BASTAR THE NAXAL STORY : सच्ची घटना पर आधारित फिल्म ‘बस्तर-द नक्सल स्टोरी, दर्शकों को भा रही..
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Bastar The Naxal Story : निर्माता विपुल अमृत लाल शाह, निर्देशक सुदीप्तो सेन और अभिनेत्री अदा शर्मा ‘बस्तर-द नक्सल स्टोरी’ लेकर आए हैं। इस फिल्म ने सिनेमाघरों में दस्तक दे दी है रिलीज से पहले ही फिल्म ‘बस्तर-द नक्सल स्टोरी’ काफी चर्चा में रही है मेकर्स ने इस फिल्म का जोर-शोर से प्रमोशन भी किया है।
बता दे, 15 मार्च को सिनेमाघरों में रिलीज हुई बस्तर-द नक्सल स्टोरी फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर अभी तक कुछ करोड़ के आसपास का बिजनेस कर लिया है। ताजा आंकड़ों की मानें तो ‘बस्तर-द नक्सल स्टोरी’ फिल्म बॉक्स ऑफिस पर धीरे-धीरे कमाई के मामले में आगे बढ़ रही है।सैकनिल्क के अर्ली ट्रेंड के मुताबिक, ‘बस्तर-द नक्सल स्टोरी’ ने तीसरे दिन रविवार को 90 लाख का बिजनेस किया। ऐसे में अब इस फिल्म की कुल कमाई 2.05 करोड़ रुपये हो गई है। हालांकि, अभी ये शुरुआती आंकड़े हैं।
खबरों की मानें तो ‘बस्तर-द नक्सल स्टोरी’ का बजट करीब 15 करोड़ रुपये रहा है। ‘बस्तर-द नक्सल स्टोरी’ के बारे में बात करते हुए, निर्माता विपुल अमृतलाल शाह कहते हैं, ‘बस्तर द-नक्सल-स्टोरी के साथ, असुविधाजनक सच्चाइयों को उजागर करने की यात्रा जारी है। द केरल स्टोरी के बाद, इस बोल्ड कहानी को पेश करना सम्मान की बात है और ईमानदार फिल्म जो हर किसी को अंदर तक झकझोर देगी।
फिल्म के निर्देशक सुदीप्तो सेन ने बताया कि 15 साल रिसर्च के बाद फिल्म की कहनी तैयार की गई है, जिसमें 2007 से 2013 तक बस्तर क्षेत्र में नक्सली गतिविधियों को दिखाया गया है। फिल्म में केंद्र बिंदु बस्तर है, साथ ही दूसरी जगह की माओवादी घटना को भी दिखाया गया है। एक सवाल के जवाब पर उन्होंने कहा कि बस्तर में मतांतरण की समस्या भी है, लेकिन इसे नहीं दिखाया गया है।
सलवा जुडूम नक्सलवाद को खत्म करने की अच्छी पहल थी, लेकिन उसमें भी माओवादियों ने अपना आतंक दिखाया। बस्तर में नक्सल की शुरुआत से लेकर अब तक की कहानी को फिल्म में दिखाने का प्रयास किया गया है।
निर्माता विपुल शाह ने बताया कि इस फिल्म की शूटिंग से पहले बस्तर आए थे, तब बहुत लोगों ने फ़िल्म बनाने से मना किया। नक्सलवाद देश की कड़वी सच्चाई है और हमने इसे लोगों को बताने के लिए इसे बनाने का निर्णय लिया। बस्तर में नक्सलियों ने कई बड़ी घटनाओं को अंजाम दिया है। 76 जवानों को एक साथ मार दिया, जिसने देशवासियों को झकझोर कर रख दिया।
बस्तर के 19 गांव में आजादी के बाद पहली बार झंडा फहराया गया। बस्तर के हजारों गांव में अभी भी लोग झंडा फहराने से डरते हैं। चुनाव से फिल्म का कोई संबंध नहीं है। द केरल स्टोरी की तरह इस फ़िल्म में भी वास्तविक बातें दिखाई गई है।
फिल्म ‘बस्तर द-नक्सल-स्टोरी’ इतिहास को नए सिरे से लिखने की एक और कोशिश है। इस बार पूरी कहानी की धुरी सिर्फ एक केस स्टडी पर टिकी है और इस बार अदा शर्मा पीड़ित भी नहीं हैं। कहानी चूंकि आदिवासियों के उत्पीड़न की है तो इस बार कहानी के केंद्र में इंदिरा तिवारी हैं।
इंदिरा भोपाल से हैं, मध्य भारत की युवतियों सी उनकी कद काठी है। और, कहानी के मुख्य किरदार रत्ना कश्यप से उनका साम्य भी ठीक बैठा है। रत्ना, उसके पति और दो बच्चों रमन और रमा की इस कहानी में आईपीएस (IPS) नीरजा माधवन का किरदार आता-जाता रहता है। सर्वोच्च न्यायालय में चल रहे एक मुकदमे की तरह।