचाराधीन कैदियों के लिए होगा। यदि किसी को पहली बार अपराधी माना गया तो वह अपने अपराध की अधिकतम सजा का एक तिहाई पूरा करने के बाद जमानत हासिल करेगी। इसकी वजह से विचाराधीन कैदियों के लिए तुरंत जमानत पाना भी मुश्किल हो जाएगा। ये आजीवन कारावास की सजा वाले अपराधों को अंजाम देने वाले लोगों पर भी लागू नहीं होगी।

वहीं BNSS में कम से कम 7 साल की कैद की सजा वाले अपराधों के लिए फोरेंसिक जांच अब अनिवार्य हो जायगा।फोरेंसिक एक्सपर्ट्स को अपराध वाली जगह से सबूतों को इकट्ठा और रिकॉर्ड करना पड़ेगा। यदि किसी राज्य में फोरेंसिक सुविधा का अभाव है तो वह दूसरे राज्य में इस सुविधा का इस्तेमाल करेगी। न्यायालयों की व्यवस्था का भी जिक्र किया गया है एवं बताया गया है कि किस तरह सबसे पहले केस मजिस्ट्रेज कोर्ट में जाएगा एवं फिर सेशन कोर्ट, हाईकोर्ट होते हुए सुप्रीम कोर्ट तक जाएगा।

वहीं बीएसए 1872 के साक्ष्य अधिनियम की जगह लेगा। जिसमें काफी बड़े बदलाव किए गए हैं, खासतौर पर इलेक्ट्रॉनिक सबूतों को लेकर नया कानून इलेक्ट्रॉनिक सबूतों को लेकर नियमों को विस्तार से बताता है एवं जिसमें द्वितीय सबूत की भी बात की गई है। अभी तक इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड्स की जानकारी एफिडेविट तक सीमित होती थी पर अब उसके बारे में विस्तृत जानकारी कोर्ट को देनी पड़ेगी। आसान भाषा में कहें तो कोर्ट को बताना होगा कि इलेक्ट्रॉनिक सबूत में क्या-क्या शामिल है।

इस सब के अलावा आपको यह भी पता होना चाहिए कि अब नए कानून में कई धाराएं भी बदल दी गई हैं। उदाहरण के लिए अब बलात्कार की धारा 375 और 376 नहीं रहने वाली है, इसी जगह धारा 63 रहेगी। वही अगर सामूहिक बलात्कार का मामला होगा तो धारा 70 लगेगी। इसी तरह हत्या होने पर अब धारा 302 नहीं लगने वाली है, उसकी जगह 101 ने ले ली है। तीन नए कानून लागू होने के बाद 41 अपराधों में सजा की अवधि को बढ़ा दिया गया है, 82 अपराधों में जुर्माना ज्यादा कर दिया गया है। मॉब लिंचिग और कुछ दूसरी ऐसी घटनाओं को लेकर भी नए अपराध बना दिए गए हैं।

जानकारी के अनुसार नए कानूनों के लागू होने से भारतीय न्याय प्रणाली में व्यापक परिवर्तन होने की उम्मीद है। सरकार ने इस कदम के जरिए अपराधों की जांच और सजा को और अधिक प्रभावी बनाने का प्रयास किया है, जिससे देश में कानून व्यवस्था को बेहतर बनाया जा सके।

नए कानूनों के तहत पुलिस और न्यायालयों को नए प्रावधानों के अनुसार कार्य करने के निर्देश दिए गए हैं। इसके तहत पुलिस को नए कानूनों के अनुसार कार्रवाई करनी होगी और न्यायालयों को भी नए प्रावधानों के अनुसार मामले की सुनवाई करनी होगी।

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