BILSPUR NEWS: फर्जी डेथ सर्टिफिकेट से लिया 36 लाख का LIC क्लेम, चाचा-भतीजा गिरफ्तार
बिलासपुर / भारतीय जीवन बीमा निगम LIC से क्लेम के लिए चाचा-भतीजा ने गजब का फर्जीवाड़ा किया। LIC एजेंट के माध्यम से पहले बीमा करा लिया। इसके बाद भतीजे को मृत बताकर चाचा ने LIC से बतौर मृत्यु दावा 36 लाख रुपये का क्लेम भी ले लिया। पुलिस ने फर्जीवाड़ा करने वाले चाचा-भतीजा को गिरफ्तार कर लिया है।
एलआईसी एजेंट व बीमा कंपनी के अफसर को धोखे में रखकर चाचा-भतीजे ने LIC को 36 लाख रुपये का चूना लगाया है। चाचा ने पहले भतीजे के नाम पर LIC कराया। उसके बाद फर्जी तरीके से उसका मृत्यु प्रमाण पत्र हासिल कर लिया। मृत्यु प्रमाण पत्र के जरिए बीमा कंपनी में अपने एजेंट के माध्यम से क्लेम किया। पेश दस्तावेज के आधार पर बीमा कंपनी के अफसरों ने मृत भतीजे के मृत्यु दावा पर चाचा को 36 लाख रुपये का चेक जारी कर दिया। पहली बार में फर्जीवाड़ा पर किसी को शक नहीं हुआ। जिसके बाद 51 लाख रुपये की दूसरी पालिसी का क्लेम का दावा किया और राशि लेने गए तब LIC के अफसरों को आशंका हुई। वेरिफिकेशन के लिए पुलिस को सूचना दी। पुलिस को सूचना देने के साथ ही पूरा मामला भी बताया। जांच पड़ताल में मामला फर्जीवाडा का निकला।
पुलिस के अनुसार, व्यापार विहार निवासी विजय पांडेय ने अपने भतीजे ओमप्रकाश पांडेय के नाम पर तीन बीमा पॉलिसी ली थी, जिनमे नॉमिनी के रूप में ओमप्रकाश के भाई रमेश पांडेय को नामांकित किया गया था। इस वर्ष 5 फरवरी 2024 को ओमप्रकाश की मृत्य बताकर विजय ने अपने भतीजे ओमप्रकाश पांडेय के नाम पर फर्जी तरीके से मृत्यु प्रमाण पत्र बनवा लिया। जांच के दौरान पुलिस को पता चला कि आरोपियों ने न केवल फर्जी मृत्यु प्रमाण पत्र बनवाया, बल्कि शमशान घाट से भी दाह संस्कार का फर्जी प्रमाण पत्र जारी करवाया। इसके लिए उन्होंने नगर निगम कार्यालय में अधिकारियों की सील और हस्ताक्षर का इस्तेमाल कर फर्जी मृत्यु प्रमाण पत्र प्राप्त किया, जबकि शमशान घाट से 2,000 रुपये देकर अंत्येष्टि का प्रमाण पत्र बनवाया गया था। फर्जी मृत्य प्रमाण पत्र बनवाने के बाद LIC एजेंट के माध्यम से मृत्यु दावा क्षतिपूर्ति के लिए LIC में क्लेम किया। दस्तावेजों के आधार पर LIC ने 36 लाख रुपये का चेक जारी कर दिया।
36 लाख रुपये का फर्जी क्लेम लेने के बाद चाचा और दोनों भतीजे का हौसला भी बढ़ गया था। साथ ही मन में लालच भी आ गया। दूसरे भतीजे के नाम पर रमेश पांडेय का उसी तर्ज पर मृत्यु प्रमाण पत्र बनवाकर 51 लाख रुपये का क्लेम LIC में पेश किया। एक घर में लगातार दो मौतों ने बीमा कंपनी के अफसरों को भी अचरज में डाल दिया। चूंकि क्लेम की रकम बड़ी थी लिहाजा LIC अफसरों को साजिश की आशंका हुई। सिविल लाइन थाने में दस्तावेज पेश कर मामले की जांच पड़ताल की मांग की। पुलिस ने जब पतासाजी शुरू की और आसपास के लोगों से पूछताछ की तो मामले का खुलासा हुआ। दरअसल जिस भतीजे के नाम पर चाचा ने क्लेम लिया था और जिसे भतीजे के नाम पर क्लेम का दावा किया था, दोनों पालिसी होल्डर जीवित मिले।
साजिश के तहत पालिसी ली ,क्लेम भी उसी अंदाज में किया
LIC के नियमों व मापदंडों का पालिसी होल्डर ने पहले क्लेम में जमकर फायदा उठाया था। नियमों पर गौर करें तो तीन साल बाद अगर किसी पालिसी होल्डर की मौत हो जाती है तो बिना किसी जांच पड़ताल के LIC क्लेम की राशि दे देता है। यही कारण है कि तीनों पालिसी में तीन साल तक प्रीमियम की राशि तय समय पर जमा होते रही है। तीन साल की अवधि पूरी होने के बाद योजना के तहत मृत्यु प्रमाण पत्र बनावकर क्लेम की राशि हड़पने की योजना बनाई थी। एक पालिसी में 36 रुपये हड़प भी लिया था। दूसरे में पुलिस के हत्थे चढ़ गए। पुलिस ने आरोपी चाचा-भतीजे, बीमा एजेंट सहित चार लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है।