
देवउठनी एकादशी पर पूरे प्रदेश में भक्ति और उल्लास का माहौल।
रायपुर, 1 नवम्बर 2025 / चार महीने की योगनिद्रा के बाद आज भगवान विष्णु जाग उठे हैं। देवउठनी एकादशी (प्रबोधिनी एकादशी) के पावन अवसर पर पूरे छत्तीसगढ़ सहित देशभर में भक्ति और उत्साह का वातावरण है। राजधानी रायपुर, दुर्ग, बिलासपुर, जांजगीर-चांपा, राजनांदगांव, कांकेर, बेमेतरा और अन्य जिलों के मंदिरों में सुबह से भक्तों की भारी भीड़ रही।
सुबह से ही घर-घर में तुलसी चौरे को सजाया गया, रंगोली बनाई गई और दीप जलाए गए। महिलाओं ने पारंपरिक वेशभूषा में तुलसी और भगवान शालिग्राम का विवाह सम्पन्न किया। पूजा-अर्चना के दौरान “ओम नमो भगवते वासुदेवाय” और “जय श्री हरि विष्णु” के जयकारों से वातावरण गूंज उठा।
तुलसी विवाह से गूंजे मंदिर
देवउठनी एकादशी को तुलसी विवाह का पर्व भी कहा जाता है। इस दिन भगवान विष्णु और तुलसी देवी का विवाह शालिग्राम के साथ प्रतीकात्मक रूप से संपन्न कराया जाता है। भक्तों का मानना है कि इस विवाह में शामिल होने से पापों का नाश होता है और दांपत्य जीवन में सुख-समृद्धि आती है।
प्रदेशभर में देवउठनी मेला, तुलसी विवाह कार्यक्रम और भजन संध्या का आयोजन किया जा रहा है। मंदिरों में सजावट, फूलों की माला, और दीपमालाओं से पूरा परिसर जगमगा उठा।
मांगलिक कार्यों की शुरुआत
देवउठनी एकादशी के साथ ही चातुर्मास का समापन होता है। धर्मशास्त्रों के अनुसार, भगवान विष्णु के योगनिद्रा काल में विवाह, गृह प्रवेश, मुंडन और अन्य शुभ कार्य वर्जित रहते हैं।
अब जब भगवान विष्णु प्रबुद्ध हो गए हैं, तो एक बार फिर से शुभ कार्यों की शुरुआत मानी जाती है।
पंडितों के अनुसार, आने वाले सप्ताह से विवाह मुहूर्त शुरू होंगे और पूरे नवंबर–दिसंबर में मांगलिक समारोहों की धूम रहेगी।
धार्मिक आस्था और परंपरा का संगम
देवउठनी एकादशी के अवसर पर श्रद्धालुओं ने व्रत रखा और भगवान विष्णु की विशेष आरती की।
शाम के समय तुलसी चौरे पर दीपक जलाए गए और परिवार के सदस्यों ने एक साथ पूजा की।
कई स्थानों पर सामूहिक भजन संध्याएं, कथा वाचक कार्यक्रम और दीपदान महोत्सव भी आयोजित किए गए।
क्या कहते हैं पौराणिक ग्रंथ
शास्त्रों में कहा गया है कि आषाढ़ शुक्ल एकादशी को भगवान विष्णु योगनिद्रा में जाते हैं और कार्तिक शुक्ल एकादशी को जागते हैं। इस दिन से देवताओं का आशीर्वाद पुनः पृथ्वी पर सक्रिय होता है, इसलिए इसे “देव जागरण” कहा जाता है।
विष्णु पुराण में उल्लेख है कि जो भक्त इस दिन तुलसी विवाह करता है, उसे वैकुंठ धाम की प्राप्ति होती है।





