CHHATTISGARH NEWS : सूदखोरी और धमकी से वसूली का बड़ा खुलासा, दिव्यांश तोमर गिरफ्तार, लाखों रुपए नगदी, ज्वेलरी, दस्तावेज और हथियार जब्त

रायपुर / राजधानी रायपुर के हिस्ट्रीशीटर रोहित सिंंह तोमर और वीरेन्द्र सिंह तोमर के मकान में हुई तलाशी और एक आरोपी की गिरफ्तारी के संबंध में वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक डॉ. लाल उम्मेंद सिंह ने सिविल लाईन स्थित सी-4 भवन में पत्रकार वार्ता में मामले का खुलासा किया।
एसएसपी डा. लाल उमेद सिंह ने मीडिया को बताया कि सूदखोरी का बड़ा सिंडीकेट उजागर हुआ है, जिसमें तोमर भाइयों के अलावा परिवार के लोग तथा महिलाओं की संलिप्तता भी पाई गई है। वीरेंद्र तोमर और रोहित तोमर फरार है, लेकिन पुलिस ने उनके एक रिश्तेदार दिव्यांश तोमर निवासी सांई विला भाठागांव को गिरफ्तार कर लिया है। प्रकरण में हिस्ट्रीशीटर रोहित तोमर और वीरेन्द्र तोमर सहित अन्य आरोपी फरार हैं, जिनकी पतासाजी की जा रही है। आरोपित वीरेन्द्र सिंह तोमर के विरूद्ध पृथक से थाना पुरानी बस्ती में आर्म्स एक्ट का भी अपराध पंजीबद्ध किया गया है।
उन्होंने आगे बताया कि, बुधवार 4 जून 2025 को फरार हिस्ट्रीशीटर आरोपी रोहित सिंह तोमर के भाठागांव स्थित सांई विला मकान के तलाशी के दौरान मकान से नगदी रकम 37 लाख 10 हजार 350 रुपये, 734 ग्राम सोने के जेवरात, 125 ग्राम चांदी के जेवरात, बी.एम.डब्ल्यू वाहन, थार वाहन, ब्रेजा वाहन, सी.पी.यू., आई-पेड, लैपटॉप, चेक एटीएम कार्ड, डी.व्ही.आर., ई-स्टॉम्प, पैसो के लेन-देन के हिसाब का रजिस्टर, जमीनों के दस्तावेज, नोट गिनने का मशीन, अवैध रूप से रखे 5 नग लोहे का तलवार, 1 नग रिवाल्वर, 1 नग पिस्टल, जिंदा राउण्ड एवं आवाजी कारतूस जब्त किया गया है।
प्रार्थी जयदीप बेनर्जी निवासी शंकर नगर रायपुर, मनीष साहू निवासी सिकोला भाठा मुखर्जी चौक थाना मोहन नगर दुर्ग तथा नासिर बख्श निवासी यूनिहोम्स भाठागांव पुरानी बस्ती ने अपने कथन में बताये कि, रोहित तोमर और विरेन्द्र तोमर एवं उनके परिजनों तथा अन्य साथियों के द्वारा लिये गये उधार के एवज में भरा चेक, कोरा चेक, कोरा स्टाम्प में हस्ताक्षर करवाकर ब्याज की राशि अधिकतम वसूलने जान माल एवं जेल भेजने की धमकी देते हुए पैसा वसूल किया गया है एवं डरा धमकाकर औने पौने दाम पर जमीन का रजिस्ट्री कराया गया है। कई वर्षों से ब्याज की राशि वे लोग कच्चे में लेते है और कुछ व्याज राशि अपने कर्मचारी योगेश अपने परिवार की महिलाएं शुभ्रा तोमर, नेहा तोमर के एकाउंट पर लेते हैं।
उन्होंने आगे बताया कि, वीरेन्द्र सिंह तोमर, रोहित तोमर, और दिव्यांश तोमर के द्वारा अपने अन्य साथी एवं रिश्तेदारों के माध्यम से संगठित होकर लोगों को ब्याज में पैसा देकर उनसे कोरा चेक एवं स्टाम्प में हस्ताक्षर कराकर ब्याज के पैसा वसूल करने के लिए संगठित होकर स्वयं एवं अपने सिंडीकेट के माध्यम से लोगों को डरा धमकाकर पैसा वसूल करना एवं जबरन जमीन रजिस्ट्री कराना पाया गया। जिस पर आरोपितों में रोहित सिंह तोमर, वीरेन्द्र सिंह तोमर, दिव्यांश तोमर के विरूद्ध थाना पुरानी बस्ती में अपराध क्रमांक 230/25 धारा 308(2), 111(1) भा०न्या०स०, छत्तीसगढ़ ऋणियों का संरक्षण अधिनियम का अपराध पंजीबद्ध किया गया।
अंडे के ठेले से करोड़ों तक
वीरेंद्र तोमर समता कालोनी में 2008 में अंडे का ठेला लगाता था. वहीं से उसने ब्याज में पैसा देने की शुरुआत की. पहले 500 हजार रुपये दिया करता था. दो तीन साल बाद उसने सूदखोरी काे धंधा बना लिया. लोगों को पैसे देकर 10 से 15 प्रतिशत ब्याज वसूलने लगा. नहीं देने पर मारपीट, अपहरण सहित अन्य वारदात करता था। देखते ही देखते उसने भाठागांव में करोड़ों की हवेली खड़ी कर ली. तोमर बंधुओं का करोड़ों की संपत्ति, BMW जैसी लग्जरी गाड़ियां, 5,000 वर्गफीट की आलीशान कोठी, लाखों की नकदी, सोना-चांदी और अवैध हथियारों तक का सफर न केवल चौंकाता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि कुछ रसूखदार लोगों की मेहरबानी और प्रशासनिक लापरवाही ने इस आपराधिक गतिविधियों को पनपने का मौका दिया.
आपराधिक इतिहास
वीरेंद्र सिंह तोमर और रोहित सिंह तोमर मूल रूप से उत्तर प्रदेश के रहने वाले हैं। रायपुर में पिछले कुछ वर्षों में दोनों भाई अपराध की दुनिया के बड़े चेहरों के रूप में उभरे हैं. दोनों भाइयों के खिलाफ मारपीट, ब्लैकमेलिंग, रंगदारी, और खारून नदी के घाट पर अवैध कब्जे जैसे गंभीर अपराधों के 10 से अधिक मामले दर्ज हैं. उनकी शुरुआत रेलवे स्टेशन पर पॉकेटमारी जैसे छोटे अपराधों से हुई थी, लेकिन धीरे-धीरे उन्होंने सूदखोरी, रंगदारी, और अवैध हथियारों के कारोबार में अपनी पकड़ मजबूत की।
छोटे स्तर के अपराधों से शुरूआत करने वाले इन भाइयों ने न केवल रायपुर में अपनी जड़ें जमाईं, बल्कि सूदखोरी और रंगदारी के जरिए करोड़ों की संपत्ति अर्जित की. उनकी आलीशान कोठी, महंगी गाड़ियां, और भारी मात्रा में नकदी और सोने की बरामदगी इस बात का सबूत है कि अपराध का उनका नेटवर्क कितना संगठित और व्यापक हो चुका था। यह सवाल उठता है कि इतने बड़े स्तर पर आपराधिक गतिविधियां चलाने के बावजूद वे इतने समय तक कानून की पकड़ से बाहर कैसे रहे?