Gulshan Kumar : लोगों में आस्था और भक्ति जगाने वाले कैसेट किंग गुलशन कुमार को किसने मारा था और क्यो?, पढ़े पूरी खबर
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Gulshan Kumar जिनका पूरा नाम गुलशन कुमार दुआ था। एक भारतीय फिल्म प्रोड्यूसर, गायक, और टी-सीरीज प्रोडक्शन कंपनी संस्थापक थे। गुलशन मुख्यत: अपनी बेहतरीन भजन गायकी के लिये जाने जाते हैं। 12 अगस्त 1997 को मंदिर से पूजा करके लौटते समय उनकी गोली मारकर उनकी हत्या कर दी।
आज हम बात कर रहे हैं भारतीय संगीत उद्योग को नई ऊंचाइयों पर ले जाने वाले संगीत सम्राट गुलशन कुमार की। अपने पिता के साथ एक छोटी सी दुकान पर फ्रूट जूस बेचने वाला गुलशन कुमार कैसे एक सफल संगीतकार बना ? आप सभी जानते हैं कि गुलशन कुमार पंचतत्व में विलीन हो चुके हैं और आज हमारे बीच मौजूद नहीं है लेकिन उनको भुला पाना नामुमकिन है वह आज भी लोगों के दिलों में जिंदा है। आईये बताते गुलशन कुमार के जीवन से जुड़ी कुछ खास बातों के बारे में बताते हैं।
गुलशन कुमार का जन्म 5 मई, 1951 को दिल्ली में एक पंजाबी हिंदू परिवार में हुआ था। उनका पूरा नाम गुलशन कुमार दुआ था। शुरूआती समय में वह अपने पिता के साथ दिल्ली की दरियागंज मार्केट में फ्रूट जूस बेचा करते थे। लेकिन वह इस काम से खुश नहीं थे और उनको कुछ बड़ा करना था। जब वे 23 साल के हुए तब उन्होंने एक दुकान खोली और रिकार्ड्स और ऑडियो कैसेट बेचना शुरू कर दिया। यहीं से गुलशन कुमार के करियर की शुरुआत हुई थी।
कुछ समय बाद गुलशन कुमार ने नोएडा में खुद की म्यूजिक प्रोडेक्शन कंपनी खोली जिसका नाम सुपर कैसट इंडस्ट्रीज रखा और इसमें वह ऑडियो कैसट्स बनाकर लोगों को कम दाम में बेचने लगे। धीरे-धीरे उनका कारोबार बढ़ने लगा और उनकी कैसेट्स की बहुत बिक्री होने लगी जिससे उनको अच्छा मुनाफा मिलने लगा। उस दौर में हिंदी फिल्म जगत भी खूब फल-फूल रहा था और गुलशन कुमार नोएडा से मुंबई चले आए और बॉलीवुड की फिल्मों में संगीत देना शुरू कर दिया।
दिल्ली में जूस की दुकान चलाने वाले गुलशन कुमार के बारे में कौन जानता था कि एक दिन वो ऐसे शख्स बनकर उभरेंगे जिसके पीछे अंडरवर्ल्ड पड़ जाएगा। 90 के दशक में उन्होंने टी सीरीज की स्थापना की। भगवान के भजन गाकर उन्होंने इतना नाम कमाया कि लोग उन्हें कैसेट किंग के नाम से जानने लगे।
गुलशन कुमार बहुत ही धार्मिक व्यक्ति थे और देवी देवताओं में उनका बहुत विश्वास था। फिल्म संगीत के अलावा गुलशन कुमार ने भक्ति संगीत में भी अपनी पकड़ बना ली थी उन्होंने बहुत से भजनों और हिंदू पौराणिक कथाओं से संबंधित फिल्मों और धारावाहिकों का भी प्रोडक्शन किया। आज भी आप मंदिरों में उनके बहुत से मशहूर भजन और आरती सुनते होंगे।
फिल्म निर्माण में गुलशन कुमार ने 1989 में आई फिल्म ‘लाल दुपट्टा मलमल का’ से कदम रखा। इस फिल्म का संगीत बहुत लोकप्रिय हुआ। इसके अगले साल ही 1990 में ‘आशिकी’ फिल्म रिलीज हुई जिसके गानों ने सारे रिकॉर्ड्स तोड़ दिए और सभी गाने बहुत ही ज्यादा मशहूर हुए। आज भी बहुत सी जगह ‘आशिकी’ फिल्म के गाने सुनने को मिल जाते हैं। सन 1991 में गुलशन कुमार द्वारा बनाई गई फिल्म ‘दिल हैं कि मानता नहीं’ आई जिसमें आमिर खान और पूजा भट्ट ने काम किया था। यह फिल्म कुछ खास कमाल नहीं दिखा पाई लेकिन इसके गाने जरूर सुपरहिट हुए।
गुलशन कुमार जमीन से जुड़े आदमी थे और अपनी कमाई का एक बड़ा हिस्सा समाज सेवा में लगाते थे। वे वैष्णो देवी के भक्त थे और उन्होंने वैष्णो देवी में एक भंडारे की स्थापना की जो आज भी तीर्थयात्रियों के लिए भोजन उपलब्ध कराता है।
गुलशन कुमार साल 1992-93 में सबसे ज्यादा टैक्स देने वाले अमीरों की सूची में शामिल थे। गुलशन कुमार की बेटी तुलसी कुमार भी एक जानी-मानी सिंगर हैं। सुपर कैसट इंडस्ट्रीज के तहत ही गुलशन कुमार ने T-Series म्यूजिक की शुरुआत की थी। जो कि भारत में म्यूजिक और विडियो का सबसे बड़ा उत्पादक है। यह भारतीय संगीत उद्योग के लगभग 60 प्रतिशत से अधिक हिस्से में फैला हुआ है। इसके अलावा T-Series दुनियाभर के 24 देशों में म्यूजिक एल्बम का एक्सपोर्ट करता है। T-Series यूट्यूब पर भारत और दुनिया का सबसे ज्यादा सब्सक्राइबर्स वाला चैनल हैं।
उन्होंने अपने छोटे भाई किशन कुमार को भी फिल्मों में उतारा और ‘बेवफा सनम’ के जरिए उनको पहचान दिलाई। इस फिल्म के गानों से ही सोनू निगम मशहूर हुए थे। बता दें कि सिंगर कुमार सानू को पहचान दिलाने का श्रेय भी गुलशन कुमार को ही जाता हैं।
गुलशन कुमार की रातों रात सफलता ने उन्हें कैसेट किंग बना दिया T series जल्दी ही HMV और सोनी आदि की कैसेट को पछाड़ के भारत की नंबर 1 म्यूजिक कैसेट बनाने वाली कंपनी बन गई थी, उन्होंने एक नया ट्रेंड भी शुरू किया जो था नए सिंगर्स को मौका देना और भक्ति पूर्ण भजनों का वीडियो बना के मार्केट में लाना, आज भी हनुमान चालीसा और कई अन्य भजन अनुराधा पौडवाल की आवाज में यूट्यूब पर मौजूद है,
इस रातों रात मिली सफलता ने उन्हें 90s के माफिया की नजरों में लाना शुरू कर दिया जिसने बॉलीवुड में पैठ बनाना शुरू कर दी थी। फिल्मों की तरह ही अंडरवर्ल्ड में भी नए नए लोग अपनी सत्ता दिखाने के लिए कोशिश कर रहे थे, उसी में से एक शख्स था अबू सलेम!
अबू सलेम आजमगढ़ से आया हुआ एक लड़का था जिसको गैंग्स में भर्ती हो रहे अनेक युवकों में से अपनी अलग पैठ बनाने का शौक था। उसके लिए उसने एक रास्ता अख्तियार किया जिसमें कम समय में जल्द से जल्द पैसा और रुतबा मिलने के चांसेज थे। वो थे बॉलीवुड से और बिल्डर लोगों से धमकी और पैसा वसूली दोनों ही जगह पर पैसा दो वरना मारे जाओगे स्ट्रेटजी काम की और पैसा भरने लगा, अबू सलेम की पैठ बनने लगी, संजय दत्त को बंदूक देने के बाद उसकी हिम्मत और बढ़ गई।
दूसरी ओर गुलशन कुमार HMV, वीनस जैसी स्थापित कंपनियों को पीछे छोड़कर नंबर 1 कैसेट किंग बनने लगे थे। अंदाजन 3 लाख कैसेट बिकने और 1 करोड़ प्रतिदिन का रेवेन्यू का एस्टीमेट था। इसलिए ही वो अबू सलेम की नजरों में आ गए इसी बीच संगीतकार नदीम से उनके कुछ मन मुटाव हो गए।
हुसैन जैदी कि किताब my name is Abu Salem के अनुसार अबू सलेम ने गुलशन कुमार से 10 करोड़ रुपए मांगे थे। जो 1997 में काफी बड़ी रकम थी, शायद फिरौती की सबसे बड़ी कुछ लोगों के हिसाब से गुलशन कुमार ने एक बार ये रकम दे दी और अगली बार मना कर दिया वहीं दूसरी थियरी ये है कि गुलशन कुमार ने पहली ही बार से मना कर दिया कि कोई पैसे नहीं दिए जायेंगे अबू सालेम ने ये कहा कि यदि वो वैष्णो देवी में भंडारा करा सकता है तो पैसे भी दे ही सकता है, गुलशन कुमार ने स्पष्ट शब्दों में कह दिया मैं किसी से डरता नहीं
कारण जो भी था, अबू सलेम को ये बात चुभ गई और उसने गुलशन कुमार का उदाहरण दे के सबको अपना डर दिखाने की कोशिश कर दी। उसने फैसला लिया कि राजीव राय और सुभाष घाव को तो मात्र अंडरवर्ल्ड वालों ने धमकाया था। इसका ऐसा उदाहरण बनाऊंगा कि आगे कोई उसे मना करने की हिम्मत न दिखा पाए
अबू सालेम का नेटवर्क काफी मजबूत था और उसने पुलिस से बचने के लिए शूटर्स को बुलाने का एक अलग तरीका निकाला था वो अपने पैतृक गांव आजमगढ़ से दो तीन ऐसे लड़कों को बुलाता था जिनका कोई पिछला रिकॉर्ड न हो उन्हे सुबह के आने की टिकट दी जाती थी और काम कर के तुरंत शाम को टिकट से दोबारा लौटा दिया जाता था, काम खतम होने तक पुलिस के मुखबिर भी अंजान रहते थे कि शूटर कौन है।
वहीं दूसरी ओर राकेश मारिया जी ने अप्रैल 1997 में गुलशन कुमार की जिंदगी में धमकी सुनते ही तुरंत एक्शन लिया और महेश भट्ट को इनफॉर्म कर दिया तथा इससे पता किया कि वाकई में क्या गुलशन कुमार किसी शिव मंदिर को जाते हैं अंधेरी में ? महेश भट्ट के हामी भरते ही उन्होंने पुलिस प्रोटेक्शन दिला दी गुलशन कुमार को।
आपको बता दे कि राकेश मारिया मुंबई के कमिश्नर रह चुके हैं। तथा कई हाई प्रोफाइल केस हैंडल कर चुके हैं जैसे 1993 बॉम्बे ब्लास्ट, 26/11 हमला, शीना बोरा मर्डर, संजय दत्त को थप्पड़ मारने वाले भी यही थे।
इधर अबू सलेम ने भी अपनी रेकी शुरू कर दी थी लेकिन पुलिस प्रोटेक्शन के कारण वो गुलशन कुमार की हत्या को अंजाम नहीं दे पा रहा था, समय निकलते गया और अप्रैल से अगस्त आ गया।
अगस्त 1997 को राकेश मारिया के फोन को घंटी बजी और उन्हें पता चला कि गुलशन कुमार की हत्या हो गई है। उन्होंने पता किया और बात मालूम पड़ी गुलशन कुमार रोज अपने ऑफिस में जाने से पहले अंधेरी स्थिति एक जीतेश्वर शिव मंदिर जा कर जल चढ़ाते थे, उस दिन जल चढ़ाने के बाद जब वो लौट रहे थे तो उनका रास्ता रोक के दो लोगों ने कहा – बहुत हो गई तेरी पूजा, अब भगवान से मिलन का से आ गया है।
गुलशन कुमार समझ गए कि उनकी जान खतरे में है, वो तुरंत दूसरी दिशा में भागे, परंतु पीछे से एक शूटर ने उन्हें पैर में गोली मार दी। वो चिल्लाए और भागते रहे, उन्होंने एक जगह छुपने का प्रयास किया और कवर लिया, परंतु शूटर्स ने उन्हें वहां ढूंढ निकाला और एक के बाद एक गोली दागते गए। किसी को ये नहीं पता था कि उनमें से एक ने अबू सालेम को फोन कर के रखा था और दूसरी ओर पर अबू सालेम, गुलशन कुमार की चीखें सुन-सुन कर एक आनंद ले रहा था, जिस व्यक्ति ने उसे उसके मुंह पर मना करने की हिम्मत दिखाई थी उसकी जान तड़प-तड़प कर जाने में उसे मज़ा आ रहा था।
निर्दयी हत्यारों ने एक के बाद एक गुलशन कुमार को 16 गोलियां मार कर उनका बदन छलनी कर दिया, इसी के साथ गुलशन कुमार द्वारा स्थापित एक एंपायर खतम हो गया, खतम हो गए भक्ति पूर्ण गीत और T सीरीज की पहली पारी। गुलशन कुमार का अंतिम संस्कार दिल्ली में किया गया। गुलशन कुमार की मृत्यु के बाद उनके पुत्र भूषण कुमार ने सुपर कैसेट्स इंडस्ट्रीज लिमिटेड का पदभार संभाल लिया।
आप सभी को बता दें कि जम्मू में आज भी गुलशन कुमार के नाम से भंडारा चलता है।
जिस दिन ये घटना हुई, उसी दिन गुलशन कुमार को दिया गया बॉडीगार्ड बीमारी की छुट्टी पर क्यों गया
यदि महेश भट्ट इत्यादि को इसकी जानकारी थी कि वो मंदिर जाते हैं और उसके पाकिस्तान और अंडरवर्ल्ड से जुड़े कई कॉल बात में साबित हुए हैं। तो बाद में उसके ऊपर कार्यवाही क्यों नही हुई ?
राकेश मारिया जी की इन्वेस्टिगेशन के हिसाब से STF की सुरक्षा से उत्तरप्रदेश पुलिस की सुरक्षा दे दी गई थी। ये बदलाव क्यों किया गया।
संगीतकार नदीम के हिसाब से, उनकी गुलशन कुमार से अनबन थी क्योंकि उन्हें उनके हिट फिल्मों का संगीत का क्रेडिट नहीं दिया गया था। लेकिन उन्हें मारने की सुपारी टिप्स कैसेट के रमेश तौरानी द्वारा दी गई थी और उन्हें फंसाया जा रहा था। इस मुद्दे पर उन्हें फंसाया गया है।
कारण जो भी हो, गुलशन कुमार की हत्या से फिल्म इंडस्ट्री बहुत नाराज़ हो गई थी तथा उन्होंने गोपीनाथ मुंडे से लेकर बालासाहेब ठाकरे तक गुहार लगाई थी की बॉलीवुड में अंडरवर्ल्ड की दखलंदाजी बहुत बढ़ गई है। स्क्रिप्ट से लेकर किस हीरोइन को लेना चाहिए यहां तक बॉलीवुड के प्रोड्यूसर को धमकियां मिल रही थी और इस कारण से बड़े-बड़े फिल्मकार अपना बोरिया बिस्तर लपेटने की सोच रहे थे।
बंबई बॉलीवुड का ही दूसरा पर्यायवाची थी, यदि बॉलीवुड ही खतरे में आ जाता था तो मुंबई को बहुत बड़ा झटका लगना था, इसके बाद मुंबई पुलिस राजनेताओं के दबाव में आई और कई एनकाउंटर तथा गिरफ्तारियां हुई।
ऐसा भी कहा जाता है कि स्वयं दाऊद इस नृशंस हत्या कांड से अबू सालेम से नाराज़ हो गया था क्योंकि इस तरह से उसकी छवि भी खराब हो रही थी और उसका इस तरह गैंग में बिना किसी की परमिशन के खुद का डिसीजन लेना उसके लिए खतरा था। कारण जो भी रहा हो , गुलशन कुमार हत्याकांड से कई राज खोले गए थे। T सीरीज को फिर उनके बेटे भूषण कुमार ने संभाला जो अब नंबर 1 कंपनी है।
अबू सालेम को पुर्तगाल से बाद में उसकी प्रेमिका मोनिका बेदी के साथ पकड़ा गया और वो अब जेल में है। गुलशन कुमार की हत्या के आरोप में 29 अप्रैल, 2009 को रऊफ नामक व्यक्ति को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई। राकेश मारिया जी मुंबई पुलिस कमिश्नर पद से सेवा निवृत हो चुके हैं।
गुलशन कुमार हत्याकांड की चर्चा पार्लियामेंट तक हो गई, एक जीवन का अंत बहुत जल्दी हो गया।