
लता मंगेशकर यह नाम भारतीय संगीत की धड़कन है। उनकी आवाज़ केवल गीतों तक सीमित नहीं थी, वह करोड़ों भारतीयों की भावनाओं की अनुवादक थी। हर सुर, हर आलाप, हर गुनगुनाहट में एक अद्भुत आत्मीयता झलकती थी। भारत की महान गायिका लता मंगेश्कर की जयंती पर देशभर में उमड़े श्रद्धांजलि संदेश इस तथ्य की पुष्टि करते हैं कि लता दीदी केवल एक गायिका नहीं, बल्कि भारत की सांस्कृतिक पहचान थीं।
स्वर कोकिला लता मंगेशकर की जयंती पर देश के प्रमुख नेताओं ने उन्हें श्रद्धांजलि दी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, नितिन गडकरी, शिवराज सिंह चौहान और यूपी के सीएम योगी, मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव, और अन्य गणमान्य व्यक्तियों ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की, उनके योगदान और मधुर आवाज को याद किया जिसने दशकों तक करोड़ों दिलों को छुआ। प्रधानमंत्री मोदी ने अयोध्या में लता मंगेशकर चौक का उद्घाटन करके उन्हें याद किया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लता मंगेशकर की जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि उनकी आवाज़ और संगीत हमेशा हमारे दिलों में जीवित रहेंगे। उन्होंने अयोध्या में लता मंगेशकर चौक के उद्घाटन का भी उल्लेख किया।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने एक्स पर लिखा- लता दीदी के सुरों में सहजता, स्थिरता और वह आत्मीयता थी, जो हर एक श्रोता को मंत्रमुग्ध कर देती थी। उनसे जब भी मिलना हुआ, संगीत और कला संबंधी विषयों पर लम्बी बातचीत हुई। अनेक भाषाओं और बोलियों के संगीत को अपनी जादुई आवाज से समृद्ध बनाने वालीं लता दीदी अपने गीतों के जरिए करोड़ों देशवासियों के मन में अनंतकाल तक बसी रहेंगी।
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने लता मंगेशकर को “भारत रत्न” से अलंकृत बताया और कहा कि उनकी मधुर वाणी आज भी लोगों के दिलों में गूँजती है और वह आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा रहेंगी।
विभिन्न मंत्रियों और अभिनेताओं ने भी सोशल मीडिया के माध्यम से लता मंगेशकर को याद किया, उनके संगीत और भारतीय संस्कृति में उनके योगदान को सराहा।
“भारत की कोकिला” के नाम से मशहूर लता मंगेशकर का 6 फरवरी, 2022 को निधन हो गया। भारतीय संगीत में उनका योगदान अद्वितीय है, उन्होंने दुनिया भर में लाखों लोगों द्वारा पसंद किए जाने वाले कालातीत गीतों का एक विशाल संग्रह छोड़ा है। उनकी जयंती दुनिया भर के प्रशंसकों और संगीत प्रेमियों द्वारा मनाई जाती है।
1929 में मध्य प्रदेश के इंदौर में जन्मी लता मंगेशकर का पालन-पोषण एक संगीत प्रेमी परिवार में हुआ। उनके पिता पंडित दीनानाथ मंगेशकर, जो एक शास्त्रीय संगीतकार थे, ने गायन के प्रति उनके जुनून को बहुत प्रभावित किया। मंगेशकर की दृढ़ता ने उन्हें भारतीय सिनेमा में सबसे प्रतिष्ठित पार्श्व गायिकाओं में से एक बना दिया।
वर्षों से, उनकी मधुर आवाज़ ने “प्यार किया तो डरना क्या” और “अजीब दास्तां है ये” जैसे प्रतिष्ठित ट्रैक को सुशोभित किया, जिससे उन्हें लाखों लोगों के दिलों में जगह मिली। अपने शानदार करियर के दौरान, उन्होंने आर.डी. बर्मन, लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल और ए.आर. रहमान सहित दिग्गज संगीतकारों के साथ काम किया और एक के बाद एक हिट गाने दिए। उनकी बहुमुखी प्रतिभा ने उन्हें 36 से अधिक भाषाओं में गाने की अनुमति दी, जिससे उन्हें राष्ट्रीय खजाने के रूप में दर्जा मिला।
छह दशकों से भी लंबे करियर में उन्होंने हज़ारों गीत गाए। फिल्मों से लेकर भक्ति गीतों तक, लोकगीतों से लेकर देशभक्ति के नग्मों तक—लता मंगेशकर की आवाज़ हर रूप में ढल जाती थी। जब वे “ऐ मेरे वतन के लोगों” गाती थीं, तो सैनिकों के बलिदान पर आँसुओं की धारा बह निकलती थी। वहीं प्रेम गीतों में उनकी कोमलता दिलों को झकझोर देती थी। उनके स्वर में ऐसी ताक़त थी कि श्रोता भूल जाते कि वे केवल गीत सुन रहे हैं—उन्हें लगता था मानो उनकी अपनी भावनाएँ स्वर बनकर सामने आ रही हों।
लता दीदी का संगीत केवल तकनीक या साधना का नतीजा नहीं था; यह उनकी आत्मा की शुद्धता और संवेदनशीलता का प्रतिफल था। बचपन से ही संगीत उनकी साधना बन गया। संघर्षों और कठिनाइयों से भरा उनका जीवन यह बताता है कि सच्ची प्रतिभा धैर्य और समर्पण के सहारे ही अमर होती है। उन्होंने अपनी गायिकी में कभी समझौता नहीं किया और न ही लोकप्रियता के लिए अपनी मौलिकता को छोड़ा।
आज जब संगीत की दुनिया में तकनीक हावी है, ऑटो-ट्यून और कृत्रिम ध्वनियाँ सामान्य हो गई हैं, तब लता मंगेशकर की आवाज़ हमें यह याद दिलाती है कि असली संगीत वही है, जो दिल से निकलकर दिल तक पहुँचे। उनकी जयंती पर यह सवाल उठना स्वाभाविक है—क्या हम संगीत की उस पवित्रता को बचाए रख पा रहे हैं, जिसका उदाहरण लता दीदी ने दिया था?
लता मंगेशकर की जयंती केवल स्मरण का अवसर नहीं है, यह प्रेरणा का क्षण भी है। यह हमें सिखाती है कि कला का मूल्य तभी है, जब वह पीढ़ियों तक मानवता को छू सके। उनकी आवाज़ समय और भाषा की सीमाओं से परे है—वह उतनी ही प्रिय है गाँव की चौपाल पर, जितनी महानगर की सभागृह में। यही कारण है कि वे “स्वर कोकिला” ही नहीं, बल्कि भारत की आत्मा की आवाज़ बन गईं।
लता दीदी अब हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनका संगीत अनंत है। हर पीढ़ी उन्हें सुनती रहेगी, उनसे प्रेरणा लेती रहेगी। उनकी जयंती हमें याद दिलाती है कि सच्चा समर्पण और निष्कलुष कला कभी नष्ट नहीं होती। सचमुच, लता मंगेशकर एक युग थीं—और यह युग कभी समाप्त नहीं होगा।
यादों और विरासत का उत्सव
महान गायिका लता मंगेशकर ने 36 से अधिक भाषाओं में हजारों गाने गाए और उनका संगीत पीढ़ी दर पीढ़ी आगे बढ़ रहा है, जिससे उनकी संगीत विरासत जीवित है। लता मंगेशकर का संगीत और उनकी आवाज़ भारतीय संस्कृति का अभिन्न अंग रही है, और उन्हें भारतीय संस्कृति के एक दिग्गज के रूप में याद किया जाएगा।